आज तय होगा AMU अल्पसंख्यक संस्थान है या नहीं, पुलिस-प्रशासन सतर्क; जुमे को लेकर शहर भर में चौकसी
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के अल्पसंख्यक स्वरूप को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला शुक्रवार 1030 बजे आएगा। इसे देखते हुए एएमयू सहित शहर भर में पुलिस अलर्ट हो गई है। फैसला आने जानकारी होते हुए एएमयू के सुरक्षा गार्ड सक्रिय हो गए। उन्होंने यूनिवर्सिटी के बाबे सैयद और सेंटेनरी गेट से आने-जाने वाले लोगों की चेकिंग की। शुक्रवार के चलते शहर भर में भी सतर्कता की गई है।
जागरण संवाददाता, अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के अल्पसंख्यक स्वरूप को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला शुक्रवार 10:30 बजे आएगा। इसे देखते हुए एएमयू सहित शहर भर में पुलिस अलर्ट हो गई है। गुरुवार देर रात तक यूनिवर्सिटी के सभी प्रवेश द्वारों पर चेकिंग की गई। जिला प्रशासन यूनिवर्सिटी के अधिकारियों के संपर्क में है। तीन दिन पहले भी डीएम-एसएसपी ने कुलपति के साथ इस संबंध में बैठक की थी। सबकी नजर इसी पर टिकी हैं कि फैसला क्या आएगा? यूनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक स्वरूप बचेगा या नहीं। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जजों की पीठ ने फैसला सुरक्षित किया था।
सुप्रीम कोर्ट में नौ जनवरी 2024 से एक फरवरी तक बहस हुई थी। प्रधान न्यायाधीश दस नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उनकी सेवानिवृत्ति से पहले फैसला आने की उम्मीद थी। शनिवार और रविवार को अवकाश के चलते शुक्रवार को फैसला आने की उम्मीद जताई जा रही थी।गुरुवार को फैसला आने जानकारी होते हुए एएमयू के सुरक्षा गार्ड सक्रिय हो गए। उन्होंने यूनिवर्सिटी के बाबे सैयद और सेंटेनरी गेट से आने-जाने वाले लोगों की चेकिंग की। आई कार्ड देखकर छात्र, शिक्षक व कर्मचारियों को तो गेट से अंदर आने दिया, अन्य लोगों को प्रवेश नहीं दिया। सिविल लाइन पुलिस भी सतर्क हो गई। यूनिवर्सिटी के आसपास पुलिस ने भी संदिग्ध लोगों पर नजर रखी। शुक्रवार के चलते शहर भर में भी सतर्कता की गई है।
क्या है विवाद?
- एएमयू के अल्पसंख्यक स्वरूप को लेकर 1965 से विवाद की शुरुआत हुई थी।
- तत्कालीन केंद्र सरकार ने 20 मई 1965 को एएमयू एक्ट में संशोधन कर स्वायत्तता को खत्म कर दिया था। जिसे अजीज बाशा ने 1968 में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
- पांच जजों की बैंच ने फैसला दिया कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। इसमें खास बात ये रही कि एएमयू को पार्टी नहीं बनाया गया था।
- 1972 में इंदिरा गांधी सरकार ने भी माना कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। यूनिवर्सिटी में इसका विरोध भी हुआ। बाद में इंदिरा गांधी सरकार ने 1981 में एएमयू एक्ट में बदलाव कर यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक संस्थान माना।
- 2006 में एएमयू के जेएन मेडिकल कालेज में एमडी, एमएस की 50 प्रतिशत सीट मुसलमानों को आरक्षित करने के विरोध में हिंदू छात्र इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गए। हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं हो सकती।
- इस फैसले के विरोध में एएमयू सुप्रीम कोर्ट चली गई। तभी से यह केस विचाराधीन है।
- सुप्रीम कोर्ट के आने वाले फैसले पर एएमयू ही नहीं पूरी दुनिया की नजर है। एएमयू में पढ़े हजारों छात्र विदेशों में रहते हैं।
पुलिस पूरी तरह सतर्क
एसपी सिटी मृगांक शेखर पाठक ने बताया कि सुरक्षा की दृष्टि से सतर्कता बरती जा रही है। सिविल लाइन थाना पुलिस को भ्रमणशील रहने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही एएमयू प्रशासन से समन्वय बनाया गया है। कहा गया कि निर्णय को लेकर कोई भी प्रतिक्रिया होती है तो तत्काल जानकारी दें।शुक्रवार को आने वाला फैसला अल्पसंख्यक समाज के भविष्य को तय करेगा। पूरी उम्मीद है सुप्रीम कोर्ट इंसाफ करेगा। मोहम्मद नदीम अंसारी, पूर्व छात्रसंघ उपाध्यक्ष फैसले को लेकर सतर्कता बरती जा रही है। यूनिवर्सिटी के प्रवेश गेटों पर चेकिंग कराई जा रही है। जिला प्रशासन से भी समन्वयक बनाए हुए हैं। -प्रो. एम वसीम अली, प्रॉक्टर एएमयू