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    Aligarh Municipal Election 2022 : हरदुआगंज को मिले 15 चेयरमैन, कांग्रेस व बसपा के लिए अभी भी चुनौती

    By Anil KushwahaEdited By:
    Updated: Tue, 29 Nov 2022 10:24 AM (IST)

    Aligarh Municipal Election 2022 अलीगढ़ की हरदुआगंज नगर पंचायत के मतदाता कभी राजनीतिक दलों से प्रभावित नहीं लगे। 15 चेयरमैन में से 13 निर्दलीय होने से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां के मतदाता का मिजाज क्‍या है।

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    जिले की राजनीतिक में हरदुआगंज की खास भूमिका रही है।

    करण सिंह, अलीगढ़। जिले की राजनीतिक में हरदुआगंज की खास भूमिका रही है, लेकिन यहां के नगर पंचायत चुनाव में मतदाता कभी राजनीतिक दलों से प्रभावित नहीं लगे। अब तक 15 चेयरमैन बने, जिसमें से 13 निर्दलीय थे। भाजपा और सपा का चेयरमैन की कुर्सी पर एक-एक बार ही कब्जा रहा। कांग्रेस और बसपा के लिए यह कुर्सी अभी तक चुनौती बनी हुई है। चेयरमैन पद हासिल करने के फिर सभी राजनीतिक दल तैयारी कर रहे हैं। आरक्षण की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं हुई है, लेकिन दावेदार लोगों से संपर्क करने लगे हैं।

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    अंग्रेजों के जमाने की पंचायत

    यह नगर पंचायत अंग्रेजों के जमाने की है। 1928 में इस क्षेत्र को नगर पंचायत का दर्जा मिला था। डिप्टी दौलतराम अग्रवाल नगर के पहले चेयरमैन बने थे। तब चार वर्ष का कार्यकाल होता था। 1932 के बाद दो चेयरमैनों की हत्या होने पर नगर पंचायत की कुर्सी विवादों से घिरी रही। 1933 में केशवदेव चेयरमैन चुने गए थे। इसके बाद चौधरी लक्ष्मी नारायण यादव चेयरमैन बने। इनका 1942 तक सीट पर कब्जा रहा था। चेयरमैन रहते उनकी हत्या कर दी गई थी। इसके बाद श्यामसुंदर अग्रवाल चेयरमैन बने। फिर महाकवि नाथूराम शंकर शर्मा के पुत्र मास्टर सतीश शंकर शर्मा दो बार चेयरमैन चुने गए। इसके बाद राधेश्याम मित्तल बने। इनकी भी चेयरमैन पद पर रहते हुए हत्या कर दी गई थी। इनके बाद वैजनाथ विजय ने नगर पंचायत की कुर्सी संभाली थी। दोनों ही हत्या के पीछे रंजीश बताई गई।

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    चाचा को दी मात

    1964 में देवेंद्र यादव चेयरमैन चुने गए। इसके बाद 1971 के चुनाव में देवेंद्र यादव के सामने उनके भतीजे नरेंद्र यादव ने दावेदारी की थी। दिलचस्प मुकाबले में नरेंद्र यादव ने चाचा को हरा दिया। नरेंद्र चेयरमैन बने।

    भाजपा और सपा को सफलता

    वर्ष 1995 के चुनाव गिरीशचंद्र शर्मा ने भाजपा के टिकट पर दावेदारी कर जीत हासिल की थी। लेकिन, वर्ष 2000 में सपा के सुभाष यादव चेयरमैन बने थे।

    पति-पत्नी का राज

    लगातार दो चुनावों में चेयरमैन की कुर्सी पति-पत्नी के कब्जे में रही। 2006 के चुनाव में अंजना यादव चेयरमैन बनीं थीं। तब महिला के लिए सीट आरक्षित थी। इसके बाद सीट समान्य होने पर उनके पति राजेश यादव 2012 के चुनाव में जीतकर चेयरमैन बने। केवल एक बार ही सीट महिला के लिए आरक्षित रही है।

    खास बातें

    • 11 वार्ड हैं नगर पंचायत क्षेत्र में
    • 1245 मतदाता बढ़े हैं इस बार
    • 587 पुरुष मतदाताओं में हुई है वृद्धि
    • 658 महिला मतदाताओं की संख्या बढ़ी है

    मतदाताओं पर नजर

    मतदाता, 2017, 2022

    कुल मतदाता, 11420, 12665

    पुरुष मतदाता, 5991, 6578

    महिला मतदाता, 5429, 6087

    1964 से 17 तक ये बने चेयरमैन

    वर्ष, चेयरमैन

    1964- देवेंद्र सिंह यादव

    1971- नरेंद्रसिंह यादव

    1988 - मुकेश जैन

    1995- गिरीश चंद्र शर्मा भाजपा

    2000 - सुभाष यादव, सपा

    2006- अंजना यादव

    2012 - राजेश यादव

    2017 - तिलकराज यादव, निर्दलीय

    इनकी सुनो

    कस्बे में इस बार वादों को पूरा करने वाला चेयरमैन होना चाहिए जो नगर का समुचित विकास कर सके।

    - हरीश शंकर शर्मा

    कस्बे के लोग नया चेयरमैन चुनने को उत्साहित हैं। चेयरमैन ऐसा हो जो कस्बा को समस्याओं से निजात दिला सके।

    - अशरफ कुरैशी