जेल में एक तिहाई सजा काट चुके तीन बंदी, रिहाई के लिए न्यायालय को भेजा प्रस्ताव
मंगलवार को गांधीनगर में आयोजित अखिल भारतीय विज्ञान सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह दावा किया था। कहा था कि देश में तीन नए कानून लागू होने के बाद एफआइआर पंजीकृत होने की तिथि से तीन वर्ष के भीतर सुप्रीम कोर्ट तक से न्याय उपलब्ध होगा।
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : जिला कारागार में तीन बंदी ऐसे हैं, जो एक तिहाई सजा काट चुके हैं। एक जुलाई से लागू हुए तीन नए कानून के तहत तीनों की रिहाई के लिए जेल प्रशासन की ओर से न्यायालय को प्रस्ताव भेजा गया है।
मंगलवार को गांधीनगर में आयोजित अखिल भारतीय विज्ञान सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह दावा किया था। कहा था कि देश में तीन नए कानून लागू होने के बाद एफआइआर पंजीकृत होने की तिथि से तीन वर्ष के भीतर सुप्रीम कोर्ट तक से न्याय उपलब्ध होगा। संविधान दिवस यानी 26 नवंबर तक देश की जेलों में ऐसा एक भी कैदी नहीं रहेगा, जो एक तिहाई सजा काट चुका होगा। वरिष्ठ जेल अधीक्षक बृजेंद्र सिंह यादव ने बताया कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 479 के तहत पहली बार अपराध करने वाले को रिहा करने का प्रविधान है। बशर्ते कि उसने ऐसे अपराध के लिए निर्दिष्ट कारावास की अधिकतम अवधि की एक तिहाई सजा काट ली है। साथ ही उसे पहले कभी सजा भी न हुई हो। हत्या जैसे गंभीर अपराधों के मामलों में यह प्रविधान लागू नहीं होगा। जेल में तीन बंदी ऐसे हैं, जो इस प्रविधान के तहत रिहाई पाने के हकदार हैं। तीनों की रिहाई के संबंध में प्रस्ताव बनाकर संबंधित न्यायालय को भेज दिया गया है। न्यायालय के आदेश पर ही इन्हें रिहा किया जाएगा।
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