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Ayodhya News: तीन साल के मासूम की गलत उपचार से मौत, तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन

अयोध्या में तीन साल के मासूम की गलत उपचार के कारण मौत हो गई। इसकी शिकायत महराजगंज थाना के केशवपुर सेमरिया निवासी भगवान सिंह ने जिलाधिकारी से की है। डीएम के निर्देश पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संजय जैन ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया है। सीएमओ डॉक्‍टर संजय जैन ने बताया क‍ि कमेटी को जांच पूरी कर रिपोर्ट पांच दिन में उपलब्ध करानी है।

By Rama Sharan Awasthi Edited By: Vinay Saxena Updated: Wed, 16 Oct 2024 12:06 PM (IST)
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गलत उपचार की वजह से बच्‍चे की मौत।- सांकेत‍िक तस्‍वीर

संवाद सूत्र, अयोध्या। तीन वर्षीय बच्चे की गलत उपचार के कारण मौत हो गई। इसकी शिकायत महराजगंज थाना के केशवपुर सेमरिया निवासी भगवान सिंह ने जिलाधिकारी से की है। डीएम के निर्देश पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संजय जैन ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया है। कमेटी को पांच दिन में जांच रिपोर्ट देनी है।

भगवान सिंह ने आरोप लगाया है कि उन्होंने तीन वर्षीय पौत्र शौर्य सिंह की तबीयत खराब हाेने पर पांच सितंबर को डॉ. केएन कौशल को दिखाया था। घर जाने पर उसकी हालात बिगड़ती गयी। सात सितंबर को दोबारा दिखाने के लिए पहुंचने चिकित्सक ने भर्ती कर लिया और 40 मिनट में दो यूनिट प्लेटलेट्स चढ़ा दी। इससे उसे झटका आने लगा। इस पर लखनऊ रेफर कर दिया गया। रास्ते में उसकी मौत हो गई। उनका आरोप है कि ओवरडोज प्लेटलेट्स चढ़ाने से उसका शरीर नीला पड़ गया और मौत हो गई।

सीएमओ डॉक्‍टर संजय जैन ने बताया क‍ि शिकायत मिलने पर तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। इसमें एसीएमओ डॉ. पुष्पेंद्र कुमार, डिप्टी सीएमओ डॉ. राममणि शुक्ल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डॉ. आशुतोष श्रीवास्तव को शामिल किया गया है। कमेटी को जांच पूरी कर रिपोर्ट पांच दिन में उपलब्ध करानी है।

चिकित्सकों का अकाल और मरीज बेहाल

संवाद सूत्र, अयोध्या। चिकित्सकों के अकाल से जिला अस्पताल का बुरा हाल है। सुबह से मरीज लाइन लगाए खड़े रहते हैं, उन्हें समुचित इलाज नहीं मिल पाता है। रामनगरी के महत्वपूर्ण माने जाने वाले इस अस्पताल को स्वयं इलाज की आवश्यकता है। समस्या के समाधान के प्रति जिम्मेदारों के मुंह मोड़ने से मरीज मजबूरन फिजीशियन के बजाय मानसिक और सर्जन के स्थान पर नेत्र व स्किन के चिकित्सक से इलाज कराने को बेबस हैं। अस्पताल में पहुंच रहे मरीजों के बेहतर इलाज का दावा अस्पताल प्रशासन की तरफ से किया जा रहा है, लेकिन इस दावे और सच्चाई में बड़ा अंतर है। इसका अनुमान स्वीकृत चिकित्सकों के 46 पदों के सापेक्ष मौजूद 21 चिकित्सकों से लगाया जा सकता है, जिसकी जानकारी लगातार अस्पताल प्रशासन की ओर से शासन को देने के बाद भी सिर्फ एक नियमित और एक संविदा पर तैनात फिजीशियन के कंधे पर पूरे अस्पताल की जिम्मेदारी है।

इसका राजफाश चार माह पूर्व महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं को भेजे गये पत्र से हुआ है। पत्र में सीएमएस की तरफ से उन्हें चिकित्सकों के 24 पद खाली होने से व्यवस्था सुचारू रूप से संपादित न हो पाने की जानकारी दी गयी है। इनमें फिजीशियन, चेस्ट फिजीशियन, रेडियोलाजिस्ट, चिकित्सा अधिकारी ब्लड बैंक, कार्डियोलाजिस्ट और निश्चेतक के दो-दो पद खाली बताए गए हैं। इसके साथ बाल रोग विशेषज्ञ, जनरल सर्जन और अस्थि रोग विशेषज्ञ एक-एक, अति विशिष्ट विशेषज्ञ के पांच तथा इमरजेंसी मेडिकल अफसर के चार पद शामिल थे।

इस बीच संविदा पर एक वर्ष के लिए तैनात सर्जन डा. ए अहमद खान की तरफ से मरीजों के साथ की गयी लापरवाही के चलते 30 सितंबर को उनका समय पूरा हाेने पर नवीनीकरण न करने से उनकी छ़ुट्टी हो गयी। अब बचे दो सर्जन में मंगलवार को डा. वेद प्रकाश की इमरजेंसी ड्यूटी और डा. एके सिन्हा के अवकाश पर हाेने से ओपीडी की कुर्सी खाली रहती है। इसी तरह संविदा पर तैनात फिजीशियन डा. नानक शरन के अवकाश पर रहने से डा. प्रशांत द्विवेदी दोनों चिकित्सकों के वार्डों में भर्ती मरीजों का हाल लेने में लगे रहे। समय लगने से मरीजों का मानसिक, त्वचा और होम्योपैथिक के चिकित्सक से उपचार कराया गया।

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