बलरामपुर में मनरेगा से कुओं का पुनरुद्धार, अब तक 60 का हुआ सुंदरीकरण; बेहतर होगा कल
बलरामपुर में मनरेगा के तहत 90 कुओं के सुंदरीकरण का लक्ष्य है, जिनमें से 60 पूरे हो चुके हैं। इस पहल से जल संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा और जलस्तर सुधरेगा। ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, बलरामपुर। गर्मी शुरू होते ही जलस्तर नीचे सरक जाता है। इससे घरों में लगे नल सूखने लगते हैं। इस परेशानी से निपटने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत गांव में बने कुओं को एक बार फिर से सुंदरीकरण कराने की कवायद शुरू की गई। नौ ब्लाक में 90 कुओं का कायाकल्प कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
इसमें अब तक 60 कुओं का सुंदरीकरण हो चुका है। शेष पर कार्य चल रहा है। इससे जल संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही कुओं में गिरने से हाेने वाली घटनाओं पर रोक लगेगी। गावों में पहले मीठे और निर्मल जल मिलने के लिए कुआं की अलग ही पहचान थी, लेकिन समय के साथ कुओं का धीरे- धीरे अस्तित्व खत्म होने लगा।
इसका प्रभाव गर्मी शुरू होते ही अब गांव में साफ दिखाई पड़ने लगता है। सीमावर्ती गांवों में जलस्तर नीचे होने से घरों में लगे नल अपने आप सूखने लगते हैं। भूमिगत जलस्तर को बनाएं रखने के लिए सरकार एक बार फिर गावं के पुराने एवं जर्जर कुओं को संवारने की मुहिम शुरु की है। चालू वित्तीय वर्ष में पहले चरण में जिले के प्रत्येक ब्लाक से 10 -10 कुओं का सुंदरीकरण किया जा रहा है।
ग्राम पंचायत रोजगार सेवकों व संबंधित सचिव के माध्यम से पटने वाले कुओं का सर्वे कराया गया है। इसमें बिल्कुल बंद हो चुुके और मरम्मत होने वाले कुओं का विवरण दिया गया है। इसकी नियमित सफाई भी कराई जाएगी। गांवों में कुआं न सिर्फ जल स्तर को सुधारने में काम आते हैं। इसके अलावा सामुदायिक सभाओं के केंद्र हैं।
ऐतिहासिक रूप से गांवों की सांस्कृतिक व धार्मिक परंपराओं से जुड़े हैं। खुले कुआं वर्षा के पानी को सहेजने के साथ भू-जल स्तर बनाए रखने में मदद करते हैं। इससे पानी की कमी कम की जा सकती है।
चयनित कुओं को संवारने का कार्य किया जा रहा है। जाे आने वाले समय में जल स्तर को सुधारने में बेहतर लाभदायक साबित होगी। अब तक करीब 60 कुओं की मरम्मत हो चुकी है। शेष पर कार्य चल रहा है। संबंधित खंड विकास अधिकारियों को कार्य शीघ्र पूर्ण कर रिपोर्ट उपलब्ध कराने का निर्देश किया गया है।
- सुशील कुमार अग्रहरि - डीसी मनरेगा

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