इस्लामी नए साल के आगाज के साथ भलाई के काम कर कर्बला के शहीदों को पेश करें खिराज-ए-अकीदत
Muharram 2021 इस्लामी नए साल की आमद पर दरगाह आला हजरत के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी (अहसन मियां) ने लोगों को संदेश दिया। उन्होंने कहा कि इस्लामी नए साल का आगाज मुहर्रम माह से होता है। यह हमारे नबी के महबूब नवासों की शहादत की याद दिलाते हैं।
बरेली, जेएनएन। Muharram 2021 : इस्लामी नए साल की आमद पर दरगाह आला हजरत के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी (अहसन मियां) ने लोगों को संदेश दिया। उन्होंने कहा कि इस्लामी नए साल का आगाज मुहर्रम माह से होता है। यह हमारे नबी के महबूब नवासों की शहादत की याद ताजा करते है। वहीं जिल्हिज्जा (ईद उल अजहा) के चांद से साल खत्म होता है। यानि कुर्बानी से खत्म और शहादत से इस्लामी साल का आगाज होता है। ये महीना मुसलमानों को दर्स (शिक्षा) देता है कि हक और इंसाफ की खातिर जुल्म के आगे कभी सिर न झुकाए भले ही सिर कटाना पड़ जाए।
मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि मुहर्रम की पहली तारीख को दरगाह स्थित तहरीक-ए-तहफ़्फ़ुज़ सुन्नियत (टीटीएस) कार्यालय पर सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने अपना बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि आज से चौदह सौ साल पहले कर्बला के तपते मैदान में जंग लड़ी गई थी, जिसमें तीन दिन के भूखे प्यासे हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों को शहीद किया। दुनिया में दहशतगर्दी (आतंकवाद) के खिलाफ यह पहली जंग थी, जिसमें हक और इंसाफ पसंदों की जीत हुई और बातिल की हार हुई। यही वजह है कि दुनिया आज भी कर्बला के 72 शहीदों को याद कर रही है।
उन्होंने कहा कि कोविड 19 की गाइडलाइन के अनुसार लोग इस महीने कर्बला के शहीदों को खिराज पेश करने के लिए अधिक से अधिक भलाई के काम करें। भूखों को खाना, प्यासों को पानी, बीमारों को दवाई दिलाएं। मुफ्ती सलीम नूरी ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से बेरोजगार हुए लोगों की मदद करें। सबील और लंगर करें। इस मौके पर मौलाना बशीरूल कादरी, मौलाना जाहिद रजा, जुबैर रजा खान, परवेज नूरी, ताहिर अल्वी, अजमल नूरी, हाजी जावेद खान आदि मौजूद रहे।