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UP By Poll 2024: इस सीट पर भाजपा के सामने बड़ी चुनौती, पढ़ें बसपा से क्यों बढ़ सकती है और टेंशन

गाजियाबाद की इस सीट पर 20 साल बाद होने वाले उपचुनाव में भाजपा हैट्रिक लगाने की तैयारी में है। 1976 से अब तक भाजपा इस सीट पर छह बार जीत चुकी है लेकिन 2002 और 2004 में उसे हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा के सामने अब चुनौती है। इस सीट पर जातिगत समीकरण भी अहम भूमिका निभाते हैं जिसमें वैश्य ब्राह्मण मुस्लिम एससी और पंजाबी मतदाता निर्णायक हैं।

By tripathi aditya Edited By: Kapil Kumar Updated: Tue, 15 Oct 2024 11:42 PM (IST)
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गाजियाबाद के उपचुनाव में भाजपा के सामने बड़ी चुनौती है। फाइल फोटो
आदित्य त्रिपाठी, जागरण गाजियाबाद। UP By Election 2024 वर्ष 1976 में गाजियाबाद जिला बनने के बाद से अब तक गाजियाबाद शहर विधानसभा सीट पर भाजपा छह बार अपनी जीत का परचम लहरा चुकी है। इनमें से एक बार तो भाजपा इस सीट पर जीत की हैट्रिक भी लगा चुकी है। लेकिन उसके बाद हुए चुनाव में करारी शिकस्त का सामना भी करना पड़ा।

हालात यह रहे कि 2002 के विधानसभा चुनाव और वर्ष 2004 में हुए उपचुनाव में भाजपा को जीत नसीब नहीं हो सकी। वर्ष 2007 के चुनाव में भाजपा ने फिर एक बार बाजी पलटी और इस सीट पर जीत का स्वाद चखा, लेकिन पांच साल बाद हुए चुनाव में उसे शिकस्त खानी पड़ी।

हालांकि, वर्ष 2017 और 2022 के चुनाव में भाजपा ने जोरदार वापसी करते हुए शानदार जीत हासिल की है। अब इस सीट को भाजपा का गढ़ कहा जाता है। अब उसके सामने इस बार फिर चुनाव के मैदान में हैट्रिक लगाने की चुनौती है।

2004 में हुआ था उपचुनाव

इस सीट पर इससे पहले वर्ष 2004 में उपचुनाव हुआ था। इस दौरान पहली बाहर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को जीत नसीब हुई थी। सपा ने सुरेंद्र मुन्नी को कांग्रेस ने सतीश त्यागी को, बसपा ने मुनीश शर्मा को और भाजपा ने सुनीता दयाल को प्रत्याशी बनाया था। इस चुनाव में सुनीता दयाल तीसरे नंबर पर रहीं थीं।

सभी दल झोंक रहे ताकत

वहीं, 20 साल बाद एक बार फिर से इस सीट पर होने वाले उपचुनाव पर सभी दल अपनी ताकत झोंक रहे हैं। कांग्रेस और सपा का गठबंधन होने पर भाजपा के लिए चुनौती और कड़ी हो सकती है। वहीं इस सीट पर बसपा के कैडर वोटर की संख्या निर्णायक होने के कारण लड़ाई त्रिकोणीय होने के आसार हैं।

यही वजह है कि अभी किसी भी पार्टी ने अपने प्रत्याशी के नामों का ऐलान नहीं किया है। माना जा रहा है विपक्षी दल भाजपा के प्रत्याशी घोषित होने के इंतजार में है, जिससे कि जातीय समीकरण के आधार पर वे प्रत्याशी उतारें और मतदाताओं को अपने पाले में करने का प्रयास कर सकें।

वर्ष  इन्हें मिली   जीत पार्टी

1977 राजेंद्र चौधरी जनता पार्टी
1980 सुरेंद्र कुमार मुन्नी कांग्रेस
1985 किशन कुमार शर्मा कांग्रेस
1989 सुरेंद्र कुमार मुन्नी कांग्रेस
1991 बालेश्वर त्यागी भाजपा
1993 बालेश्वर त्यागी भाजपा
1996 बालेश्वर त्यागी भाजपा
2002 सुरेंद्र प्रकाश गोयल कांग्रेस
2004 सुरेंद्र कुमार मुन्नी सपा
2007 सुनील शर्मा भाजपा
2012 सुरेश बंसल  बसपा
2017 अतुल गर्ग भाजपा
2022 अतुल गर्ग भाजपा
जाति           मतदाता

वैश्य 65 हजार
ब्राह्मण 75 हजार
मुस्लिम 75 हजार
एससी 50 हजार
पंजाबी 50 हजार
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