पीएचडी छात्र की मौत के बाद दो डॉक्टरों पर गिरी गाज, गाजियाबाद में नहीं चला सकेंगे क्लीनिक
गाजियाबाद में इलाज में लापरवाही के कारण पीएचडी छात्र की मौत के मामले में दो चिकित्सकों पर कार्रवाई की गई है। जांच में पाया गया कि उन्होंने नियमों का उल्लंघन किया और गलत तरीके से अपना प्रचार किया। शासन को भेजी गई रिपोर्ट में उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
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जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। इलाज में लापरवाही बरतने से छात्र की मौत के प्रकरण में अब दो चिकित्सकों की लापरवाही सामने आई है। सीएमओ की जांच के बाद क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डा. अशोक कुमार राना ने प्रकरण में विस्तार से जांच के बाद पाया है कि दो चिकित्सकों ने असंगत तरीके से खुद का प्रचार प्रसार करने एवं मरीजों का इलाज करने से नियमों को तोड़ा है।
शासन को रिपोर्ट के साथ संस्तुति की गई है कि दोनों चिकित्सकों के खिलाफ विधिक कार्रवाई जरूरी है। इसकी अनुमति मांगी गई है। साथ ही लिखा है कि इस प्रकरण के निस्तारण होने तक दोनों चिकित्सक जिले में चिकित्सा व्यवसाय नहीं कर सकेंगे। सीएमओ ने अप्रैल में प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर संबंधित अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया था।
जानकारी के अनुसार मुरादनगर स्थित वंदना एन्क्लेव के रहने वाले शासकीय अधिवक्ता बिजेन्द्र कुमार ने अपने बेटे आशुतोष तोमर को बीमार होने पर 14 जनवरी को हंस हेल्थ केयर अस्पताल में भर्ती कराया था। बाद में 23 जनवरी को उपचार के दौरान आशुतोष की मौत हो गई। मृतक के पिता ने इसकी लिखित शिकायत जनसुनवाई पोर्टल पर करते हुए हंस अस्पताल के चिकित्सकों पर इलाज में लापरवाही बरतने और दवाओं की अतिरिक्त डोज देने का आरोप लगाया।
सीएमओ ने इस प्रकरण की जांच को डॉ. अमित विक्रम सिंह, राहुल वर्मा और अनुराग संजोग की अगुवाई में बोर्ड गठित कर दिया था। जांच शुरू होने पर उक्त अस्पताल ने नाम बदलकर मरीजों का इलाज करना शुरू कर दिया था। सीएमओ ने अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया था। लेकिन इसकी जांच क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी स्तर से जारी रही।
30 अक्टूबर को यह जांच पूरी हो गई है। जांच रिपोर्ट के आधार पर दोनों चिकित्सकों के कार्य पर रोक लगाने एवं विधिक कार्रवाई की अनुमति को शासन को पत्र भेजा गया है। मृतक आर्य भट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान से पीएचडी कर रहा था। खास बात यह है कि मौत के बाद उसका शोध प्रकाशित किया जा रहा है।
जांच रिपोर्ट की खास बातें
- बीएएमएस होते हुए असंगत तरीके से खुद को एमडी जनरल फिजिशियन बताते हुए प्रचार-प्रसार करना
- यह ड्रग एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट-1954 की भ्रामक प्रचार-प्रसार की धारा में आता है
- शासनादेशों का अनुपालन न करने से डा. सचिन कुमार त्यागी आयुर्वेदिक चिकित्सक पर दोष सिद्ध होता है
- बोर्ड पंजीकरण नंबर-56277 है। सचिन द्वारा हंस हेल्थ केयर मुरादनगर संचालित किया जा रहा है।
- शासन को पत्र भेजकर उक्त के खिलाफ विधिक कार्रवाई की अनुमति मांगी गई है।
- इसके अलावा डा. राशिद बीयूएमएस पर भी उक्त कार्रवाई को लेकर पत्र लिखा गया है
- प्रकरण के निस्तारण तक उक्त दोनों चिकित्सकों के जिले में निजि चिकित्सा व्यवसाय पर पूर्णत रोक जरूरी है।
- अग्रिम कार्रवाई के तहत संबंधित दोनों चिकित्सकों पर एफआइआर दर्ज कराई जा सकती है।

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