अमर शहीदों का राप्ती तट पर किया जा रहा पिंडदान, 10 साल से बृजेश राम त्रिपाठी करते आ रहे तर्पण
पितृपक्ष में वैसे तो घर-घर श्राद्ध-तर्पण चल रहे हैं लेकिन यह श्राद्ध देश के प्रति श्रद्धा से पगा है। स्वतंत्रता के यज्ञ में जीवन होम करने वाले अमर बलिदानी हों या गुमनाम क्रांतिकारी हर वर्ष राप्ती तट पर पितृपक्ष में पूरे विधि-विधान से इनके निमित्त पिंडदान कर श्राद्ध एवं तर्पण किया जाता है।देशभक्ति के भाव से भरे इस कार्यक्रम की तैयारी उन्होंने शुरू कर दी है।
आशुतोष मिश्र जागरण गोरखपुर : पितृपक्ष में वैसे तो घर-घर श्राद्ध-तर्पण चल रहे हैं, लेकिन यह श्राद्ध देश के प्रति श्रद्धा से पगा है। स्वतंत्रता के यज्ञ में जीवन होम करने वाले अमर बलिदानी हों या गुमनाम क्रांतिकारी, हर वर्ष राप्ती तट पर पितृपक्ष में पूरे विधि-विधान से इनके निमित्त पिंडदान कर श्राद्ध एवं तर्पण किया जाता है।
इन्हें अपना पितर मानकर गुरुकृपा संस्थान के संस्थापक महासचिव बृजेश राम त्रिपाठी यजमान बनते हैं और पुरोहित के निर्देशन में श्राद्ध कर्म संपन्न कराते हैं। इस बार भी स्वतंत्रता के असंख्य नायकों के प्रति श्रद्धा व देशभक्ति के भाव से भरे इस कार्यक्रम की तैयारी उन्होंने शुरू कर दी है। बृजेश राम त्रिपाठी ने देशप्रेम व राष्ट्रवाद का यह संस्कार संघ परिवार से पाया है।
सनातन संस्कृति को लेकर करते हैं काम
बजरंग दल के प्रांत संयोजक रहे बृजेश राम अपनी संस्था के जरिये सनातन संस्कृति एवं राष्ट्रवाद को लेकर विभिन्न काम करते रहते हैं। इसी क्रम में वह पिछले 10 वर्षों से पितृपक्ष में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले अमर सपूतों सहित अनगिनत गुमनाम सेनानियों एवं क्रांतिकारियों की आत्मा की तृप्ति हेतु श्राद्ध-तर्पण कर रहे हैं। पितृपक्ष शुरू होते ही वह इसकी तैयारी शुरू कर देते हैं।'अंग्रेजों ने फांसी देकर दी अकाल मृत्यु'
कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि पर वह विधि-विधान से मुंडन कराकर और अमर सेनानी बिस्मिल के अंत्येष्टि स्थल पर पिंडदान करके श्राद्ध कर्म संपन्न कराते हैं। बृजेश राम त्रिपाठी बताते हैं कि स्वतंत्रता संघर्ष में मां भारती की असंख्य संतानों को अंग्रेजों ने फांसी देकर, गोली मारकर, यातनाएं देकर अकाल मृत्यु दी।
इनमें अधिकतर अविवाहित और युवा थे। इनकी वंश परंपरा न होने के कारण इनको सनातन धर्म के अनुसार मुक्ति व मोक्ष प्राप्ति के लिए पितृपक्ष में तर्पण और जलांजलि देने का काम संस्था की ओर से विगत 10 वर्षों से कर रहा हूं। ज्ञात-अज्ञात तिथिनाम श्राद्ध तर्पण कार्यक्रम के तहत गुरुकृपा संस्थान गोरखपुर एवं अखिल भारतीय क्रांतिकारी सम्मान संघर्ष मोर्चा के संयुक्त तत्वावधान में भारत के महापुरुषों, क्रांतिवीरों, बलिदानियों, देशभक्तों, वीरगति प्राप्त सैनिकों को अपना पूर्वज मानते हुए राप्ती नदी के तट पर तर्पण, जलांजलि श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हमारे पूर्वज हैं और हमारे पितृ भी हैं।
इन नायकों का उल्लेख कर होता है तर्पण
बृजेश राम त्रिपाठी के अनुसार, ज्ञात-अज्ञात तिथिनाम श्राद्ध तर्पण कार्यक्रम में वैसे तो अनगिन बलिदानियों के निमित्त तर्पण व पिंडदान किया जाता है। लेकिन, नायक मंगल पांडे, चित्तू पांडेय, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, सचिंद्र नाथ सान्याल, बलिदानी बंधू सिंह, बाबा राघवदास, हनुमान प्रसाद पोद्दार, फिराक गोरखपुरी, मुंशी प्रेमचंद का उल्लेख करते हुए विशेष रूप से तर्पण किया जाता है।
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