सुंदर स्वाद... हैजा-पेचिस को भगाने वाली, भारतीयों को लुभाने के लिए अंग्रेज अपनाते थे ये तरीके; UP में चाय का इतिहास
यूपी के हापुड़ से प्रदेश में चाय पीने की शुरुआत हुई थी। यहां पर 1924 में चाय की पहली कैंटीन खोली गई थी। इसके एक साल बाद 1925 में दूसरी कैंटीन अमरोहा में खोली गई। यहां पर दो प्रकार की चाय एक और दो आने में पिलाई जाती थी। चाय को एनर्जी टॉनिक के रूप में पेश किया जाता था। सुबह के समय चाय फ्री में पिलाई जाती थी।
ठाकुर डीपी आर्य, हापुड़। प्रदेश में चाय पीने का आरंभ हापुड़ से किया गया था। यहां पर 1924 में चाय की पहली कैंटीन खोली गई थी। इसके एक साल बाद 1925 में दूसरी कैंटीन अमरोहा में खोली गई। उस समय लोग चाय को पीना पसंद नहीं करते थे। उसके चलते अंग्रेजों ने लोगों को चाय के लाभ बताने वाले शिलापट भी लगवाए थे।
यहां पर दो प्रकार की चाय एक और दो आने में पिलाई जाती थी। चाय को एनर्जी टॉनिक के रूप में पेश किया था। सुबह के समय चाय फ्री में पिलाई जाती थी। अब रेलवे के पुरातत्व विभाग ने चाय के शिलापट को अपने संरक्षण में लेने की पहल आरंभ की है।
कहा जाता है कि आर्याव्रत में दूध-धी की नदियां बहती थीं, यानि देश में इनकी प्रचूरता था। दूध और घी के भोजन का आधार था। अब दूध और घी का प्रयोग सीमित होता जा रहा है। ज्यादातर लोग चाय का प्रयोग करते हैं।चाय अंग्रेजों की देन है। आरंभ में लोग चाय का प्रयोग नहीं करते थे। इसको सेहत के लिए नुकसानदेह माना जाता था।
वहीं अंग्रेज कारोबारी इसको बड़े बिजनेस के रूप में स्थापित कर रहे थे। ऐसे में चाय को एक लाभकारी और स्वास्थ्यवर्धक पेय के रूप में प्रस्तुत किया गया। चाय के फायदे बताने वाले बोर्ड लगाए गए। लोगों को चाय का बनाना भी सिंखाया गया।ये भी पढे़ं- Hapur: गोहत्या की अफवाह पर मारपीट में एक शख्स की मौत के बाद 10 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा
हापुड़ से हुआ था आरंभ
रेलवे स्टेशन पर भूरेलाल एंड संस के नाम से चाय की कैंटीन है। यहां पर 1924 में ब्रिटिश शासन ने चाय बिक्री का लाइसेंस दिया था। इनको ही अमरोहा रेलवे स्टेशन पर 1925 में दूसरा लाइसेंस दिया गया। इन कैंटीन से चाय को आमजन में प्रस्तुत किया गया। इससे पहले चाय का प्रयोग अंग्रेज और भारतीय अधिकारी ही करते थे। कैंटीन से उत्तर प्रदेश के आमजन के लिए चाय का आरंभ किया गया।भूरेलाल कक्कड़ के 62 वर्षीय पौत्र नन्हें सिंह कक्कड़ ने बताया उनके परिवार की दूसरी, तीसरी और चौथी पीढ़ी मिलकर आज भी कैंटीन का कारोबार संभाल रहे हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।