हाथरस HDFC बैंक में 5 करोड़ का घोटाला: 500 रुपये से पांच करोड़ तक ट्रांजेक्शन, आंखें मूंदे रहे बैंक अफसर
हाथरस के एसडीएफसी बैंक में समोसे वाले आकाश ने पांच करोड़ का घोटाला किया। आरोप है कि बैंक मैनेजरों ने भी मदद की पेशकश की थी। पुलिस जांच कर रही है कि यह तकनीकी खराबी थी या मिलीभगत। खाते में अनियमितताएं पाई गईं और आकाश ने चतुराई से पैसे ठिकाने लगाए। पुलिस कुछ पैसे बरामद कर चुकी है और बाकी की वसूली जारी है।

हिमांशु गुप्ता, हाथरस। एसडीएफसी बैंक की बस स्टैंड शाखा में चालू खाते से पांच करोड़ के घोटाले के बाद पूरा बैंक स्टाफ संदेह के घेरे में है। समोसे बेचने वाले आकाश माहौर ने 500 रुपये से शुरू कर पांच करोड़ रुपये तक के ट्रांजेक्शन कर दिए। इसके बाद भी बैंककर्मी आंखें मूंदे बैठे रहे।
इनमें तीन बैंक प्रबंधकों की भूमिका बेहद संदिग्ध मानी जा रही है। आरोपित युवक ने बयान में कहा है कि बैंक मैनेजरों ने उसे रकम आधी-आधी करने का ऑफर दिया था। कलस्टर हेड द्वारा मुकदमा दर्ज कराने के बाद पुलिस की जांच के साथ-साथ विभागीय जांच भी शुरू हो गई है।
आरेापित बोला- बैंक मैनेजरों ने धनराशि आधी-आधी करने का दिया ऑफर
महज 500 रुपये से खाता खोलने वाले समोसा विक्रेता द्वारा पांच करोड़ के घोटाले को बैंक वाले टेक्निकल ग्लिच (तकनीकि गड़बड़ी) बता रहे हैं। लेकिन यह बिना मिलीभगत के संभव नहीं है। पुलिस भी इस पहलू पर जांच कर रही है। पुलिस ने इस प्रकरण में इस शाखा के तीन प्रबंधकों को पूछताछ के लिए उठाया भी था। हालांकि अभी वह संदेह के घेरे में है। एक प्रतिष्ठित बैंक के वरिष्ठ प्रबंधक ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि सिस्टम की गलती से इतने ट्रांजेक्शन होना संभव नहीं है। इसमें कहीं न कहीं कर्मियों की संलिप्तता है।
पुलिस तक मामला पहुंचने से पहले दबाए बैठे रहे इतने बड़े लेनदेन को
इस प्रकरण में सबसे बड़ा सवाल यह है कि यह खाता खुला कैसे? खाता धारक के लिमिट तय क्यों नहीं की गई। ओवरड्राफ्ट की इतनी बड़ी लिमिट हजारों करोड़ के की फर्म के स्वामियों की होती है। महज समोसा विक्रेता को पांच करोड़ की लिमिट नहीं हो सकती। आरोपित ने 500 रुपये से लेकर पांच करोड़ तक के ट्रांजेक्शन किए हैं।
24 अगस्त को 50 लाख के पहले ट्रांजेक्शन पर ही संज्ञान क्यों नहीं लिया गया। उसका खाता फ्रीज क्यों नहीं किया गया। वह ओवरड्राफ्ट पर ओवरड्राफ्ट करता रहा और बैंककर्मियों ने कोई ध्यान नहीं दिया। ऐसे में बैंक कर्मियों की भूमिक संदेह के घेरे में है।
बेहद शातिर है बीएससी पास आकाश
- आकाश के पिता ज्वाला प्रसाद की काेराेना काल में मृत्यु हो चुकी है। उसका भाई आठवीं कक्षा में पढ़ता है।
- बहन भी पढ़ाई कर रही है। मां गृहणी है। पीसी बागला डिग्री कॉलेज से बीएससी कर चुका आकाश का शातिराना दिमाग देखकर पुलिस भी हैरत में है।
- उसने इतनी सफाई से पैसा ठिकाने लगाया है कि पुलिस के लिए भी रिकवरी करना मुश्किल है।
- उसने पहले पैसा अपने मंडी समिति एसडीएफसी शाखा के बचत खाते में ट्रांसफर किए।
- उसे डर था कि खाता फ्रीज को सकता है। इससे पहले ही ग्रो-एप के जरिए 3.50 करोड़ के शेयर, एसएसआई और म्यूचुअल फंड खरीद लिए। उन्हें फेडरल बैंक के अपने दूसरे खाते में रिडीम करा लिया।
- ग्रो-एप से एसडीएफसी वाले खाते को डिलीट कर दिया। ऐसे में शेयर के खरीदने और बेचने का गेटवे अलग-अलग बैंकों का हो गया।
- अब पुलिस के सामने इस पैसे को रिडीम करना बड़ी चुनौती है।
- 50 लाख रुपये उसके ग्रो ट्रेडिंग के वालेट में है।
- 73 लाख रुपये मां के खाते में ट्रांसफर किए।
- 10-10 लाख रुपये दो दाेस्तों को दिए।
- 2.75 लाख रुपये की बाइक खरीदी है।
- पुलिस ने करीब दो करोड़ रुपये फ्रीज करा दिए हैं।
- पांच लाख रुपये बरामद किए हैं। शेष के वसूली के प्रयास जारी हैं।
क्या होता है ओवरड्राफ्ट
ओवरड्राफ्ट एक क्रेडिट सुविधा है, जो आपको बैंक खाते में उपलब्ध राशि से अधिक पैसा निकालने या खर्च करने की अनुमति देती है। इसके लिए बैंक एक निश्चित सीमा तक शुल्क और ब्याज लेता है। यह एक तरह से आपके खाते से पैसे उधार लेने जैसा है, जो अनपेक्षित खर्चों को पूरा करने के काम आता है। आप केवल उपयोग की गई राशि पर ब्याज देते हैं। जब चाहें फंड होने पर इस राशि को चुका सकते हैं।
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