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आठवीं फेल ने एमबीए पास युवक को पढ़ाई पट्‌टी, दोनों करने लगे एक का डबल… फिर शामत बनकर आ गई पुलिस

कानपुर में पुलिस ने शेयर बाजार में निवेश के नाम पर ठगी करने वाले साइबर ठगों के गिरोह का पर्दाफाश किया है जिसमें चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस के अनुसार आरोपियों ने एक रिटायर्ड सैन्य अधिकारी से 1.78 करोड़ रुपये की ठगी की थी। गिरोह के तार देश के दर्जन भर राज्यों में फैले हुए हैं और विदेशी संपर्क भी हैं।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Wed, 16 Oct 2024 02:58 AM (IST)
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ठगी के मामले में खुलासा करते हुए पुलिस अधिकारी व पीछे खड़े आरोपी। पुलिस

जागरण संवाददाता, कानपुर। शेयर बाजार में निवेश के नाम पर ज्यादा मुनाफा कमाने का लालच देकर ठगने वाले साइबर ठगों के एक गिरोह का पर्दाफाश क्राइम ब्रांच की साइबर टीम ने किया है। पुलिस ने एक रिटायर्ड सैन्य अधिकारी के साथ 1.78 करोड़ रुपये की ठगी में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। 

पुलिस का दावा है कि इस गिरोह के तार देश के दर्जन भर राज्यों में फैले हुए हैं। पुलिस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश के साथ ही आरोपियों के बैंक खातों को खंगालने में जुटी हुई है।

ठगने के बाद कर दिया ब्लॉक

नवशील अपार्टमेंट, कैंट निवासी रिटायर्ड सैन्य अधिकारी विनोद कुमार 20 जून 2024 को साइबर क्राइम थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। विनोद के मुताबिक, साइबर ठगों ने उन्हें एक वाट्सएप ग्रुप में जोड़ा और शेयर बाजार में भारी निवेश का लालच दिया। 

लालच में वह उनके द्वारा बताए गए टेलीग्राम ग्रुप में जुड़ गया, जिसमें समय-समय पर निवेश के नाम पर 1,78,85000 रुपये ले लिए गए। जब उन्हें शक हुआ और उन्होंने सवाल जवाब शुरू किए तो ग्रुप से हटा कर ब्लॉक कर दिया गया।

कई खातों से 15 करोड़ के लेनदेन

डीसीपी क्राइम आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि पुलिस ने मुकदमा दर्ज करके जांच शुरू की। पुलिस ने भोपाल के 28 वर्षीय रोहित सोनी, होसंगाबाद 30 वर्षीय अक्षय गुरू व मयंक मीणा और मधुबनी 30 वर्षीय मनीष कुमार मंडल को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस को देश के विभिन्न राज्यों से कुल 238 शिकायतें इस गिरोह के खिलाफ दर्ज मिली हैं। 

इसके अलावा बंधन बैंक, फेडरल बैंक, सेन्ट्रल बैंक, एक्सिस बैंक, यस बैंक, कैनरा बैंक, कोटक महिन्द्रा बैंक और पंजाब नेशनल बैंक के विभिन्न खातों में इस गिरोह द्वारा 15 करोड़ के लेनदेन का पता चला है। सभी लेनदेन को संदिग्ध मानते हुए जांच की जा रही है। उपरोक्त सभी बैंक खातों को साइबर क्राइम टीम द्वारा फ्रीज भी करा दिया गया है।

ऐसे करते थे ठगी

डीसीपी अपराध के मुताबिक, गिरोह के सदस्य लोगों को पहले फर्जी वाट्सअप ट्रेडिंग ग्रुप में जोड़ते थे। वहां पर उन्हें भारी मुनाफे का लालच दिया जाता। जो व्यक्ति लालच में आकर निवेश के लिए तैयार हो जाता उससे टेलीग्राम या अन्य लिंक से जोड़कर निवेश कराया जाता। शुरुआत में ग्रुप के कुछ सदस्यों को छोटी धनराशि लाभ के नाम पर दे दी जाती थी, जिससे उनका विश्वास जीता जा सके। इसके बाद निवेश बढ़ाने के नाम पर लोगों को ठगा जाता था।

8वीं फेल ने एमबीए पास को सिखाया खेल

डीसीपी के मुताबिक, अभियुक्त रोहित सोनी गिरोह का मास्टरमाइंड है। उससे पूछताछ की गई, तो रोहित ने बताया कि उसने इंटरनेट, यूट्यूब और अपने दोस्तों से साइबर ठगी का तरीका सीखा। उसने अपना खुद का बैंक खाता खुलवाया, लेकिन साइबर रिपोर्टिंग के कारण यह खाता फ्रीज हो गया। 

इसके बाद रोहित ने अपने तीन साथियों को बैंक खाते खोलने और खुलवाने का लालच दिया। उन्हें भी साइबर ठगी का तरीका सिखाया और हर बैंक खाते के लिए कमीशन देने का वादा किया। 

रोहित सोनी 8वीं फेल है और एक राजनैतिक पार्टी के पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ का जिलाध्यक्ष भी है, जबकि मयंक मीणा एमबीए पास है। वह एक निजी बैंक में क्लर्क के पद पर तैनात है। रोहित ने ही मयंक को साइबर ठगी के गुर सिखाए और अपने टीम में मिला लिया। 

वहीं, अक्षय गुरु 12वीं पास है और एक निजी बैंक के लिए लोन रिकवरी एजेंट के तहत काम करता है। वहीं मनीष मंडल ने बायो से बीएससी की है और एक बैंक में सेल डिपार्टमेंट में काम कर रहा है।

विदेश से जुड़े हैं साइबर ठगी के तार

डीसीपी अपराध के मुताबिक, रोहित सोनी साइबर ठगी करने के बाद टेलीग्राम के माध्यम से ठगी गई रकम अर्मेनिया, चीन व दुबई में बैठे साइबर अपराधियों को क्रिप्टो करेंसी में भेजता था। बाद में वहां से अपना व खाताधारकों का कमीशन लेकर सभी को कमीशन बांटता था। पुलिस गिरोह के विदेशी संपर्कों की भी जांच कर रही है।

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