यूपी में गजब का भ्रष्टाचार... जलकल विभाग में कर्मचारी से लेकर सगे संबंधी निकले ठेकेदार, शासन तक पहुंची बात
जलकल विभाग में भ्रष्टाचार का बड़ा मामला सामने आया है, जिसमें कर्मचारियों और उनके रिश्तेदारों के ठेकेदार होने की बात पता चली है। यह मामला अब शासन तक पहु ...और पढ़ें
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रितेश द्विवेदी, कानपुर। जलकल विभाग के भीतर वर्षों से पल रहे रिश्तेदारी के जाल और ठेकेदारी का मामला आखिरकार उजागर हो गया। शासन के निर्देश पर शुरू हुई जांच ने विभाग की उस परत को खोल दिया, जहां चपरासी, क्लर्क और बेलदार जैसे कर्मचारी अपने ही सगे-संबंधियों के नाम पर करोड़ों रुपये के टेंडर हासिल कर रहे थे। शपथपत्रों में ‘कोई निकट संबंधी विभाग में कार्यरत नहीं है’ लिखकर जमा किए गए दस्तावेज जैसे ही जांच की कसौटी पर आए, फर्जीवाड़ा साफ सामने आ गया। जलकल सचिव ने जांच के दौरान तीन फर्मों पर जांच के बाद कार्रवाई की है। इसमें आनंदेश्वर अधिराज कंस्ट्रक्शन, आशीष इंटरप्राइजेज और सुंदरलाल इंजीनियरिंग वर्क्स को काली सूची में डालने के आदेश जारी किए हैं।
जांच रिपोर्ट के अनुसार सुंदरलाल इंजीनियरिंग वर्क्स के प्रोपराइटर सुंदरलाल ने शपथपत्र में दावा किया था कि जलकल विभाग में उनका कोई निकट संबंधी कार्यरत नहीं है जबकि जांच में उनके सगे भाई बजरंगीलाल विभाग में लारी क्लीनर हैं। सेवा पुस्तिका और जमा किए गए प्रमाणपत्रों से दोनों का पता व संबंध पुष्टि होने के बाद कार्रवाई की गई। इसी तरह बाबा आनंदेश्वर अधिराज कंस्ट्रक्शन के नाम से ठेका ले रहीं पूनम सिंह के बारे में पता चला कि उनके पति विनय सिंह जलकल विभाग में बेलदार हैं।
ये मामला भी चौंकाने वाला
फर्म के सभी दस्तावेज चरित्र प्रमाणपत्र और पते का मिलान विनय सिंह की सेवा पुस्तिका से पुष्टि होने के बाद कार्रवाई की गई। वहीं, आशीष इंटरप्राइजेज का मामला भी चौंकाने वाला है। प्रोपराइटर आशीष सिंह यादव के पिता भूपेंद्र सिंह, जो वरिष्ठ लिपिक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। इसके बावजूद हलफनामे में रिश्तेदारी से साफ इन्कार किया गया। फर्म और कर्मचारी का स्थायी पता एक ही मिलने पर ब्लैकलिस्ट करने की कार्रवाई की गई। इन तीनों मामलों में विभाग में विभागीय कर्मचारियों ने ही फर्जी हलफनामे, तथ्य छिपाने और कूटरचित अभिलेखों के आधार पर पंजीकरण और नवीनीकरण कराने के लिए दिया था, जिसे निरस्त किया गया है।
इन सवालों पर मौन साध गए इंजीनियर
- कब से फर्म पंजीकरण कराकर कार्य लिए जा रहे थे?
- कितनी फर्म को कितने ठेके आवंटित किए गए?
- पूर्व में इन कर्मचारियों के शपथ पत्र की क्यों नहीं की गई जांच?
- जांच में पुष्टि होने के बाद क्या होगी कार्रवाई?
- देरी से कार्रवाई करने की क्या है वजह?
- पंजीकरण करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर क्या होगी कार्रवाई?
जलकल में पंजीकृत फर्मों की जांच की जा रही है। जिसमें तीन फर्म को ब्लैक लिस्ट करने की कार्रवाई की गई है, जो साक्ष्य मिले हैं, उन्हीं के अनुरूप नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है। फर्मों को ब्लैकलिस्ट करने की सूचना नगर निगम को भेज दी गई है।
रमेश चंद्रा, सचिव, जलकल विभाग

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