पुलिस हिरासत में मौत, अखिलेश बोले; पुलिस हिरासत का नाम बदलकर अत्याचार गृह रख देना चाहिए
Lucknow News in Hindi अखिलेश ने एक्स पर लिखा है कि प्रदेश की राजधानी में 16 दिनों में पुलिस हिरासत में दो युवकों की मौत हुई है। नाम बदलने में माहिर सरकार को अब पुलिस हिरासत का नाम बदलकर अत्याचार गृह रख देना चाहिए। उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवार की हर मांग पूरी होनी चाहिए। सपा पीड़ित परिवार के साथ है।
राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा व समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश पुलिस की हिरासत में हुई दो युवकों की मौत के मामले में सरकार को घेरा है। एक्स पर प्रियंका ने आरोप लगाया है कि पुलिस हिरासत में होने वाली मौतों के मामले में उत्तर प्रदेश देश में पहले स्थान पर है। भाजपा ने प्रदेश में जंगलराज कायम कर दिया है। पुलिस क्रूरता का पर्याय बन चुकी है। जहां कानून के रखवाले ही जान ले रहे हों, वहां जनता न्याय की उम्मीद किससे करे।
अखिलेश ने भी पुलिस पर कसा तंज
वहीं अखिलेश ने एक्स पर लिखा है कि प्रदेश की राजधानी में 16 दिनों में पुलिस हिरासत में दो युवकों की मौत हुई है। नाम बदलने में माहिर सरकार को अब पुलिस हिरासत का नाम बदलकर अत्याचार गृह रख देना चाहिए। उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवार की हर मांग पूरी होनी चाहिए। सपा पीड़ित परिवार के साथ है।
हर सीट पर भाजपा व सहयोगी दलों के विधायक भी करेंगे प्रचार
उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इसीलिए हर सीट पर जातीय समीकरण साधने के लिए भाजपा ने एनडीए के 10-10 विधायकों को भी तैनात करने की रणनीति बनाई है। साथ ही प्रभारी मंत्रियों के साथ सांसदों को भी चुनावी प्रचार के मैदान में उतारा जाएगा।वहीं जनप्रतिनिधियों को मंडल व शक्ति केंद्रों की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। उपचुनाव को लेकर प्रदेश में फूलपुर, कटेहरी, कुंदरकी, गाजियाबाद, खैर, करहल, सीसामऊ व मझवां की सीटों पर भाजपा ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं। मीरापुर की सीट भाजपा ने राष्ट्रीय लोक दल को दी है। उपचुनाव की कमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने हाथों में ले रखी है। चुनाव को लेकर उन्होंने दो माह पहले ही 30 प्रभारी मंत्रियों की तैनाती सभी सीटों पर कर दी है। इनमें 13 कैबिनेट व 17 राज्य मंत्री शामिल हैं।
भाजपा ने जनप्रतिनिधियों की राय लेकर इस बार उम्मीदवारों के नाम तय किए हैं। इसलिए चुनाव में सांसदों से लेकर स्थानीय विधायकों व जिले के पदाधिकारी भी सक्रिय हैं। 25 अक्टूबर को नामांकन के बाद सभी सीटों पर प्रचार की रणनीति लगभग तय कर ली गई है। जिन जिलों में चुनाव हो रहे हैं वहां पर चुनावी गतिविधियों को लेकर एक-एक कंट्रोल रूम बनाया जा रहा है। उसे प्रदेश मुख्यालय में बने कंट्रोल रूम के साथ जोड़ा जाएगा।
चुनाव वाली सीटों पर जमीनी स्तर पर जातीय समीकरणों को साधने के लिए एनडीए के 10-10 विधायकों को तैनात किया जा रहा है। दीपावली के बाद यह विधायक संबंधित विधानसभा सीटों पर पूूरी तरह से सक्रिय हो जाएंगे और अपने क्षेत्रों में नुक्कड़ बैठकों के जरिए मतदाताओं को विभिन्न मुद्दों व केंद्रीय तथा राज्य सरकार की योजनाओं को लेकर जागरूक करेंगे। वहीं मंडलों व शक्ति केंद्रों की जिम्मेदारी स्थानीय जनप्रतिनिधियों को सौंपी जा रही है।
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