पूर्व IAS अधिकारी मोहिंदर सिंह से फिर होगी पूछताछ, नोएडा के फ्लैट खरीदारों से ठगी का मामला
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) नोएडा के लोटस-300 प्रोजेक्ट के फ्लैट खरीदारों से ठगी के मामले में पूर्व आइएएस अधिकारी मोहिंदर सिंह से फिर पूछताछ करने की तैयारी में है। इससे पहले ईडी ने सिंह के घर पर छापेमारी की थी और 1.25 करोड़ रुपये का हीरा बरामद किया था। ईडी ने पूर्व नगर पालिका परिषद अध्यक्ष शहला ताहिर के खिलाफ भी जांच शुरू की है।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। नोएडा के लोटस-300 प्रोजेक्ट के फ्लैट खरीदारों से ठगी के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पूर्व आइएएस अधिकारी मोहिंदर सिंह से फिर पूछताछ करने की तैयारी में है। हैसिंडा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी (एचपीपीएल) के एक पूर्व निदेशक सुरप्रीत सिंह सूरी को भी दोबारा तलब किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि नोटिस देकर दोनों को अलग-अलग तिथियों में बुलाया गया है।
ईडी ने इससे पूर्व बसपा सरकार में हुए स्मारक घोटाले में पूव आइएएस अधिकारी से पूछताछ की थी। नोएडा अथारिटी के पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी मोहिंदर सिंह फ्लैट खरीदारों से ठगी के मामले में तीन बार नोटिस दिए जाने के बाद भी सामने नहीं आए थे।
सिंह के साथ ही पूर्व निदेशक सूरी ने भी स्वास्थ्य ठीक न होने का हवाला देकर समय मांगा था। दीपावली से पहले दोनों से पूछताछ हो सकती है। ईडी ने 17 व 18 सितंबर को एचपीपीएल व क्लाउड नाइन प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के पूर्व निदेशकों व मोहिंदर सिंह समेत अन्य के ठिकानों पर छापेमारी की थी। छापेमारी के दौरान संपत्तियों के कई दस्तावेज भी बरामद किए गए थे। मोहिंदर सिंह के घर से सवा पांच करोड़ रुपये का हीरा भी मिला था।
ईडी ने पूर्व नगर पालिका परिषद अध्यक्ष के विरुद्ध शुरू की जांच
लखनऊ : बरेली की नवाबगंज नगर पालिका परिषद में सपा सरकार के दौरान हुए 10.41 करोड़ रुपये के घोटाले में पूर्व अध्यक्ष शहला ताहिर के विरुद्ध प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी जांच शुरू की है। शासन के निर्देश पर वर्ष 2021 में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने पहले जांच की थी और गड़बड़ी पकड़ी थी।
सूत्रों के अनुसार ईडी ने ईओडब्ल्यू के केस को आधार बनाकर अपनी जांच शुरू की है। ईडी जल्द पूर्व अध्यक्ष को पूछताछ के लिए तलब कर सकता है।ईओडब्ल्यू ने आरंभिक जांच में दोषी पाए जाने पर पूर्व अध्यक्ष शहला ताहिर के अलावा पांच तत्कालीन अधिशासी अधिकारियों व अन्य कर्मचारियों के विरुद्ध धोखाधड़ी व गबन समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले की शिकायत लगभग चार वर्ष पूर्व शासन से की गई थी।
शासन ने आर्थिक अनियमितता के गंभीर आरोपों की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी थी। यह भी आरोप था कि पूर्व अध्यक्ष ने बिना अधिशासी अधिकारी की अनुमति के ही 47.31 लाख रुपये निकाल लिए थे। लगभग तीन वर्ष तक चली जांच वर्ष 2012 से 2017 के बीच 10.41 करोड़ रुपये की आर्थिक अनियमितता सामने आई थी। बाद में शहला ताहिर को पद से हटा दिया गया था।