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मेडिकल कॉलेजों व अस्पतालों का नए सिरे से होगा फायर सेफ्टी ऑडिट; झांसी हादसे के बाद डिप्टी सीएम ने दिए निर्देश

उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में आग लगने के बाद बड़ा फैसला लिया है। अब प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में फायर सेफ्टी ऑडिट कराया जाएगा। इसके साथ ही इलेक्ट्रिकल सेफ्टी ऑडिट भी कराया जाएगा। उप मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि आग से बचाव के लिए लगाए गए सभी उपकरणों की समय-समय पर जांच की जाए।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Mon, 18 Nov 2024 10:30 PM (IST)
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उपमुख्यमंत्री के साथ प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा। सूचना विभाग
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज झांसी में आग लगने से नवजात शिशुओं की हुई मौत के बाद अब मेडिकल कॉलेजों व अस्पतालों में नए सिरे से फायर सेफ्टी ऑडिट कराया जाएगा। आग से बचाव के पर्याप्त इंतजाम हैं या नहीं इसकी जांच की जाएगी। जो भी कमियां होंगी उन्हें तत्काल दूर किया जाएगा। वहीं इलेक्ट्रिकल सेफ्टी आडिट भी कराया जाए। 

सोमवार को उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने झांसी की घटना की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए चिकित्सा शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर दिशा-निर्देश दिए। गड़बड़ी मिली तो चिकित्सा अधीक्षक की जवाबदेही तय कर उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।

समय-समय पर माकड्रिल कराई जाए

लाल बहादुर शास्त्री भवन (एनेक्सी) में आयोजित इस बैठक में उप मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि आग से बचाव के लिए लगाए गए सभी उपकरणों की समय-समय पर जांच की जाए। आग लगने पर निकासी की व्यवस्था पर्याप्त है या नहीं और कहीं कोई बिजली के तार तो लटके नहीं हैं। वहीं धुआं निकालने के लिए एक्जास्ट फैन की व्यवस्था है या नहीं। हाइड्रेंट के पाइप भी देखे जाएं। 

आग लगने की स्थिति में जब बिजली की आपूर्ति बंद कर दी जाती है तो अंधेरा हो जाता है। अब इससे निपटने के लिए इमरजेंसी बैटरी वाली लाइटें स्थापित की जाएं। अग्निशमन के पर्याप्त इंतजामों को परखने के लिए समय-समय पर माकड्रिल कराई जाए। चिकित्सा अधिकारी हर दिन विशेषज्ञ टीम के साथ अस्पताल का दौरा करें और यह देखें की आग से बचाव के लिए जो भी व्यवस्था है, वह पुख्ता है या नहीं। अगर कमी मिले तो उसे तत्काल दूर किया जाए।

उन्होंने कहा कि ऑपरेशन थियेटर (ओटी), इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) और नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (एनआइसीयू) में अग्निशमन विभाग से प्रशिक्षित कर्मचारियों को ही तैनात किया जाएगा। 

आठ-आठ घंटे की ड्यूटी इन प्रशिक्षित कर्मचारियों की ही लगाई जाएगी। आग लगने पर यह प्रशिक्षित कर्मचारी बेहतर ढंग से बचाव के कार्य कर सकेंगे। आग की घटना पर काबू पाना आसान होगा।बैठक में प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

अस्पताल व मेडिकल कॉलेजों में न एकत्र करें कबाड़

उप मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि अस्पताल व मेडिकल कॉलेजों में कबाड़ किसी भी कीमत पर एकत्र न होने दें। स्क्रैप से जुड़ी सामग्री का समय-समय पर निस्तारण किया जाए। कई बार इसके कारण भी आग विकराल रूप ले लेती है। ऐसे में इस तरह की लापरवाही बिल्कुल भी न बरती जाए। पूरी सतर्कता बरती जाए।

सीएचसी-पीएचसी पर भी किए जाएं साधन

उप मुख्यमंत्री ने बैठक में अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए कि मेडिकल कॉलेजों, मंडलीय व जिला अस्पतालों के साथ-साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) पर भी आग से बचाव के लिए पर्याप्त इंतजाम किए जाएं। सभी अस्पतालों को चेक लिस्ट दी गई है। फायर अलार्म चेक किए जाएं। वार्डों के बाहर नोटिस बोर्ड पर दर्ज करें कि आग से बचाव के लिए क्या-क्या उपाए किए जाएं। सरकार की ओर से मानक के अनुसार जिन उपकरणों को लगाने के निर्देश हैं, उन्हें ही लगाया जाए।

निजी अस्पतालों पर कसें शिकंजा

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि निजी अस्पतालों की भी निगरानी सख्ती के साथ की जाए। सभी जिलों के मुख्य चिकित्साधिकारी निजी अस्पताल संचालकों से संपर्क कर फायर सेफ्टी आडिट, इलेक्ट्रिकल सेफ्टी आडिट और मॉक ड्रिल कराने की पुख्ता व्यवस्था करें। जहां कमियां हैं उन्हें दूर किया जाए। निर्देश के बावजूद लापरवाही बरतने वाले निजी अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

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