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यूपी उपचुनाव में कैसा रहा चंद्रशेखर का परफॉर्मेंस? आठ सीटों पर उतारे थे उम्मीदवार; चढ़ा दिया सियासी पारा

उत्तर प्रदेश के नौ विधानसभा उपचुनावों में छोटे दलों का प्रदर्शन कमजोर रहा लेकिन चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। मीरापुर में 12% और कुंदरकी में 14000 से अधिक वोटों के साथ उनकी पार्टी ने बसपा को पीछे छोड़ा। अन्य सीटों पर भी उन्होंने चौथा स्थान हासिल किया। एआइएमआइएम ने मीरापुर में 18869 वोट जुटाए।

By Anand Mishra Edited By: Aysha Sheikh Updated: Sat, 23 Nov 2024 09:31 PM (IST)
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चंद्रशेखर आजाद - फाइल फोटो । जागरण
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में नौ सीटों पर हुए उपचुनाव और उससे उपजे परिणाम ने एक बार फिर छोटे दलों को उनकी सियासी हैसियत का अंदाजा करा दिया है। भाजपा और सपा के सीधे मुकाबले में ज्यादातर राजनीतिक दल खेल बिगाड़ने तक की हैसियत में नहीं दिखे, लेकिन यह उपचुनाव तेजी से उभरते चंद्रशेखर आजाद के बढ़ते कद की झलक जरूर दिखा गया।

आजाद की आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) का दो सीटों (मीरापुर और कुंदरकी) पर बसपा को पीछे छोड़ना यह बता रहा है कि यह दल तेजी से वंचित व मुस्लिम समाज में अपनी पैठ बढ़ा रहा है। हालांकि, उपचुनाव में चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी, असदुद्दीन ओवैसी की एआइएमआइएम सहित अन्य छोटे दल उपचुनाव में अपनी जमानत तक नहीं बचा सके।

आठ सीटों पर उतारे थे उम्मीदवार

उपचुनाव में चंद्रशेखर आजाद की पार्टी ने नौ में से आठ सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। मीरापुर में आजाद समाज पार्टी को 12 प्रतिशत (22,661) से कुछ अधिक वोट मिले। कुंदरकी सीट पर भी चंद्रशेखर आजाद की पार्टी तीसरे स्थान पर रही और उसे 14 हजार से अधिक वोट हासिल हुए। इन दोनों ही सीटों पर आजाद समाज पार्टी ने बसपा को पीछे छोड़ दिया।

गाजियाबाद, खैर, करहल, फूलपुर, कटेहरी और मझवां में चंद्रशेखर आजाद की पार्टी भले ही 10 हजार का आंकड़ा पार नहीं कर पाई लेकिन चौथे स्थान जरूर हासिल किया। लोकसभा चुनाव के बाद चंद्रशेखर आजाद की उपचुनाव में मजबूत उपस्थिति को बसपा के लिए खतरे की घंटी भी बताया जा रहा है। उपचुनाव में तीन सीटों पर उम्मीदवार उतारने वाली एआइएमआइएम को भी मीरापुर सीट पर ही सर्वाधिक 18,869 वोट मिले, अन्य सीटों पर पार्टी का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा।

फूलपुर से प्रत्याशी उतारने वाली अपना दल कमेरावादी की पार्टी महज 1068 वोटों पर ही सिमट गई। कटेहरी में तो वह हजार के आंकड़े तक भी नहीं पहुंची। पीस पार्टी का भी कटेहरी में भी कुछ ऐसा ही हाल रहा। कई छोटे दल तो नोटा से की काफी पीछे रहे।

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