Jhansi Medical College Fire: मेडिकल कॉलेज में आग से बच्चों की मौत मामले में कमेटी आज सौंप सकती है रिपोर्ट
झांसी में महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में आग लगने के कारण नवजात शिशुओं की हुई मौत मामले की जांच के लिए गठित उच्चस्तरीय कमेटी शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है। महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा किंजल सिंह की अध्यक्षता में गठित चार सदस्यीय कमेटी तीन बिंदुओं पर अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही है। कमेटी ड्यूटी पर तैनात चिकित्सकों व पैरामेडिकल कर्मचारियों से पूछताछ कर उनकी जवाबदेही तय कर रही है।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में आग लगने के कारण नवजात शिशुओं की हुई मौत मामले की जांच के लिए गठित उच्चस्तरीय कमेटी शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है। महानिदेशक, चिकित्सा शिक्षा किंजल सिंह की अध्यक्षता में गठित चार सदस्यीय कमेटी तीन बिंदुओं पर अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही है। आग लगने का प्राथमिक कारण, लापरवाही बरतने वालों को चिह्नित करना और भविष्य में घटनाएं न हों इसके लिए रोडमैप भी तैयार करेगी।
कमेटी ड्यूटी पर तैनात चिकित्सकों व पैरामेडिकल कर्मचारियों से पूछताछ कर उनकी जवाबदेही तय कर रही है। भविष्य में आग की घटनाएं न हों इसके लिए अस्पतालों में नियमित फायर सेफ्टी ऑडिट, इलेक्ट्रिकल सेफ्टी ऑडिट के साथ-साथ एक निश्चित समय अंतराल में मॉकड्रिल कर तैयारी परखने पर आगे जाेर दिया जाएगा। यही नहीं अग्निशमन विभाग से प्रशिक्षित एक पैरामेडिकल कर्मी हर वक्त ड्यूटी पर रहेगा। आठ-आठ घंटे की ड्यूटी पर चौबीस घंटे इन्हें तैनात किया जाएगा।
आग भयावह रूप न ले इसके लिए एग्जास्ट फैन लगाने और निकास द्वार के आसपास कोई सामान न रखा जाए इसके लिए सख्त हिदायत दी जाएगी। फिलहाल, कमेटी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने में जुटी है। उम्मीद जताई जा रही है कि शुक्रवार को इसे सौंपा जाएगा। अगर साक्ष्य जुटाने व रिपोर्ट को अंतिम रूप देने में देरी हुई तो फिर शनिवार को दी जाएगी।
मेडिकल कॉलेज में फायर सेफ्टी के लिए अग्रिशमन विभाग ने किया मॉक ड्रिल
उधर, ललितपुर में स्वाशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय में गुरुवार को अग्रिशमन विभाग की ओर से फायर सेफ्टी, फायर फाइटिंग एवं इवैकुएसन प्लान के लिए मॉक ड्रिल की गई। इस दौरान अग्निशमन विभाग के लीडिंग फायर मैन इशाक हाशमी ने चिकित्सालय परिसर में मौजूद लोगों को अग्नि सुरक्षा के नियम बताये और किसी भी तरह की आगजनी, शार्ट सर्किट व आग लगने की स्थिति में बिना घबराए मरीजों और जान माल को सुरक्षित कैसे किया जाय? इस बारे में विस्तार से समझाया।
मेडिकल कॉलेज के अग्नि सुरक्षा के प्रभारी अधिकारी डॉ. डीवी सिंह ने बताया कि मेडिकल कॉलेज के नव निर्मित 300 बेड अस्पताल में पानी की निर्वहन पाइप लाइन की व्यवस्था है, साथ ही जगह- जगह अग्निशमन यंत्र रखे हुए हैं। अग्निशमन संयंत्रों की विशेष व्यवस्था है। मेडिकल कॉलेज में किसी भी तरह की आग लगने की स्थिति में मौके पर उपलब्ध अग्रिशमन यन्त्र का प्रयोग किस प्रकार करना है यह भी विस्तार से समझाया। जिला आपदा प्रबंधन टीम की आरती सिंह ने बताया कि जब भी आग लगती है तो धुआं होता है, धुएं से दम घुटता है तो अपने पास जो भी कपड़ा हो या रुमाल हो तो उसे गीला करके नाक और मुंह पर मास्क की तरह बांध लें, जिससे धुएं में दम नहीं घुटेगा। इस दौरान घरेलू आग व सिलेंडर में आग लगने पर उसे बुझने के तरीके सिखाए और उसका प्रशिक्षण दिया गया।
मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉक्टर द्विजेंद्र नाथ ने कहा कि मेडिकल कॉलेज औरएवं नव निर्मित चिकित्सालय मैं अग्निशमन संयंत्र उपलब्ध है अगर, किसी तरह की आगजनी की घटना होती है तो हम उससे निपटने में समर्थ है। यह भी पढ़ें: Jhansi Medical College: झांसी मेडिकल कॉलेज के शिशु वार्ड में दिल दहलाने वाली घटना, आग लगने से 10 नवजात की मौत
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