'बुर्के में छिपकर पीड़ित महिलाओं से की मुलाकात', जागरण संवादी में लेखिका नाइश हसन ने अपनी किताब 'मुताह' से किया खुलासा
Lucknow Jagran Sanwadi 2024 मुताह लिखने से पहले की परिस्थितियों का जिक्र करते हुए नाइश बोली 12 वर्ष की आमिना को एक सत्तर वर्ष का बूढ़ा अरबी शेख ब्याह कर अरब ले जा रहा था एयर होस्टेस अमृता अहलूवालिया ने उस बच्ची की मदद कर आजाद कराया था। सालों पहले की घटना हुई थी लेकिन यह सिलसिला आज भी थमा नहीं।
विवेक राव, जागरण, लखनऊ। क्या आप सोच सकते हैं कि आज के आधुनिक युग में भी 10 दिन, 15 दिन, या दो महीने की शादियां हो रही हैं? इसे ‘मुताह’ कहा जाता है, अरबी के इस शब्द का मतलब ‘आनंद’ या ‘मजा’ से है, लेकिन इस आनंद की कीमत महिलाओं की गरिमा और अधिकारों से चुकाई जा रही है।
दूसरा सत्र ‘जागरण ज्ञानवृत्ति’ के रहा नाम
दैनिक जागरण के संवादी का दूसरा सत्र ‘जागरण ज्ञानवृत्ति’ के नाम रहा। इसमें ‘मुताह’ पुस्तक की लेखिका नाइश हसन ने जब अपने शोध का खुलासा किया, तो सुनने वालों की आंखें खुली रह गईं। मुताह के तहत, एक तय रकम के बदले एक तय समय के लिए शादी की जाती है, और समय पूरा होते ही वह खत्म हो जाती है।
'बुर्के में छिपकर पीड़ित महिलाओं से की मुलाकात'
मुताह लिखने से पहले की परिस्थितियों का जिक्र करते हुए नाइश बोली, 12 वर्ष की आमिना को एक सत्तर वर्ष का बूढ़ा अरबी शेख ब्याह कर अरब ले जा रहा था, एयर होस्टेस अमृता अहलूवालिया ने उस बच्ची की मदद कर आजाद कराया था। सालों पहले की घटना हुई थी, लेकिन यह सिलसिला आज भी थमा नहीं। जब वह इन कहानियों के पीछे शोध करने ग्राउंड पर उतरीं तो हैदराबाद में ही बहुत सारे केस मिल गए। उन्होंने खुद को बुर्के में छिपाकर पीड़ित महिलाओं से मुलाकात की और उनके दर्द को जाना।'अरब और हिंदुस्तान के अच्छे रिश्ते रहे'
शोध में यह भी सामने आया कि मुताह विवाह में शिया समुदाय की अपेक्षा सुन्नी समुदाय के लोग अधिक शामिल थे। शादी के नाम पर लड़कियों को कुछ समय बाद छोड़ दिया गया।नाइश हसन इस प्रथा के पीछे के कारणों के सवाल के जवाब में बोली, अरब और हिंदुस्तान के अच्छे रिश्ते रहे, व्यापार के सिलसिले में जो आए उन्होंने हिंदुस्तानी महिलाओं से शादी के समय एक अच्छी खासी रकम (महर) देते थे, बाद में दलालों ने लालच में अरब से आने वाले लोगों से पैसे लेकर एक - दो माह की शादियां कराई जो बाद में छोड़ कर चले गए।
‘हिंदुत्व का राष्ट्रीयकरण’ किताब पर हुई चर्चा
जागरण ज्ञानवृत्ति में निर्मल पांडेय ने अपनी पुस्तक ‘हिंदुत्व का राष्ट्रीयकरण’ पर चर्चा की, बोले, कुछ विघटनकारी ताकतों ने भारत को कभी राष्ट्र नहीं माना, इसे लेकर सवाल भी उठाए गए। जबकि हिंदी, हिंदू हिंदुस्तान सरीखे मानकों ने हिंदुत्व के राष्ट्रीयकरण के लिए जमीन तैयार की।सत्र का संचालन कर रहे नवीन चौधरी ने दोनों से जागरण ज्ञानवृत्ति के अनुभव को लेकर सवाल किए, जिस पर नाइश हसन और निर्मल पांडेय ने बताया कि हिंदी में मौलिक शोध को बढ़ावा देने के लिए जागरण ने कदम उठाया, वह एक पुस्तक के रूप में सामने आया।
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