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यूपी के बाहर सपा-कांग्रेस में ‘हम आपके हैं कौन’ वाला रिश्ता! अखिलेश यादव कहां तक बचाएंगे गठबंधन

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की स्थिति अन्य राज्यों में अलग है। मध्य प्रदेश और हरियाणा में कांग्रेस ने सपा को एक भी सीट नहीं दी। अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी गठबंधन को लेकर संशय है। सपा जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ रही है। यूपी विधानसभा उपचुनाव में भी सपा कांग्रेस को जवाब दे सकती है।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Tue, 17 Sep 2024 09:04 PM (IST)
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जहां प्रभाव, वहां ही चलेगा कांग्रेस का सपा से गठबंधन का दांव।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। वर्ष 2017 के यूपी विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन करके चुनाव लड़ने वाली समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को अन्य राज्यों में एक दूसरे का साथ पसंद नहीं आ रहा है। 

पहले मध्य प्रदेश और अब हरियाणा में कांग्रेस ने सपा को एक भी सीट नहीं देकर यह संदेश दे दिया है कि गठबंधन केवल उत्तर प्रदेश तक ही रहेगा। दूसरे प्रदेशों में सपा का प्रभाव न होने के कारण कांग्रेस उसे गठबंधन से दूर रख रही है।

महाराष्ट्र में भी गठबंधन को लेकर संशय

अब महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी सपा का कांग्रेस से गठबंधन हो सकेगा, इसे लेकर संशय है। वहीं, यूपी विधानसभा की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में भी सपा इसका जवाब कांग्रेस को दे सकती है। यूपी में सपा की स्थिति कांग्रेस से कहीं अधिक मजबूत है।

लोकसभा चुनाव में यूपी में 37 सीटें जीतने वाली सपा दूसरे राज्यों की विधानसभाओं में खाता खोलकर राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त करना चाहती है। दूसरे राज्यों में सपा का संगठन उतना प्रभावी नहीं है, जितना उत्तर प्रदेश में है।

मध्य प्रदेश में भी दिया था झटका 

ऐसे में सपा ने कांग्रेस के सहारे चुनाव मैदान में उतरने की कोशिश कई बार की है। पहले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा कांग्रेस के साथ गठबंधन करना चाहती थी। उस चुनाव में कांग्रेस के सपा से गठबंधन न करने पर सपा ने अपने दम पर 22 प्रत्याशी उतारे थे। सपा का खाता तो नहीं खुला, लेकिन कांग्रेस को कुछ सीटों पर नुकसान जरूर हुआ।

हरियाणा की मुस्लिम और यादव बहुल 12 विधानसभा सीटों पर सपा ने कांग्रेस से गठबंधन करने का प्रयास किया था। बात पांच और फिर तीन सीट पर आकर टिक गई थी। कांग्रेस ने अपनी सूची जारी की तो एक भी सीट सपा के लिए नहीं छोड़ा।

अखिलेश ने दिए त्याग के संकेत

हालांकि, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ‘बात सीट की नहीं, जीत की है’ कहकर गठबंधन धर्म निभाने के लिए त्याग करने के संकेत दे दिए। हरियाणा के सपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह भाटी भी कहते हैं कि तीन सीटों को लेकर कांग्रेस आलाकमान ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को संदेश भेजा था। संगठन ने पूरी तैयारी की, लेकिन कांग्रेस इससे पीछे हट गई। 

वहीं, दूसरी ओर जम्मू- कश्मीर की 20 सीटों पर सपा ने कांग्रेस गठबंधन नहीं होने पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। जम्मू -कश्मीर में कांग्रेस और सपा आमने-आमने है। अखिलेश के जम्मू-कश्मीर में प्रचार के लिए भी जाने की तैयारी है। 

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के बाद अब महाराष्ट्र मे गठबंधन को लेकर कयास लगाए जाने लगे हैं। वैसे सपा की महाराष्ट्र यूनिट ने 12 सीटों पर प्रत्याशी तय कर दिए हैं। यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय, विधायक इंद्रजीत सरोज, तूफानी सरोज और लकी यादव को महाराष्ट्र चुनाव का प्रभारी भी बनाया जा चुका है।

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