UP By Election 2024: कौन हैं सुरेश अवस्थी जिस पर बीजेपी ने फिर जताया भरोसा, कई नामों की चल रही थी चर्चाएं
उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में भाजपा ने अपने आठों उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। गुरुवार सुबह भाजपा ने सात उम्मीदवारों का एलान किया और शाम होने से पहले आखिरी बची सीट सीसामऊ के प्रत्याशी का नाम बता दिया। भाजपा ने सीसामऊ से सुरेश अवस्थी को टिकट दिया है। बता दें कि सीसामऊ सीट पर सपा ने नसीम सोलंकी को अपना प्रत्याशी बनाया है।
जागरण संवाददाता, कानपुर। लंबी खींचतान के बाद आखिर भाजपा ने सीसामऊ विधानसभा सीट पर फिर से सुरेश अवस्थी पर ही भरोसा जताया है। इससे पहले 2017 में भी सुरेश अवस्थी ने सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था।
2022 में सलिल विश्नोई और उनकी सीटें आपस में बदल दी गई थीं और वह आर्यनगर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े थे। हालांकि दोनों ही बार उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। अब वह तीसरी बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं।
डीएवी कालेज में छात्र संघ की राजनीति से अपना राजनीतिक करियर बढ़ाने वाले सुरेश अवस्थी भाजपा की जिला कमेटी में भी रहे। इसके बाद वह क्षेत्र में महामंत्री भी रहे। उन्हें परिवर्तन यात्रा की जिम्मेदारी भी दी गई। इसके बाद 2017 में उन्हें सीसामऊ विधानसभा सीट पर प्रत्याशी बनाया गया। वहां उन्हें 67,204 वोट मिले थे लेकिन सपा के इरफान सोलंकी ने उन्हें 5,826 वोटों से हरा दिया।
2022 में आर्यनगर विधानसभा क्षेत्र में उन्हें 68,973 वोट मिले लेकिन यहां वह सपा के अमिताभ बाजपेई से 7,924 वोटों से हार गए। पार्टी नेताओं के मुताबिक पिछले दो चुनाव के करीबी संघर्ष को देखते हुए उन्हें फिर से टिकट दी गई है।
गुरुवार को नामांकन प्रक्रिया के छठे दिन तक भाजपा ने अपने प्रत्याशी की घोषणा को रोके रखा। इस दौरान जहां बुधवार को राकेश सोनकर ने नामांकन पत्र खरीद कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात तक कर ली, वहीं गुरुवार को सुबह पहले नीतू सिंह का नाम तेजी से चर्चा में आया।इसके बाद दोपहर होते-होते उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सांसद स्वर्गीय श्याम बिहारी मिश्रा के बेटे मुकुंद मिश्रा का नाम भी चला लेकिन घोषणा सुरेश अवस्थी की हुई।
पार्टी नेताओं का मानना है कि राकेश सोनकर ने जिस तरह से नामांकन फार्म खरीदे और उसके बाद भी उन्हें टिकट नहीं मिला, उससे भाजपा दलितों को जोड़ऩे के जिस तरह के प्रयास कर रही थी, उसे झटका लगने की पूरी आशंका है। पार्टी में भी इस बार शुरू से ही यह चर्चा थी कि किसी दलित नेता को टिकट दिया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।बताते चलें कि इससे पहले भाजपा ने सात उम्मीदवारों के नामों के साथ पहली सूची जारी की थी। एक सीट रालोद को देने के बाद सीसामऊ पर दोपहर तक सस्पेंस बना हुआ था। इससे पहले कुंदरकी से रामवीर सिंह ठाकुर, गाजियाबाद से संजीव शर्मा, खैर से सुरेंद्र दिलेर, करहल से अनुजेश यादव, फूलपुर से दीपक पटेल, कटेहरी से धर्मराज निषाद और मझवां से सुचिस्मिता मौर्य को उम्मीदवार बनाया गया है।
अनुजेश यादव सपा सांसद धर्मेंद्र यादव के बहनोई हैं। दीपक पटेल पूर्व सांसद केशरी देवा पटेल के पुत्र हैं। भाजपा ने मीरापुर की सीट राष्ट्रीय लोकदल के लिए छोड़ दी है, जहां रालोद ने मिथलेश पाल को अपना प्रत्याशी बनाया है।
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