यूपी उपचुनाव में बीजेपी ने शानदार जीत दर्ज की है जबकि सपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है। इस लेख में हम सपा की हार के कारणों का विश्लेषण करेंगे जिसमें अखिलेश यादव का परिवारवाद इंडिया गठबंधन को तरजीह नहीं देना और सीएम योगी आदित्यनाथ के नारों को गंभीरता से नहीं लेना शामिल है। इसे समझिये विस्तार से...
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। यूपी की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी का जादू चला है। सीएम योगी का बुलडोजर इस उपचुनाव में काम आया, लेकिन सपा की साइकिल नहीं चली। 9 सीटों में से सात सीटों पर भाजपा ही जीती है। वहीं, सपा का जादू सिर्फ दो सीटों पर ही चल सका। सपा यूपी उपचुनाव में क्यों हारी, क्या कारण है...कुछ प्वॉइंट्स में समझिये-
बता दें कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी का यूपी में पिछले 10 सालों में सबसे खराब प्रदर्शन रहा था। जिसका कारण टिकटों का जल्दी बंटवारा रहा समेत पेपर लीक और रोजगार के मुद्दे का जोर पकड़ना रहा। इस वजह से यूपी उपचुनाव में भाजपा ने जोरदार प्रदर्शन करते हुए कमल खिला दिया है। लोकसभा चुनाव के बाद सीएम योगी ने खुद कमान संभाली और 9 सीटों पर उपचुनाव में दोनों डिप्टी सीएम की ड्यूटी तय कर दी।
1- सपा ने इंडिया गठबंधन को तरजीह नहीं दी
उपचुनाव के नतीजों को देखकर लग रहा है कि अखिलेश का गठबंधन को तरजीह ना देना भारी पड़ गया। अखिलेश ने लोकसभा चुनाव की तरह उपचुनाव में भी कांग्रेस के साथ को सही तरीके (गंभीरता) से नहीं लिया। राजनीतिकार बताते हैं कि कांग्रेस जितनी भी सीट मांग रही थी, सपा ने उसे नहीं दिया। सपा ने सात सीटों पर एकतरफा तौर पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया। बताया जा रहा है कि अगर कांग्रेस को सीट मिलती और वो भी सपा के साथ पूरी ताकत से चुनावी मैदान में रहती तो कुछ सीटों का परिणाम अलग हो सकता था। फिर शायद दो सीटें नहीं, सपा के खाते में कुछ और सीटें आ सकती थीं।
2- अखिलेश ने योगी के नारे को गंभीरता से नहीं लिया
समाजवादी पार्टी ने फूलपुर, सीसामऊ, कुंदरकी और मीरापुर में चार मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारा, जिसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ा। सीसामऊ को छोड़कर अन्य सीटों पर हिंदू मतदाता ज्यादा हैं, इसलिए ये सीटें भाजपा की ओर चली गईं। यहां पर सीएम योगी का 'बंटेंगे तो कटेंगे' का नारा चल गया। फूलपुर सीट पर भी मुस्लिम प्रत्याशी उतारने का निर्णय किसी को भी हजम नहीं हुआ। कांग्रेस ये सीट सपा से मांग रही थी।
3- सपा पर परिवारवाद हावी रहा
बता दें कि अखिलेश यादव ने तीन सीटों पर परिवार के लोगों को टिकट दिया था, जिसमें करहल विधानसभा सीट से तेज प्रताप यादव, सीसामऊ से नसीम सोलंकी और अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट से सांसद लालजी वर्मा की पत्नी शोभवती वर्मा को टिकट दिया था। राजनीतिकारों का मानना है कि कार्यकर्ताओं के बीच परिवारवाद हावी रहा और ये मैसेज जनता के बीच सही तरीके से नहीं गया।
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