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नजूल संपत्ति प्रबंध अध्यादेश को कैबिनेट की नहीं मिल सकी मंजूरी, पढ़ें नजूल भूमि को लेकर क्या है यूपी सरकार की मंशा

उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति (प्रबंध हेतु संक्रमणकालीन उपबंध) अध्यादेश-2024 को कैबिनेट की मंजूरी नहीं मिली। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना की अध्यक्षता में समिति गठित की है जो अध्यादेश के प्रावधानों का अध्ययन करेगी। समिति की रिपोर्ट के बाद ही कैबिनेट अध्यादेश को पारित करने पर विचार करेगी। इसके लिए सीएम ने समिति गठित की है।

By Ajay Jaiswal Edited By: Abhishek Pandey Updated: Sat, 23 Nov 2024 08:27 AM (IST)
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नजूल संपत्ति प्रबंध अध्यादेश को कैबिनेट की नहीं मिल सकी मंजूरी
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) विधेयक-2024 के विधान परिषद में लटकने व नजूल भूमि के प्रबंधन संबंधी अध्यादेश के समाप्त होने पर अब प्रस्तावित उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति (प्रबंध हेतु संक्रमणकालीन उपबंध) अध्यादेश-2024 को कैबिनेट की हरी झंडी नहीं मिल सकी।

शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में संबंधित अध्यादेश को मंजूरी देने के बजाय उसके प्रावधानों का अध्ययन करने के लिए वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना की अध्यक्षता में समिति गठित करने का निर्णय किया गया। अब समिति द्वारा मुख्यमंत्री को संस्तुति रिपोर्ट सौंपने के बाद कैबिनेट प्रस्तावित अध्यादेश को पारित करने पर विचार करेगी।

अगर शुक्रवार को प्रस्तावित अध्यादेश कैबिनेट से पारित हो जाता तो राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद नजूल भूमि का पूर्ण स्वामित्व निजी व्यक्ति या संस्था को मिलने का रास्ता बंद हो जाता। प्रस्तावित अध्यादेश के प्रावधानों के माध्यम से सरकार नजूल भूमि का आरक्षण एवं उसका उपयोग केवल सार्वजनिक इकाईयों में ही सुनिश्चित करती।

अब समिति गठित होने से चर्चा है कि कुछ खास मामलों में शर्तों के साथ नजूल भूमि को मुख्यमंत्री की अनुमति से फ्रीहोल्ड किए जाने की व्यवस्था अध्यादेश में की जा सकती है।

विधेयक को नहीं मिल सकी थी हरी झंडी

उल्लेखनीय है कि अगस्त में आयोजित विधानसभा के सत्र में कड़े विरोध और हंगामे के बीच उप्र नजूल संपत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) विधेयक-2024 पारित हो गया था लेकिन विधान परिषद (उच्च सदन) में भाजपा का बहुमत होने के बावजूद विधेयक को हरी झंडी नहीं मिल सकी थी और उसे प्रवर समिति को सौंप दिया गया था।

गौरतलब है कि प्रदेश में लगभग 75 हजार एकड़ नजूल जमीन है, जिसकी कीमत दो लाख करोड़ रुपये आंकी गई है। सरकार का मानना है क पूर्व की सरकारों में अरबों रुपये की नजूल जमीन को कौड़ियों में फ्रीहोल्ड करने का बड़ा खेल किया जाता रहा है। इसमें लिप्त भू-माफिया से लेकर नेता और नौकरशाह ही जनहित को ढाल बनाकर अपने हितों को साधने रहे हैं। सरकार अध्यादेश के माध्यम से न केवल अरबों रुपये की नजूल जमीन का सार्वजनिक हित में प्रयोग सुनिश्चित करना चाहती है।

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