दो माह बाद भी यूपी आउटसोर्स सेवा निगम का गठन नहीं, लाभ के इंतजार में कर्मचारी
उत्तर प्रदेश में आउटसोर्स सेवा निगम के गठन में देरी हो रही है, जिससे चार लाख से अधिक कर्मचारियों को वेतन वृद्धि और अन्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। सचिवालय प्रशासन विभाग अब कंपनी अधिनियम में पंजीकरण कराने की तैयारी कर रहा है। निगम का उद्देश्य आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को शोषण से बचाना और उन्हें बेहतर सुविधाएँ प्रदान करना है, जिसमें 20 हजार रुपये का न्यूनतम मानदेय शामिल है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम गठन के प्रस्ताव पर कैबिनेट की स्वीकृति मिलने के दो माह बाद भी निगम का गठन नहीं किया जा सका है। गठन नहीं होने से आउटसोर्स के माध्यम से प्रदेश में कार्यरत चार लाख से अधिक कार्मिकों को मानदेय में वृद्धि व अन्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। सचिवालय प्रशासन विभाग अब आउटसोर्स सेवा निगम के गठन के लिए कंपनीज एक्ट में रजिस्ट्रेशन कराने की तैयारी कर रहा है।
आउटसोर्स सेवा निगम पब्लिक लिमिटेड कंपनी होगी जिसे गैर लाभकारी संस्था के रूप में संचालित किया जाएगा। सचिवालय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव मनीष चौहान का कहना है कि कंपनीज एक्ट में रजिस्ट्रेशन से पूर्व की औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। कंपनी बन जाने के बाद सबसे पहले महानिदेशक की नियुक्ति होगी। इसके बाद अन्य प्रक्रियाएं पूरी की जाएंगी।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में दो सितंबर को कैबिनेट की बैठक में निगम के गठन के प्रस्ताव को स्वीकृत किया गया था। इसके बाद 20 सितंबर को निगम के गठन के लिए शासनादेश भी जारी कर दिया गया। शासनादेश जारी होने के समय यह माना गया था कि दो माह में निगम का गठन कर दिया जाएगा और इसके बाद भर्तियां शुरू कर दी जाएंगी।
इस निगम के गठन का उद्देश्य आउटसोर्सिंग के माध्यम से काम कर रहे कर्मचारियों को शोषण से मुक्ति दिलाने की है। भर्तियां निष्पक्षता और पारदर्शिता से होंगी। कार्मिकों को न्यूनतम 20 हजार रुपये मानदेय दिया जाना है। कार्मिकों को प्रत्येक माह की पांच तारीख तक मानदेय का भुगतान होने लगेगा। मानदेय सहित मातृत्व अवकाश, चिकित्सीय अवकाश, स्वास्थ्य सेवाएं, ईपीएफ आदि लाभ दिए जाएंगे।

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