UPPCL: उपभोक्‍ताओं को महंगी ब‍िजली देने के बावजूद क्‍यों बढ़ता जा रहा ब‍िजली व‍िभाग का घाटा, र‍िपोर्ट आई सामने - UPPCL Why is loss of electricity department increasing despite giving expensive electricity to consumers
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UPPCL: उपभोक्‍ताओं को महंगी ब‍िजली देने के बावजूद क्‍यों बढ़ता जा रहा ब‍िजली व‍िभाग का घाटा, र‍िपोर्ट आई सामने

पावर कारपोरेशन की हालिया रिपोर्ट से साफ है कि कारपोरेशन को गंभीर वित्तीय संकट में पहुंचाने में सबसे बड़ी भूमिका पूर्वी उत्तर प्रदेश के निवासियों को बिजली आपूर्ति करने वाले पूर्वांचल डिस्काम(विद्युत वितरण निगम) की है। स्थिति यह है कि इस क्षेत्र में आपूर्ति की जा रही बिजली पर आने वाले कुल खर्चे का 49.75 प्रतिशत कारपोरेशन को नहीं मिल पा रहा है।

By Ajay Jaiswal Edited By: Vinay Saxena Updated: Tue, 26 Nov 2024 12:32 PM (IST)
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बिजली आपूर्ति पर हो रहे कुल खर्चे का एक-तिहाई से ज्यादा कारपोरेशन को नहीं मिल पा रहा है।
अजय जायसवाल, ब्यूरो। सस्ते में बिजली खरीदकर कहीं ज्यादा दरों पर उपभोक्ताओं को बिजली देने पर भी बिजली कंपनियों का घाटा साल-दर-साल यूं ही नहीं बढ़ता जा रहा है। कुछ अभियंताओं-कर्मचारियों की मिलीभगत से बिजली की चोरी तो बड़े पैमाने पर हो ही रही है, आपूर्ति की जा रही बिजली के बिल की वसूली में भी लापरवाही बरती जा रही है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेशवासियों को बिजली आपूर्ति पर हो रहे कुल खर्चे का एक-तिहाई से ज्यादा कारपोरेशन को नहीं मिल पा रहा है।

पावर कारपोरेशन की हालिया रिपोर्ट से साफ है कि कारपोरेशन को गंभीर वित्तीय संकट में पहुंचाने में सबसे बड़ी भूमिका पूर्वी उत्तर प्रदेश के निवासियों को बिजली आपूर्ति करने वाले पूर्वांचल डिस्काम (विद्युत वितरण निगम) की है। स्थिति यह है कि इस क्षेत्र में आपूर्ति की जा रही बिजली पर आने वाले कुल खर्चे का 49.75 प्रतिशत कारपोरेशन को नहीं मिल पा रहा है।

मतलब यह कि इस क्षेत्र में अगर कारपोरेशन बिजली आपूर्ति पर 100 रुपये खर्च कर रहा है तो उसे तकनीकी व वाणिज्यिक हानियों(एटीएंडसी) के चलते सिर्फ 50 रुपये ही मिल रहे हैं। 50 रुपये का उसे घाटा उठाना पड़ रहा है। इसी तरह दक्षिणांचल डिस्काम वाले क्षेत्र में 39.45 प्रतिशत, मध्यांचल डिस्काम के क्षेत्र में 30.72 प्रतिशत और पश्चिमांचल डिस्काम के क्षेत्र में आपूर्ति की जा रही बिजली में से 26.01 प्रतिशत का कारपोरेशन को कुछ नहीं मिल रहा है।

बड़े पैमाने पर बिजली चोरी का ही नतीजा है कि जिस बिजली को विभिन्न श्रेणियों के उपभोक्ताओं तक पहुंचाने की औसत लागत 7.86 रुपये प्रति यूनिट है उसके लिए कारपोरेशन को 4.70 रुपये प्रति यूनिट ही मिल रहा है। गौर करने की बात यह है कि दक्षिणांचल में आपूर्ति की जा रही बिजली के लिए प्रति यूनिट कारपोरेशन को तो मात्र 3.66 रुपये ही हासिल हो रहे हैं।

इसी तरह पूर्वांचल से 4.05 रुपये, मध्यांचल से 4.66 रुपये और पश्चिमांचल से 5.72 रुपये प्रति यूनिट मिल रहे हैं। दूसरी तरफ बिजली चोरी पर कड़ाई से अंकुश का नतीजा है केस्को से कारपोरेशन को सर्वाधिक 7.32 रुपये प्रति यूनिट मिल रहे हैं। चूंकि पूर्वांचल व दक्षिणांचल डिस्काम से कारपोरेशन को सबसे ज्यादा चूना लग रहा है कि इसलिए पहले-पहल इन्हें ही निजी हाथों में सौंपने की तैयारी है।

एनपीसीएल के उपभोक्ताओं को मिल रही सस्ती बिजली

ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के डेढ़ लाख से अधिक उपभोक्ताओं को नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड (एनपीसीएल) द्वारा बिजली की आपूर्ति की जा रही है। गौर करने की बात यह है कि क्षेत्र में बिजली चोरी पर अंकुश के कारण वहां के उपभोक्ताओं को प्रदेश के अन्य उपभोक्ताओं से 10 प्रतिशत सस्ती बिजली मिल रही है। संबंधित कंपनी भी फायदे में है।

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