Move to Jagran APP

सपा के गढ़ में भाजपा ने लगाई सेंध! पहली बार यादवों के गांव में लगा BJP का बस्ता, सैफई परिवार को मिली कड़ी टक्कर

Karhal By Election 2024 मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट पर उपचुनाव में सैफई परिवार और उनके रिश्तेदार के बीच कांटे की टक्कर है। सपा से तेज प्रताप यादव और भाजपा से अनुजेश यादव मैदान में हैं। अनुजेश यादव सपा सांसद धर्मेंद्र यादव के सगे बहनोई हैं। करहल को सपा का गढ़ माना जाता है लेकिन इस बार यादव मतदाताओं में बंटवारा दिख रहा है।

By Dileep Sharma Edited By: Abhishek Pandey Updated: Thu, 21 Nov 2024 09:18 AM (IST)
Hero Image
गांव रठेरा में लगे भाजपा के बस्ता पर वोटर लिस्ट देखते मतदाता। जागरण
दिलीप शर्मा, मैनपुरी। करहल विधानसभा उपचुनाव में सैफई परिवार और उनके रिश्तेदार के बीच कांटे की टक्कर की तस्वीर बन रही है। चुनाव में इस बार सपा से सैफई परिवार के सदस्य पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव प्रत्याशी हैं, जबकि भाजपा ने सैफई परिवार के रिश्तेदार भारोल परिवार के अनुजेश यादव को मैदान में उतारा है।

अनुजेश यादव, सपा सांसद धर्मेंद्र यादव के सगे बहनोई हैं और तेजप्रताप यादव के फूफा लगते हैं। अनुजेश यादव की मां उर्मिला यादव घिरोर विधानसभा सीट से दो बार विधायक भी रह चुकी हैं। ऐसे में भारोल परिवार की क्षेत्र में गहरी पैठ मानी जाती है, दूसरी तरफ करहल को समाजवादी पार्टी का गढ़ कहा जाता है।

दोनों परिवारों में कांटें की टक्कर

ऐसे में चुनाव की शुरुआत से ही दोनाें परिवारों के बीच कांटें की टक्कर और यादव मतदाताओं में बंटवारा होने की चर्चांएं चल रही थीं। बुधवार को मतदान के दौरान यादव बहुल गांवों में यह तस्वीर नजर भी आई। पहली बार यादवों के कई गांवों में भाजपा के बस्ते लगे। इसके चलते कहीं कम तो कहीं ज्यादा, बंटवारा होने की संभावना जताई जा रही है।

करहल विधानसभा सीट पर वर्ष 1993 के बाद से 2022 तक सपा केवल एक चुनाव हारी है और बीते चार चुनाव से लगातार जीत रही है। वर्ष 2022 में सपा मुखिया अखिलेश यादव इसी सीट से विधायक बने थे और उन्होंने 67 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी।

यादव वोटर की संख्या सबसे अधिक

विधानसभा क्षेत्र में यादव मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है, जो सवा लाख के करीब मानी जाती है। इसके बाद दूसरे नंबर शाक्य मतदाता आते हैं, जिनकी संख्या 40 हजार के आसपास मानी जाती है। क्षत्रिय और जाटव मतदाता 30-30 हजार हैं। पाल-धनगर मतदाताओं की संख्या 30 से 35 हजार के बीच मानी जाती है। ब्राह्मण और मुसलमान मतदाता 15-15 हजार बताए जाते हैं। कठेरिया समाज और लोधी समाज के मतदाता 18-18 हजार के आसपास बताई जाती है।

करहल को कहा जाता है यादवों का गढ़

पूर्व के चुनावों में सपा को यादवाें के अधिकतम समर्थन और अन्य जातियों के साथ से जीत मिलती रही है। इसी आधार पर इसे सपा का गढ़ कहा जाने लगा। भाजपा ने इस सीट पर केवल एक बार वर्ष 2002 के चुनाव में जीत हासिल की थी। उस चुनाव में भाजपा ने सोबरन सिंह यादव को प्रत्याशी बनाया था। इस बार भाजपा ने बड़ा दांव खेलते हुए सैफई परिवार के रिश्तेदार अनुजेश यादव को प्रत्याशी बनाया।

उनके प्रत्याशी बनने के बाद से यादव मतदाताओं में सेंध लगने के कयास लगाए जा रहे थे। इस बंटवारे का अंदाजा सपा को भी था। इसी कारण अखिलेश यादव, सपा सांसद डिंपल यादव सहित पूरे सैफई परिवार ने घिरोर और बरनाहल क्षेत्र में भी सबसे ज्यादा प्रचार किया था। भाजपा ने भी इन्हीं क्षेत्र में सबसे ज्यादा ताकत झोंकी थी।

बुधवार को मतदान के दौरान इसका कहीं कम तो कहीं ज्यादा असर भी नजर आया। उन पर मतदाता भी दिखे। घिरोर और बरनाहल ब्लाक के गांवों में विशेषकर यह स्थिति रही। भाजपा नेता इस बार यादव मतों में बड़ी हिस्सेदारी मिलने के साथ अन्य जातियों का बड़ा समर्थन मिलने का दावा कर रहे हैं। वहीं सपा की ओर से भाजपा के दावों को नकारते हुए बड़ी जीत का दावा किया जा रहा है।

यादवों के गांव रठेरा में पहली बार लगा भाजपा का बस्ता

करहल विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए हुए मतदान के बाद परिणाम चाहे जिसके पक्ष में जाए, परंतु इस बार भाजपा यादवों की बीच उपस्थित दर्ज कराने में सफल रही। जिले के चुनावी इतिहास में पहली बार मैनपुरी ब्लाक क्षेत्र के गांव रठेरा में भाजपा का बस्ता नजर आया। गांव में पूरी आबादी यादवों की है और 4400 मतदाता हैं।

यादवों के इस गांव में इससे पहले हुए चुनावों में केवल समाजवादी पार्टी का ही बस्ता लगता था। इसी तरह दर्जनों यादव बहुल गांवाें में पहली बार भाजपा के बस्ते भी लगे और वहां लोग भी नजर आए। भाजपाई इसे बदलाव का उदाहरण बता रहे हैं और चुनाव में जीत का दावा कर रहे हैं।

इसे भी पढ़ें: सीसामऊ में सियासी ड्रामा बढ़ा, अखिलेश की पोस्ट के बाद दो दारोगा निलंबित; चुनाव आयोग ने लिया एक्शन

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।