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संघ के सर कार्यवाह होसबाले बोले- वे मुहब्बत की दुकान खोलना चाहते हैं पर हमसे मिलना नहीं चाहते

संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि हम तो सबसे मिलते हैं। कांग्रेस से भी मिलते हैं लेकिन जो मोहब्बत की दुकान चलाते हैं वो हमसे मिलना नही चाहते। उन्होंने दो दिवसीय बैठक के बारे में कहा कि संघ आगामी वर्ष में पंच परिवर्तन पर कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि ओटीटी प्लेटफार्म पर आपत्तिजनक सामग्री को लेकर नियमन कानून बनाने की जरूरत है।

By Jagran News Edited By: Mohammed Ammar Updated: Sat, 26 Oct 2024 06:08 PM (IST)
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ओटीटी प्लेटफार्म पर आपत्तिजनक सामग्री को लेकर नियमन कानून बनाने की जरूरत : होसबाले
जागरण संवाददाता, मथुरा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने शनिवार को किसी का नाम लिए बगैर कांग्रेस पर कटाक्ष किया और कहा कि वो मोहब्बत की दुकान खोलना चाहते हैं पर हमसे मिलना नही चाहते। होसबाले संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की दो दिवसीय बैठक के समापन पर मीडियाकर्मियों को संबोधित कर रहे थे।

हमारी भाजपा से कोई खींचतान नहीं : दत्तात्रेय होसबाले

एक सवाल के जबाव में उन्होंने कहा कि हमारी भाजपा से कोई खींचातानी नहीं है। उन्होंने कहा कि हम तो सबसे मिलते हैं। कांग्रेस से भी मिलते हैं, लेकिन जो मोहब्बत की दुकान चलाते हैं वो हमसे मिलना नही चाहते। उन्होंने दो दिवसीय बैठक के बारे में कहा कि संघ आगामी वर्ष में पंच परिवर्तन पर कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि ओटीटी प्लेटफार्म पर आपत्तिजनक सामग्री को लेकर नियमन कानून बनाने की जरूरत है।

संघ के स्वयंसेवक बच्चों को इससे दूर रखने वे लिए अभिभावकों को जागरूक करेंगे। उन्होंने कहा कि सामाजिक समरसता, पर्यावरण रक्षा, नागरिक कर्तव्य, स्वदेशी, कुटुम्ब प्रबोधन पर संघ काम करेगा। इसके लिए शाखा स्तर से लेकर घरों तक काम किया जाएगा।

कान्हा की भूमि ने बदल दिया विदेशियों का मन

वृंदावन: ये श्रीकृष्ण की लीलाभूमि है, इस भूमि की लीला ही निराली है। जिसने वृंदावन में दो दिन भी बिता दिए, वह ब्रज और वृंदावन का ही होकर रह जाता है। वृंदावन आने वाले श्रद्धालु फिर दोबारा लौटकर नहीं जाते। श्रद्धालु लौट भले ही जाएं, वृंदावन से उनका नाता जीवनभर का होता है। यहां से जाने के बाद भी वृंदावन उनके मन और मस्तिष्क में इस तरह बस जाता है कि बार-बार आने के बाद भी उनका मन नहीं भरता। 

कार्तिक का महीना शुरू हुआ तो नियम सेवा के लिए एक महीने तक को डेरा डाल लिया। इनमें हजारों भक्त ऐसे भी हैं, जो हर वर्ष कार्तिक नियम सेवा को वृंदावन आते रहे हैं। विदेश पुरुष भारतीय परिधान धोती, कुर्ता, कंधे पर दुपट्टा डाल हाथ में माला झोली लिए और महिलाएं साड़ी और गोपी ड्रेस में मंदिरों के दर्शन करने को निकलते हैं, तो उनके अंदर का भक्ति भाव ऐसा कि भारतीय ही नहीं वृंदावन में रहने वाले भी देखकर दंग रह जाते हैं।

रास्ते में गाय नजर आए तो उसे प्रणाम करना भी ये नहीं भूलते, मंदिरों में पहुंचकर पूरी ब्रज की संस्कृति के अनुसार ही दर्शन, पूजन, आरती दर्शन व संकीर्तन में शामिल होकर आनंद ले रहे हैं। इस्कान संस्थापक श्रील प्रभुपाद ने हरेराम मूवमेंट के जरिए एक सदी पहले दुनियाभर के लोगों को सनातन संस्कृति से ऐसा जोड़ा कि आज वे लोग भारतीय संस्कृति के रंग में रचे-बसे हैं। 

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