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आपकी शुगर क्रेविंग का हेल्दी सोल्यूशन! इस चॉकलेट से नहीं बढ़ेगा कोलेस्ट्रॉल, भरपूर प्रोटीन-विटामिन भी मिलेगा

मेरठ के सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय की छात्राओं रीया मिश्रा और गौरिशा ने मशरूम से सेहतमंद चॉकलेट विकसित की है। यह चॉकलेट बच्चों के दांतों को खराब नहीं करेगी कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रखेगी और प्रोटीन व विटामिन से भरपूर होगी। बिना सोडियम वाली इस चॉकलेट को बनाने में मशरूम काजू नारियल पाउडर और प्राकृतिक चीनी का उपयोग हुआ है। शोध सफल रहा है।

By Sarvendra Pundir Edited By: Aysha Sheikh Updated: Sat, 23 Nov 2024 06:05 PM (IST)
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आपकी शुगर क्रेविंग का हेल्दी सोल्यूशन !
सर्वेन्द्र पुंडीर, मेरठ। चाकलेट एक ऐसा खाद्य पदार्थ है, जिसे इस हाईटेक युग में हर घर में बड़े और बच्चे खा रहे हैं। बच्चा जब ज्यादा चाकलेट खाता है तो माता पिता उसे डांटते है और कहते हैं कि दांत खराब हो जाएंगे। अब माता पिता को यह कहने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि मेरठ के सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय की बायोटेक फाइनल ईयर की दो छात्राओं ने ट्रेनिंग आफ प्लेसमेंट निदेशक डा. राकेश सिंह सेंगर के सहयोग से मशरूम से ऐसी चाकलेट बनाई है, जो बच्चों के दांत खराब नहीं करेगी।

बच्चे और बड़ों में कोलेस्ट्राल नहीं बढ़ने देगी। शरीर को भरपूर मात्रा में प्रोटीन और विटामिन देगी। चाकलेट का शोध भी सफल हो गया है। अब यह देखा जा रहा है कि कितने दिन तक यह चाकलेट खराब नहीं होगी। यह परीक्षण पूरा होते ही इसे बाजार में उतारा जाएगा।

चाकलेट बनाने में लगा दो माह का समय, यह डाला गया सामान

इस चाकलेट को बनाने में दो माह तक शोध करना पड़ा। इसे बनाने में 25-25 ग्राम बटन आयस्टर मशरूम, 50 ग्राम काजू, 10 ग्राम नारियल पाउडर, 15 ग्राम प्राकृतिक चीनी का प्रयोग किया गया है। इसमें सोडियम का इस्तेमाल नहीं किया गया है। जबकि बाजार की चाकलेट में सोडियम और अन्य केमिकल का प्रयोग किया जाता है, जो शरीर के लिए नुकसानदायक होता है।

सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय की बायोटेक फाइनल ईयर की छात्राएं रीय मिश्रा और गौरिशा हाथ में चाकलेट दिखाते हुए। जागरण

कुछ इस तरह से चाकलेट बनाने का आया आइडिया

कृषि विश्वविद्यालय की बायोटेक फाइनल की छात्रा रीया मिश्रा और गौरिशा दोनों कई विषयों पर शोध करती है। ट्रेनिंग आफ प्लेसमेंट निदेशक डा. राकेश सिंह सेंगर ने बताया कि अक्सर वह चाकलेट के नुकसान को किताबों में पढ़ती थी। जिसके बाद उन्होंने अपने शोध में ऐसी चाकलेट बनाने का निर्णय लिया, जो नुकसानदायक न होकर फायदेमंद हो। छात्राएं यह आइडिया लेकर डा. सेंगर के पास पहुंची और उन्हे भी लगा कि कुछ अलग है। इसलिए शोध में उनका साथ दिया।

मशरूम उत्पादकों की बढ़ेगी आय

डा. राकेश सिंह सेंगर ने बताया कि मशरूम से चाकलेट बनेगी तो मशरूम उत्पादकों की भी आय बढ़ेगी। अभी तक मशरूम को सब्जी में अधिकतर प्रयोग किया जाता रहा है। अब चाकलेट में प्रयोग होगी तो मशरूम का उत्पादन करने वालों की आय बढ़ेगी। इससे किसानों को भी फायदा होगा। नानवेज नहीं खाने वाले मशरूम खा ले तो उन्हें भरपूर प्रोटीन मिलती है। चाकलेट में मशरूम मिलाई गई है, इसलिए यह प्रोटीन, विटामिनयुक्त है।

सेहत के लिए यह होंगे फायदे

  • यह शरीर की सक्रियता बढ़ाती है।
  • शरीर की इम्युनिटी बढ़ाती है।
  • बढ़ते कोलेस्ट्राल को नियंत्रण करती है।
  • वजन को कम करने में मदद करती है।
  • पाचन क्रिया में सुधार करती है।
  • दिल के रोग को नियंत्रण में करती है।
  • याददाश्त बढ़ाने में मदद करती है।
नोट : ट्रेनिंग आफ प्लेसमेंट निदेशक डा. राकेश सिंह सेंगर के अनुसार।

छात्राओं ने चाकलेट का सफल शोध किया है। इस तरह के नवाचार से छात्रों को प्रोत्साहन मिलता है। कृषि विश्वविद्यालय का प्रयास है कि छात्र स्टार्टअप के क्षेत्र में अधिक से अधिक कार्य करें। जिससे वह खुद की कंपनी बनाकर लोगों को रोजगार दे। - केके सिंह, कुलपति कृषि विश्वविद्यालय

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