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    लाइफ स्टाइल डिसआर्डर से बचना चाहें...तो यह अपनाएं

    By Dileep Patel Edited By: Praveen Vashishtha
    Updated: Sat, 01 Nov 2025 12:11 PM (IST)

    आधुनिक जीवनशैली के कारण होने वाली बीमारियों से बचने के लिए शाकाहारी जीवनशैली अपनाना जरूरी है। वर्ल्ड वीगन डे शाकाहारी भोजन के प्रति जागरूकता बढ़ाता है। शाकाहारी भोजन में फाइबर अधिक होता है, जो पाचन क्रिया को बेहतर रखता है और हृदय रोगों, मधुमेह और मोटापे का खतरा कम करता है। आयुर्वेद भी शाकाहारी जीवनशैली को प्रोत्साहित करता है।

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    लाइफ स्टाइल डिसआर्डर से बचना चाहें...तो यह अपनाएं।(प्रतीकात्मक फोटाे)


    जागरण संवाददाता, मेरठ। आधुनिक जीवनशैली की भागदौड़, अनियमित खानपान और शारीरिक निष्क्रियता के चलते जीवनशैली संबंधी विकार (लाइफ स्टाइल डिसआर्डर) जैसे मधुमेह, हृदय रोग, मोटापा और उच्च रक्तचाप आदि बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। इनसे बचाव और स्वस्थ जीवन के लिए शाकाहारी जीवनशैली अपनाने की जरूरत है। मोटे अनाज के सेवन को बढ़ावा देने के लिए न केवल सरकार जागरूकता अभियान चला रही है, बल्कि विशेषज्ञ चिकित्सक भी यही सलाह दे रहे हैं। उनका मानना है कि मांसाहारी की तुलना में शाकाहारी व्यक्ति में कैंसर, दिल की बीमारी, मधुमेह, रक्तचाप और मोटापे का रिस्क कम होता है।

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    बता दें कि वर्ल्ड वीगन डे (विश्व शाकाहारी दिवस) की शुरुआत 1994 में यूनाइटेड किंगडम में द वेगन सोसाइटी ने की थी। यह दिवस लोगों में शाकाहारी खाने के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार, वीगन डाइट अपनाने वाले लोग एनिमल प्रोडक्ट जैसे दूध, दही, पनीर, शहद, मांस और अंडे का सेवन नहीं करते हैं।

    शाकाहारी जीवनशैली जरूरी
    -शाकाहारी डाइट में फाइबर ज्यादा होता है। इससे पेट की सफाई अच्छी होती है और पाचन क्रिया भी बेहतर रहती है। साथ ही बीमारियों का खतरा कम होता है।
    -फल, सब्ज़ियां, साबुत अनाज में फाइबर, एंटीआक्सीडेंट्स भरपूर होता है। ये पोषक तत्व शरीर की सूजन को कम करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं।
    -शाकाहारी भोजन करने से संतृप्त वसा और कोलेस्ट्राल कम होने से हृदय रोगों, बीपी और शुगर का जोखिम कम होता है।

    -फाइबर की अधिकता के कारण वजन नियंत्रित और रक्त शर्करा का स्तर कम रहता है। जिससे मोटापे और मधुमेह का खतरा भी कम हो जाता है।
    -शाकाहारी भोजन में फाइबर अधिक पाए जाने से मांसाहारी की तुलना में शाकाहारी व्यक्ति में कैंसर का रिस्क कम होता है।
    -नुकसान ये है कि शाकाहारी भोजन में प्रोटीन कम और बी-12 नहीं पाया जाता है। हालांकि प्रोटीन की भरपाई दालों, सोयाबीन और बी-12 के लिए सप्लीमेंट ले सकते हैं।-डा. वीके बिंद्रा, वरिष्ठ

    फिजिशियन
    सेहत के लिए पाचन क्रिया का अच्छा होना अनिवार्य है।
    शोधों से पता चलता है कि मधुमेह और हृदय रोगियों में पाचन तंत्र ठीक नहीं रहता है। शाकाहार भोजन करने से अधिक मात्रा में फाइबर मिलता है, जो पाचन तंत्र को बेहतर रखता है। इससे इन बीमारियों का जोखिम कम होता है।

    -मोटापे से बचने के लिए चिकनाई का प्रयोग कम करने की सलाह दी जाती है। ऐसे में शाकाहारी भोजन करना बेहतर है, क्योंकि शाकाहारी व्यंजनों को कम तेल में पकाकर या उबालकर भी खाया जा सकता है।
    -आयुर्वेद और वेद में शाकाहारी जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित किया जाता है। मोटे अनाज के सेवन को बढ़ावा देना चाहिए। इससे मधुमेह, दिल की बीमारी सहित अन्य बीमारियों का जोखिम कम होता है।
    -गौर करने वाली बात ये भी है कि बीगन डाइट वाले लोग एनिमल प्रोडक्ट जैसे दूध, शहद, मांस और अंडे का सेवन नहीं करते हैं। दूध संपूर्ण आहार है। इससे मिलने वाले पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए अभी विकल्प खोजने की जरूरत है।-डा. चंद्रचूड़ मिश्रा, आयुर्वेदाचार्य