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    सामूहिक विवाह योजना में घोटाला: शादीशुदा जोड़ों ने फिर लिए फेरे, सरकारी धन का दुरुपयोग उजागर

    Updated: Tue, 11 Nov 2025 02:15 PM (IST)

    समाज कल्याण विभाग की सामूहिक विवाह योजना में बड़ा भ्रष्टाचार सामने आया है। मुरादाबाद के भगतपुर टांडा ब्लॉक में फर्जी जोड़ों ने सरकारी धन का गलत उपयोग किया, जबकि कुछ जोड़े पहले से शादीशुदा थे। जांच में कई अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। 

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    जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। भगतपुर टांडा के बहेड़ी ब्राह्मनान गांव की रहनुमा की कागजों अपने ही जीजा से कागजों में समाज कल्याण विभाग ने शादी करा दी। कोटला नगला गांव की शांति कुमारी ने शादीशुदा होने के बाद फिर से सरकारी मंडप में फेरे ले लिए। दौलपुरी बमनियां गांव के मुस्कान भी पहले से शादीशुदा थीं।

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    कुकुरझुंडी गांव की प्रियंका शादी दिसंबर 2024 में ही हो चुकी थी। यह तो सिर्फ उदाहरण हैं। समाज कल्याण विभाग के एक ही ब्लाक में इसी साल हुए मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह समारोह में तमाम फर्जी जोड़ों ने शादी करके सरकार को लाखों रुपये का चूना लगा दिया। यह राजफाश सहायक आयुक्त व सहायक निबंधक (एआर) सहकारिता अमरेंद्र कुमार की जांच रिपोर्ट में हुआ है।

    समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों और ग्राम पंचायतों के सचिवों से गठजोड़ करके बड़ी संख्या में अपात्र जोड़ों को लाखों रुपये के सरकारी धन का लाभ दिला दिया। जांच में सहायक विकास अधिकारी (समाज कल्याण) प्रशांत सिंह को सीधे तौर पर दोषी ठहराया गया है, जबकि ग्राम विकास अधिकारी अनिल कुमार भारती, लखपत सिंह, संजीव कुमार और ग्राम पंचायत अधिकारी विनय आशीष की भूमिका संदिग्ध बताई गई है।

    एआर सहकारिता की रिपोर्ट के अनुसार, 18 जनवरी और 27 जनवरी 2025 को हुए सामूहिक विवाह समारोहों में कई जोड़े पहले से विवाहित थे या उनका विवाह हुआ ही नहीं था। विभाग की ओर से पात्रता जांच के बिना नाम सूचीबद्ध कर दिए गए। रिपोर्ट के मुताबिक अचानक की जांच में 20 जोड़े पूरी तरह अपात्र पाए गए, जबकि अन्य भी संदेह में है।

    जांच अधिकारी ने खंड विकास अधिकारी भगतपुर टांडा ने समारोहों की उपस्थिति सूची मांगी, तो सहायक विकास अधिकारी (समाज कल्याण) ने नहीं दी। कई पत्रों और काल के बावजूद लाभार्थियों की उपस्थिति सीट व विवाह फोटोग्राफी रिकार्ड नहीं सौंपा गया। जांच अधिकारी ने माना कि यह गंभीर अनुशासनहीनता है, जिससे संकेत मिलता है कि लाभार्थियों की वास्तविक उपस्थिति संदिग्ध है।

    यह सिर्फ एक ब्लाक की 98 आवेदकों की जांच के दौरान राजफाश हुआ है। शिकायतकर्ता का कहना है कि घोटाला सिर्फ यहां तक सीमित नहीं है बल्कि एक संगठित नेटवर्क की तरह काम कर रहा है। ग्राम विकास अधिकारी न केवल बयान देने से बचे, बल्कि रिकार्ड भी छुपाया गया। एआर ने जांच रिपोर्ट एडीएम (न्यायिक) जितेंद्र पाल सिंह को सौंप दी गई है।

    आशीष की शिकायत पर हुई जांच से खुला राज

    भगतपुर टांडा ब्लाक के ग्राम मलबाड़ा उर्फ मानपुर निवासी आशीष कुमार ने एडीएम (न्यायिक) जितेंद्र पाल सिंह के समक्ष शपथपत्र देकर यह शिकायत की थी। जांच में पाया गया कि शासनादेश संख्या 64/2023/2348 समाज कल्याण अनुभाग-3 दिनांक 28 अगस्त 2023 के अनुसार, पात्रता जांच ग्राम विकास अधिकारी और पंचायत सचिव से कराना जरूरी था, परंतु इसे सहायक विकास अधिकारी प्रशांत सिंह ने पूरी तरह अनदेखा किया। उनके हस्ताक्षर से 384 और 146 जोड़ों की दो सूचियां भेजी गईं, जो वास्तविक जांच रिकार्ड से मेल नहीं खाती हैं।