नोएडा में हजारों लोगों को ठगने वाले गिरोह का पर्दाफाश, कैंसिल ऑर्डर के रिफंड के नाम पर करते थे धोखाधड़ी; 15 गिरफ्तार
नोएडा पुलिस ने एक ऐसे फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है जो विदेशी नागरिकों को ठग रहा था। सेक्टर 100 में चल रहे इस कॉल सेंटर से 15 आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है। आरोपित वीओआइपी कॉल टीएफएन और साफ्टफोन के माध्यम से विदेशी नागरिकों से संपर्क कर ठगी करते थे। गिरोह हजारों लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी कर चुका है।
जागरण संवाददाता, नोएडा। एपल के कैंसिल ऑर्डर के रिफंड के नाम पर विदेशी लोगों को ठगने वाले गिरोह का बुधवार को पुलिस ने पर्दाफाश किया। एक घर में पांच माह से चल रहे फर्जी कॉल सेंटर से 15 आरोपितों को गिरफ्तार किया। आरोपित वीओआइपी कॉल, टीएफएन व साफ्टफोन के माध्यम से विदेशी नागरिकों से संपर्क कर ठगी करते थे।
सेक्टर 100 में चलता मिला फर्जी कॉल सेंटर
गिरोह हजारों लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी कर चुका हैं। सभी आरोपित 20-30 साल की उम्र के हैं। सभी धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलते हैं। गिरोह का सरगना देवरिया का विनीत है। एसीपी प्रथम नोएडा प्रवीण कुमार सिंह ने बताया कि सेक्टर 100 में पुलिस को फर्जी कॉल सेंटर चलता मिला।
मौके से 15 आरोपितों को गिरफ्तार किया और 18 लैपटाप, चार इंटरनेट राउटर, तीन चारपहिया व दो दोपहिया वाहन, 14 हेडफोन, 18 लैपटाप चार्जर, 24 मोबाइल व 98 हजार रुपये नकदी बरामद हुई।
पूछताछ में बताया कि सभी मिलकर विदेशी नागरिकों से धोखाधड़ी करने के लिए कॉलिंग करने का काम करते हैं। विदेशी नागरिकों के कंप्यूटर पर फर्जी लिंक व ईमेल ब्लास्टिंग के माध्यम से जुड़ते हैं। अमेजोन व पेपल कंपनी की ओर से एपल प्रोडक्ट के ऑर्डर कैंसिल होने पर रिफंड प्रोसेस करने को टेक सपोर्ट देने के लिए फर्जी हेल्पलाइन नंबर भी प्रदर्शित करते हैं।
ऐनीडेस्क एप्लीकेशन से ले लेते हैं सिस्टम कंट्रोल
हेल्पलाइन नंबर के माध्यम से उपभोक्ताओं के संपर्क में आते हैं। विदेशी नागरिकों के सिस्टम से रिफंड प्रोसेस करने के नाम पर ऐनीडेस्क आदि एप्लीकेशन से सिस्टम कंट्रोल में ले लेते हैं। इसी बीच निजी जानकारी के साथ बैंक खातों का जानकारी प्राप्त कर लेते हैं।इसके बाद आरोपित उपभोक्ताओं की जानकारी विदेश में बैठे अपने ग्रुप के साथियों को देते हैं। उनके साथी उपभोक्ता से रिफंड प्रोसेस करने के नाम पर हजारों डालर और क्रिप्टो करेंसी के रूप में धनराशि प्राप्त करते हैं। नोएडा में बैठा स्टाफ अपने परसेंटेज के आधार पर ठगी की धनराशि को कैश करवा लेता और पैसा आपस में बंट जाता था।
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