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ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने प्लॉट योजना को बनाया कमाई का धंधा, उद्यमियों ने कहा- यह गंदा तरीका

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। औद्योगिक नगरी के 11 हजार उद्यमियों का आरोप है कि प्राधिकरण औद्योगिक हित की बजाय उद्यमियों से अवैध कमाई कर रहा है। दो साल से 44 औद्योगिक प्लॉट की योजना निकाली गई लेकिन प्लॉट आवंटित नहीं हुए। उल्टा उद्यमियों से 5900 रुपये प्रति ब्रोशर फीस और 60180 रुपये प्रोसेसिंग फीस फंसा कर रखी है।

By Kundan Tiwari Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Mon, 07 Oct 2024 08:15 AM (IST)
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उद्यमियों ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा कर दिया।

कुंदन तिवारी, जागरण, नोएडा। औद्योगिक नगरी के 11 हजार उद्यमियों ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा कर दिया है। कहा कि प्राधिकरण औद्योगिक हित की बजाए उद्यमियों से अवैध कमाई कर रहा है। इससे उद्यमियों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। दो वर्ष से 44 औद्योगिक प्लॉट की योजना को बार बार निकाला गया, लेकिन प्लॉट आवंटित नहीं हुआ।

उल्टा उद्यमियों से 5900 रुपये प्रति ब्रोशर फीस व 60180 रुपये प्रोसेसिंग फीस फंसा कर रखी है, जिसका प्रति माह 10 प्रतिशत ब्याज प्राधिकरण हड़प रहा है। जब हल्ला मचा तो ग्रेनो प्राधिकरण ने बिना सूचना योजना रद कर दी। इससे उद्यमियों को बैंक में प्रति माह 14 प्रतिशत ब्याज का दंड भुगतना पड़ रहा।

प्राधिकरण की धंधेबाजी के खिलाफ उद्यमियों ने नोएडा एंटरप्रिनियोर्स एसोसिएशन (एनईए) केा अवगत कराया। मामले की गंभीरता देख एनईए ने मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश व औद्योगिक विकास एवं निर्यात प्रोत्साहन मंत्री को पत्र लिखकर प्राधिकरण की रूबरू करा तत्काल कार्रवाई की मांग की है।

50 हजार जमीन थी आरक्षित

एनईए अध्यक्ष विपिन कुमार मल्हन ने कहा 30 जनवरी को ग्रेनो प्राधिकरण ने 44 औद्योगिक प्लॉटों की योजना लॉन्च की। इसमें 50 एकड़ जमीन आवंटन के लिए आरक्षित थी। आठ प्लॉट सेक्टर ईकोटेक वन एक्सटेंशन वन में, ईकोटेक वन एक्सटेंशन में एक प्लॉट, ईकोटेक चार में एक, ईकोटेक पांच में दो, ईकोटेक छह में 22 प्लॉट, उद्योग केंद्र एक्सटेंशन वन में सात व उद्योग विहार एक्सटेंशन में दो प्लॉट प्लॉट 135 वर्ग मीटर से लेकर 20354 वर्ग मीटर क्षेत्र तक के थे। तीन बार योजना की तिथि बढ़ी।

योजना की आड़ में अवैध कमाई का धंधा

हजारों उद्यमियों ने 5900 और 60180 रुपये प्राधिकरण खाते में जमा किए, 20 सितंबर को योजना रद कर दी गई। पिछले वर्ष भी यही खेल हुआ। योजना की आड़ में अवैध कमाई का धंधा शुरू हो गया है। एक तरफ प्रदेश सरकार औद्योगिकरण को बढ़ावा दे रही है। दूसरी तरफ प्राधिकरण योजनाएं निकाल कर उद्यमियों को फार्म बेचकर एवं रजिस्ट्रेशन फीस लेकर ठगने का काम कर रही।

योजना रद के बाद राशि वापस न कर उद्यमियों का शोषण किया जा रहा। सरकार से निवेदन है कि मामले में हस्तक्षेप कर प्राधिकरण को निर्देश दे कि आवेदन करने वाले उद्यमियों का साक्षात्कार कर प्लॉट आवंटित किए जाए। नहीं करने पर उन्हें फार्म व प्रोसेसिंग फीस ब्याज सहित वापस की जाए।

अधिकतर आवेदकों का पैसा रिफंड कर दिया गया है, 12 लोग ऐसे हैं जिन्होंने बैंक का आइएफएससी कोड गलत दिया था, उनके पैसे भी जल्द रिफंड होंगे। फार्म का शुल्क वापस नहीं किया जाता है। शासन स्तर से निर्णय के बाद तय होगा कि आवंटन की प्रक्रिया क्या होगी। -सौम्य श्रीवास्तव, अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण।

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