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    आखिर कौन है निठारी में मासूमों का कातिल ? पहले मिली सजा-ए-मौत, फिर उम्रकैद और अब सुरेंद्र कोली की रिहाई

    Updated: Wed, 12 Nov 2025 10:21 PM (IST)

    नोएडा निठारी दुष्कर्म और हत्याकांड के आरोपी सुरेंद्र कोली को सुप्रीम कोर्ट ने आखिरी मामले में बरी कर दिया, जिसके बाद वह 19 साल बाद लुक्सर जेल से रिहा हो गया। वकील उसे लेने पहुंचे थे। सुप्रीम कोर्ट ने क्यूरेटिव याचिका पर सजा रद्द की। 2006 में निठारी गांव में बच्चों के कंकाल मिले थे, जिसके बाद कोली और पंधेर गिरफ्तार हुए थे। सीबीआई जांच में खामियां पाई गईं।

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    वकील समेत चार लोग लेने के लिए पहुंचे थे लुक्सर जेल।

    जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। नोएडा में निठारी दुष्कर्म एवं हत्याकांड के आरोपी सुरेंद्र कोली सुप्रीम कोर्ट से आखिरी 13वें मामले में भी आरोपमुक्त करार दिए जाने के बाद बुधवार शाम 7:16 बजे पर लुक्सर जिला जेल से रिहा हो गया। कोली करीब 19 साल जेल में बंद रहा। सुरेंद्र कोली की वकील आयुषी व सिद्धार्थ शर्मा समेत चार लोग उसे जेल से लेने पहुंचे थे।

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    वकील सात बजे के करीब जिला परिसर के पास पहुंचे। जेल परिसर में दोनों वकीलाें ने ही प्रवेश किया। महज पांच मिनट के अंतराल में जेल प्रशासन ने रिहाई की औपचारिकता पूरी होने के बाद सुरेंद्र कोली लेकर बाहर निकल आए। जेल प्रशासन ने उसकी रिहाई की औपचारिकताएं पहले ही पूरी कर ली थीं।

    वकील के पहुंचते ही उसे बाहर निकाल दिया था। जेल में बाहर मीडिया के जमावड़े को देखते हुए वह व उसके वकील मास्क लगाए हुए थे। जेल के मुख्य गेट से चंद कदमों की दरी पर गाड़ी खड़ी थी। आहते में मौजूद पुलिसकर्मियों ने मीडिया को पहले ही रोक दिया था। उसने और उसके वकीलों ने मीडिया से कोई बातचीत नहीं की।

    जेल से बाहर आने के बाद कोली के हाव-भाव बिल्कुल सामान्य थे। मीडिया के कैमरों से बचते हुए दौड़कर अपने वकीलों के साथ जेल परिसर के बाहर खड़ी कार में बैठकर रवाना हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने क्यूरेटिव याचिका पर सजा रद कर तत्काल रिहाई का आदेश दिया था। परवाना न पहुंचने की वजह से मंगलवार को रिहाई नहीं हो सकी थी।

    बुधवार सुबह आठ बजे जेल प्रशासन को रिहाई का ऑनलाइन आदेश मिला था। कागजी प्रक्रिया पूरी होने के बाद जेल प्रशासन के मेल पर शाम साढ़े पांच बजे परवाना पहुंचा। कोली को आठ सितंबर 2024 को गाजियाबाद के डासना जिला जेल से लुक्सर स्थित जिला जेल शिफ्ट किया गया था।

    बता दें कि 29 दिसंबर, 2006 को नोएडा के निठारी गांव में आरोपी मोनिंदर सिंह पंधेर के घर के पीछे एक नाले से आठ बच्चों के कंकाल मिले थे। पुलिस ने मामले में सुरेंद्र कोली व मोनिंदर पंधेर को गिरफ्तार किया था। सुरेंद्र कोली मोनिंदर का घरेलू सहायक था।

    उस दौरान दोनों पर ही बच्चों की हत्या का आरोप लगा था। गौतमबुद्ध नगर पुलिस की जांच के 10 दिन बाद मामला सीबीआई को सौंपा गया था। एक महीने तक अभिरक्षा में रखने पर भी पुलिस और फाेरेंसिक टीम ठोस साक्ष्य जुटाने में नाकाम रही। पुलिस ने कंकाल बरामद करने में निर्धारित कानूनी प्रक्रिया पूरी नहीं की।

    आरोपी की मेडिकल जांच तक नहीं कराई थी। कोठी में बाथरूम के अलावा किसी भी कपड़े पर खून के धब्बे नहीं मिले, जिससे यह साबित हो सकें कि बच्चों की हत्या पंधेर की कोठी के अंदर हुई। सभी मामलों में इसका लाभ आरोपी को मिला। सीबीआई विशेष अदालत ने सुरेंद्र कोली को नोएडा निठारी गांव में 15 वर्षीय नाबालिग लड़की के दुष्कर्म और हत्या के लिए दोषी ठहराया था।

    फरवरी 2011 में कोर्ट ने उसकी सजा बरकरार रखी थी। उसकी पुनर्विचार याचिका 2014 में खारिज कर दी गई थी। हालांकि, जनवरी 2015 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उसकी दया याचिका पर निर्णय में अत्यधिक देरी के कारण उसकी मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था।

    17 अक्टूबर 2023 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने निठारी के 12 मामलों में कोली और सह-अभियुक्त पंधेर को बरी किया था। उम्रकैद मामले में सुरेंद्र कोली ने सुधारात्मक याचिका दायर की थी। कोर्ट ने पुलिस के जुटाए एक बयान और चाकू की बरामदगी के आधार पर आरोपी को दोषी सिद्ध कराने के तर्क को आधारहीन मानते हुए दोषमुक्त कर दिया।

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