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UP News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 17 साल जेल में बिताने वाले आरोपी को बरी किया, उम्रकैद की सजा रद्द की

17 साल से जेल में उम्रकैद की सजा भुगत रहे अभियुक्तों अनिल व संजू की सजा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रिहाई दे दी है। कोर्ट ने ये फैसला ठोस सबूत के अभाव में लिया है। कोर्ट ने उम्रकैद की सजा को रद्द कर दिया है। बता दें कि 2007 में 18 टुकड़ों में एक शव बरामद हुआ था। इस मामले में दो अभियुक्त उम्रकैद की सजा काट रहे थे।

By Jagran News Edited By: Sakshi Gupta Updated: Sat, 23 Nov 2024 05:58 PM (IST)
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कोर्ट ने उम्रकैद की सजा काट रहे आरोपी को बरी कर दिया। (प्रतीकात्मक तस्वीर) जागरण।
विधि संवाददाता, प्रयागराज। हत्या व अपहरण मामले में बिना ठोस सुबूत के 17 साल से जेल में उम्रकैद की सजा भुगत रहे अभियुक्तों अनिल व संजू की सजा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द कर दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने तत्काल रिहाई का निर्देश दिया है। यह फैसला न्यायमूर्ति सिद्धार्थ तथा न्यायमूर्ति सुभाष चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने सजा के खिलाफ दाखिल अपील स्वीकार करते हुए दिया है।

अपीलार्थियों के अधिवक्ता अश्वनी कुमार ओझा का कहना था कि मृतक शाकिर की बीवी शहनाज ने गाजियाबाद के लोनी थाने में घटना के दो दिन बाद प्राथमिकी लिखाई। इसमें आरोप लगाया कि अभियुक्तों सहित पांच छह लोग पैसे के लेन-देन को लेकर 25 जुलाई 2007 को उसके घर आए और उसके शौहर को साथ ले गए।

हिंडन के पास मिला था शव

बाद में हिंडन के पास 18 टुकड़ों में शव मिला। कोई चाकू बरामद नहीं हुआ। घटना का कोई चश्मदीद गवाह नहीं और कोई सुबूत नहीं है। परिस्थितिजन्य सुबूतों के आधार पर अपर सत्र अदालत ने दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। तमाम गवाहों के बयान विरोधाभासी हैं।

परिस्थितिजन्य साक्ष्य में कोई तारतम्यता नहीं है। टुकड़ों में मिले शव की फोटोग्राफी की गई, लेकिन कोई फोटो पत्रावली पर नहीं है। कोर्ट ने अभियोजन की कहानी को पूरी तरह संदिग्ध माना और कहा कि बिना सुबूत सजा सुनाई गई है। अन्य केस में वांछित न हो तो तत्काल रिहा किया जाए।

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