नौकरी दिलाने के नाम पर खुलवाया खाता, 239 करोड़ की कर ली लेनदेन; इनकम टैक्स के नोटिस से उड़े हलवाई के होश
Shamli News एक हलवाई को जालसाजों ने पांच साल पहले दिल्ली स्थित अपनी कंपनी में चाय बनाने की नौकरी का झांसा दिया और चांदनी चौक स्थित एचडीएफसी बैंक की शाखा में उसका खाता खुलवा दिया। इसके बाद उसके खाते से 239 करोड़ रुपये का लेनदेन कर लिया। एक साल पहले पीड़ित को आयकर विभाग ने नोटिस दिया तो हलवाई के होश उड़ गए।
जागरण संवाददाता, शामली। एक हलवाई को जालसाजों ने पांच साल पहले दिल्ली स्थित अपनी कंपनी में चाय बनाने की नौकरी का झांसा दिया और चांदनी चौक स्थित एचडीएफसी बैंक की शाखा में उसका खाता खुलवा दिया। इसके बाद उसके खाते से 239 करोड़ रुपये का लेनदेन कर लिया। एक साल पहले पीड़ित को आयकर विभाग ने नोटिस दिया तो हलवाई के होश उड़ गए। अब पीड़ित ने आरोपितों के खिलाफ कोर्ट से मुकदमा दर्ज कराया है। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।
थाना आदर्श मंडी क्षेत्र के विवेक विहार टंकी कॉलोनी निवासी नरेंद्र कुमार हलवाई हैं। उसने बताया कि 2018 दिसंबर में विवेक विहार में किराये के मकान में रहने वाले जितेंद्र कुमार से उसकी मुलाकात हुई थी। उसने दिल्ली स्थित अपनी कंपनी में चाय बनाने की नौकरी लगवाने की बात कही थी, जहां 20 हजार रुपये प्रति महीना वेतन की बात तय हुई थी। जितेंद्र ने नरेंद्र को 10 हजार रुपये एडवांस भी दिए थे।
आधार और पैन लेकर खुलवाया खाता
इसके बाद जितेंद्र उसे अपने साथ दिल्ली चांदनी चौक ले गया, जहां जितेंद्र ने नरेंद्र की मुलाकात अजय चौधरी निवासी नाला कांधला जिला शामली से कराई। इसके बाद जितेंद्र वापस आ गया और अजय चौधरी ने वेतन बैंक में भिजवाने के नाम पर आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि कागजात ले लिए। बाद में चांदनी चौक स्थित एचडीएफसी बैंक में नरेंद्र का खाता खुलवाया दिया।करोड़ों का आया नोटिस, गुहार की नहीं हुई सुनवाई
नरेंद्र ने बताया कि उन्होंने सात दिन में नौकरी लगने की बात कहकर भेज दिया था। सात दिन बाद जब बात की तो अजय ने कहा कि नौकरी नहीं लगी है। नरेंद्र ने बताया कि मार्च 2023 में उसके पास आयकर विभाग ने नोटिस भेजकर 236 करोड़ 70 लाख 39 हजार 481 रुपये के लेनदेन का हिसाब मांगा। उसने वित्त मंत्रालय दिल्ली, भारतीय रिजर्व बैंक नई दिल्ली, ईडी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डीजीपी आदि समेत अधिकारियों को पत्र भेजकर आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।