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राशन ले रहे पूर्वांचल के 80 हजार आयकरदाता, अब ऐसे कार्डधारकों के खिलाफ चलेगी प्रशासन की कैंची

पूर्वी उत्तर प्रदेश में 80806 आयकरदाता राशन ले रहे थे जिनके कार्ड अब रद्द किए जा रहे हैं। सत्यापन के बाद 15759295 कार्डधारकों में से 80806 अपात्र पाए गए हैं। आजमगढ़ में सबसे अधिक 19791 अपात्र कार्डधारक मिले हैं। विधवा पेंशन की मृतक लाभार्थी के 14882 और दो एकड़ से अधिक भूमि वाले 9425 राशन कार्ड भी निरस्त किए गए हैं।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Thu, 21 Nov 2024 09:18 AM (IST)
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आजमगढ़ में सबसे अध‍िक अपात्र लोग उठा रहे लाभ। जागरण
 अमरदीप श्रीवास्तव, जौनपुर। आयकरदाता होने के भी राशन ले रहे पूर्वांचल में 80,806 आ कार्डधारक पर कैची चलेगा। एक लाख 57 हजार 59 हजार 295 कार्डधारकों के सत्यापन के बाद अब सभी का कार्ड निरस्त कर दिया गया है। आजमगढ़ में सबसे अधिक अपात्र कार्डधारक मिले हैं।

यहां 19,791 कार्डधारक राशन ले रहे थे। दूसरे स्थान पर 9,659 कार्डधारकों के साथ वाराणसी, जबकि 9,476 कार्डधारकों के साथ गाजीपुर तीसरे स्थान पर है। इसके अलावा विधवा पेंशन की मृतक लाभार्थी के 14 हजार 82 व दो एकड़ से अधिक भूमि वाले 9,425 राशनकार्ड निरस्त किया गया है।

एनआइसी से मिली जानकारी के बाद कार्रवाई

एनआइसी ने सभी डीएसओ को अपात्रों की सूची उपलब्ध कराई थी, जिसे तीन श्रेणियों में बांटा गया था। इसमें यह देखा जा रहा था कि कार्डधारक कहीं आयकरदाता तो नहीं। इसके साथ ही दो हेक्टेयर से अधिक भूमि वालों को भी जांच की कड़ी में शामिल किया गया। साथ ही उन महिलाओं की भी जांच की जा रही थी जो विधवा पेंशन का लाभ लेते हुए राशन कार्ड से अपने पति का नाम नहीं कटवा था अथवा जिनकी मृत्यु हो चुकी थी।

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लंबी चली जांच प्रक्रिया में आयकरदाता की श्रेणी एक लाख 59 हजार 295 की पहचान हुई, जिसमे 80 हजार 806 अपात्र, जबकि अबतक महज 21 हजार 235 पात्र मिले। इसी तरह विधवा पेंशन की कुल 23 हजार 207 लाभार्थियों में 14 हजार 82 की मौत हा चुकी है, जबकि जीवित महज 1416 मिलीं।

पड़ताल में दो एकड़ से अधिक भूमि वाले 23 हजार 338 चिह्नित हुए। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग को उपलब्ध कराई सूची में पड़ताल के लिए विभाग पूर्ति निरीक्षकों के साथ ही सभी कोटेदारों को भी लगाया गया। जिला स्तरीय अधिकारियों की ओर से भी इसका सत्यापन किया गया।

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यह आवश्यक नहीं है कि आयकरदाता की श्रेणी में आने वाले कार्डधारकों का नाम कटे ही। बिना सत्यापन किसी का भी नाम नहीं काटा जा रहा। दो हेक्टेयर भूमि के सत्यापन के दौरान पता चल रहा है कि कई भाइयों में यह हिस्सा कम हो जा रहा है। तीनों ही श्रेणियों में अपात्र होने की स्थिति में नाम काटा जा रहा है। सत्यापन की यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है।- संतोष विक्रम शाही, जिलापूर्ति अधिकारी, जौनपुर

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