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    पूर्वांचल में देवोत्‍थानी एकादशी पर गन्‍ने से मनौती-मनुहार और दर‍िद्दर भगाने की परंपरा

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Sat, 01 Nov 2025 06:49 PM (IST)

    पूर्वांचल में देवोत्थानी एकादशी पर गन्ने का विशेष महत्व है। इस दिन लोग गन्ने से मनौती मांगते हैं, भगवान विष्णु को अर्पित करते हैं और दरिद्रता को दूर भगाते हैं। यह सदियों पुरानी परंपरा है, जिसमें लोग व्रत रखते हैं, पूजा करते हैं और दान-पुण्य करते हैं।

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    आस्थावानों ने महंगा होने के बावजूद गन्ने की जमकर खरीदारी की

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। वैसे तो बनारस में दर‍िद्दर दीपावली के अगले द‍िन सुबह भगाने की मान्‍यता है। लेक‍िन, अवध क्षेत्र में देवोत्‍थानी एकादशी पर दर‍िद्दर खेदने यानी भगाने की परंपरा है। जौनपुर सह‍ित कई क्षेत्रों में एकादशी पर गन्‍ने की गेड़ से दर‍िद्दर भगाने के ल‍िए सुबह मह‍िलाएं सूप पीटती हैं। 

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    वहीं दूसरी ओर तुलसी विवाह में गन्ने की बढ़ती कीमत ने उसकी मिठास को भले ही कम कर दिया हो, लेकिन आस्थावानों ने महंगा होने के बावजूद गन्ने की जमकर खरीदारी की। देवोत्थानी एकादशी पर गन्ने से मनौती मनुहार की पुरानी परंपरा है। इस दिन घरों में तुलसी विवाह के लिए आस्थावान बड़े श्रद्धा भाव से चार गन्नों का मंडप बनाकर तुलसी माता का पूजन करते हैं। यह भी महत्वपूर्ण है कि आज के दिन से गन्ने को चुहा भी जा सकता है।

    तुलसी विवाह को ध्यान में रखते हुए बाजारों में लाल और सफेद गन्ने की बड़ी मात्रा उपलब्ध हो गई है, लेकिन उनकी कीमत अभी भी महंगी बनी हुई है। सामान्य दिनों में जो गन्ना 15 रुपये प्रति पीस बिकता था, वह तुलसी पूजन के कारण शनिवार को बाजार में 30 रुपये प्रति पीस की दर पर उपलब्ध था।

    अन्य फलों के दाम भी इस प्रकार रहे: कन्ना 60 रुपये प्रति किलो, हरा सिंघाड़ा 60 रुपये किलो, केला 60 रुपये प्रति दर्जन, सेब 80 से 100 रुपये किलो और अनार 160 रुपये किलो।

    फलाहार के दाम भी कुछ इस प्रकार रहे: कुट्टू का आटा 200 रुपये किलो, सिंघाड़े का आटा 200 रुपये किलो, और मुंगफली 120 से 150 रुपये किलो के भाव में बिके।

    तुलसी विवाह के अवसर पर गन्ने और अन्य फलों की कीमतों में वृद्धि ने आस्थावानों को प्रभावित किया है। फिर भी, श्रद्धालुओं की आस्था और परंपरा के प्रति समर्पण ने उन्हें महंगे गन्ने की खरीदारी करने से नहीं रोका। इस अवसर पर बाजारों में गन्ने की मांग में वृद्धि देखी गई, जो इस धार्मिक पर्व की महत्ता को दर्शाता है। तुलसी विवाह का पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह बाजार में भी हलचल का कारण बनता है।