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अमेरिकी राजदूत दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती में बने दर्शक, एक्स पर लिखा- वाराणसी, तुमने मेरी आत्मा को छू लिया

अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने हाल ही में वाराणसी का दौरा किया और शहर की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत से अभिभूत हुए। उन्होंने दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती में भाग लिया सारनाथ में महात्मा बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली को देखा और कलाविद अशोक कपूर से मिलकर ध्रुपद संगीत का आनंद लिया। उन्होंने वाराणसी को विश्व के सबसे पवित्र स्थलों में से एक बताया।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Wed, 16 Oct 2024 09:29 PM (IST)
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एरिक गार्सेटी ने दृश्य को मोबाइल कैमरे में कैद किया।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी मंगलवार को सपत्नीक बनारस में थे। सायंकाल दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती में शामिल हुए और अपलक निहारते रह गए। वाद्य यंत्रों की ध्वनि और वेद मंत्रों के बीच पूजा-आरती से अभिभूत हुए। 

एरिक गार्सेटी ने दृश्य को मोबाइल कैमरे में कैद किया और विजिटर रजिस्टर में लिखा कि ‘हम सभी को जोड़ने वाले आध्यात्मिक बंधनों की एक शक्तिशाली याद दिलाने के लिए गंगा सेवा निधि को धन्यवाद। वाराणसी न केवल एक पवित्र भारतीय स्थान है, बल्कि दुनिया और हमारे दिल में शांति के लिए सबसे पवित्र स्थलों में से एक है।’ 

गंगा सेवा निधि अध्यक्ष सुशांत मिश्रा ने उनका स्वागत किया। राजदूत ने कहा कि पूर्व में भी वे काशी आए थे। दोबारा आने की अनुभूति बयान नहीं की जा सकती।

वाराणसी, तुमने मेरी आत्मा को छू लिया

इसके दूसरे दिन एरिक गार्सेटी ने एक्स प्लेटफॉर्म पर तस्वीरें साझा करते हुए गंगा आरती की सराहना की। उन्होंने लिखा, ‘दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती सिर्फ एक समारोह से कहीं ज्यादा थी, यह इस बात की एक खूबसूरत याद दिलाती है कि परंपराएं हमें कैसे आकार देती हैं। नदी पर प्रतिबिंबित रोशनी और रात में गूंजती घंटियों की आवाज़ एक अविस्मरणीय माहौल बनाती है। वाराणसी, तुमने मेरी आत्मा को छू लिया है’।

इससे पहले उन्होंने कलाविद अशोक कपूर से सिगरा स्थित आवास पर गए। वहां ध्रुपद संगीत का आनंद लिया। पखावज व सितार पर हाथ आजमाया। भारतीय पकवानों का स्वाद भी लिया। यहां लगभग ढाई घंटे रहे। इस दौरान उनके साथ अमेरिकी दूतावास के दो अधिकारी भी थे।

महात्मा बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली को नवाया शीश

काशी प्रवास के दूसरे दिन बुधवार को एरिक एम गार्सेटी ने सपत्नीक नौका विहार किया। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम गए और नव्य-भव्य परिसर की छटा देख मंत्रमुग्ध हो गए। दोपहर में सारनाथ पहुंचे। पुरातात्विक खंडहरों में घूमे। उत्खनित अवशेषों व संग्रहालय का अवलोकन किया। महात्मा बुद्ध का जीवन-दर्शन समझा और उनकी प्रथम उपदेश स्थली को शीश नवाया। कहा, भारतीय संस्कृति महान है l

एरिक गार्सेटी ने सारनाथ पहुंचने के साथ पुरातात्विक खंडहर का भ्रमण किया। धर्मराजिका स्तूप, अशोक की लाट, प्राचीन मूलगंध कुटी बौद्ध मंदिर के अवशेष देखा। 

धमेख स्तूप की परिक्रमा की और पुरातात्विक संग्रहालय पहुंचे। वहां राष्ट्रीय चिह्न शीर्ष सिंह की चमक देख अभिभूत हुए। गैलरी में रखी प्रतिमाओं का अवलोकन किया और यहां से ही लालबहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गए। 

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