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द्रोणागिरी गांव तक पहुंचेगी सड़क, चीन सीमा से लगे इस गांव का रामायण से है खास कनेक्शन

Dronagiri Village चमोली जिले के चीन सीमा से लगे रामायणकालीन द्रोणागिरी गांव तक पहुंचने के लिए अब 12 किमी की खड़ी चढ़ाई पैदल नहीं नापनी पड़ेगी। लोनिवि ने द्रोणागिरी से दो किमी पहले तक स्वीकृत जुम्मा-कागा लग्गा-द्रोणागिरी 6.6 किमी मोटर मार्ग पर कार्य शुरू कर दिया है। इस सड़क के बनने से गांव में पर्यटन और तीर्थाटन को बढ़ावा मिलेगा।

By Devendra rawat Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Tue, 01 Oct 2024 06:40 PM (IST)
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चीन सीमा पर मोटर मार्ग से जुड़ेगा रामायणकालीन द्रोणागिरी गांव (File Photo) जागरण
देवेंद्र रावत, जागरण गोपेश्वर: चमोली जिले के चीन सीमा से लगे रामायणकालीन द्रोणागिरी गांव तक पहुंचने के लिए 12 किमी की खड़ी चढ़ाई पैदल नहीं नापनी पड़ेगी। लोनिवि ने द्रोणागिरी से दो किमी पहले तक स्वीकृत जुम्मा-कागा लग्गा-द्रोणागिरी 6.6 किमी मोटर मार्ग पर कार्य शुरू कर दिया है।

10 करोड़ की लागत से यह मार्ग गांव से दो किमी पहले छियाटा तोक तक ही बनेगा। यहां से गांव तक दो किमी क्षेत्र में भोजपत्र का जंगल होने के कारण सड़क निर्माण की अनुमति नहीं है। हालांकि, ग्रामीण इस बात को लेकर खुश हैं कि द्रोणागिरी तक सड़क पहुंचने से यहां पर्यटन व तीर्थाटन को बढ़ावा मिलेगा।

जनजातीय उपयोजना के तहत वर्ष 2005-06 में उत्तराखंड के 56 जनजातीय गांवों के लिए सड़क मार्ग स्वीकृत हुए। इनमें चीन सीमा पर स्थित नीती घाटी के जुम्मा- कागा लग्गा-द्रोणागिरी 6.6 किमी मोटर मार्ग भी शामिल है।

वर्ष 2005 में इस मोटर मार्ग के निर्माण का जिम्मा मैसर्स संजय कंस्क्ट्रशन नामक फर्म को सौंपा गया। सड़क को 30 अगस्त 2014 तक बनकर तैयार होना था, लेकिन ठेकेदार के लेटलतीफी के चलते निर्माण कार्य शुरू होने के कुछ दिन बाद ही बंद हो गया।

द्रोणागिरी गांव, जागरण आर्काइव

इससे आक्रोशित ग्रामीणों ने जब सड़क निर्माण की मांग को आंदोलन शुरू कर दिया तो छह नवंबर 2014 को तत्कालीन जिलाधिकारी ने संबंधित ठेकेदार के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति करनी पड़ी।

इसके बाद वर्ष 2015 में लोनिवि प्रांतीय खंड ने संजय कंस्ट्रक्शन कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर नई निविदा निकाली। वर्तमान में मार्ग पर तेजी से कार्य चल रहा है। ग्राम पंचायत कागा गरपक के प्रधान पुष्कर सिंह राणा ने कहा कि गांव के पास तक सड़क पहुंचने से यहां मूलभूत सुविधाओं का विकास होगा। इससे पलायन पर भी अंकुश लगेगा।

इसलिए खास है द्रोणागिरी गांव

चीन सीमा से लगे द्रोणागिरी को रामायणकालीन गांव माना जाता है। मान्यता है कि जब मेघनाद के शक्ति प्रहार से लक्ष्मण मूर्च्छित हो गए थे, तब उनकी मूर्च्छा दूर करने के लिए सुषेण वैद्य ने हनुमान को हिमालय से संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा। हनुमान वायु वेग से उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित द्रोणगिरी पर्वत पर पहुंचे। इसी की तलहटी में द्रोणागिरी गांव बसा हुआ है।

द्रोणागिरी गांव को जोड़ने वाले 12 किमी पैदल मार्ग पर खड़ी चढ़ाई है और यह घुमावदार भी है। लेकिन, गांव के लिए जो सड़क काटी गई है, उसकी लंबाई कम घुमाव होने के कारण महज 6.6 किमी है। हालांकि, भोजपत्र का जंगल होने के कारण गांव से लगे दो किमी क्षेत्र में सड़क निर्माण की अनुमति नहीं है, लेकिन भविष्य में यहां भी मार्ग निर्माण करवाने के लिए मजबूती से आवाज उठाई जाएगी।

- रुद्र सिंह रावत, प्रधान, ग्राम पंचायत, द्रोणागिरी

जुम्मा-कागा लग्गा-द्रोणागिरी 6.6 किमी मोटर मार्ग का निर्माण अंतिम चरण में है। जल्द ही ग्रामीणों को सड़क सुविधा का लाभ मिलने लगेगा। मार्ग निर्माण पर 10 करोड़ की धनराशि खर्च हो रही है।

- राजवीर चौहान, अधिशासी अभियंता, लोनिवि, गोपेश्वर

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