द्रोणागिरी गांव तक पहुंचेगी सड़क, चीन सीमा से लगे इस गांव का रामायण से है खास कनेक्शन
Dronagiri Village चमोली जिले के चीन सीमा से लगे रामायणकालीन द्रोणागिरी गांव तक पहुंचने के लिए अब 12 किमी की खड़ी चढ़ाई पैदल नहीं नापनी पड़ेगी। लोनिवि ने द्रोणागिरी से दो किमी पहले तक स्वीकृत जुम्मा-कागा लग्गा-द्रोणागिरी 6.6 किमी मोटर मार्ग पर कार्य शुरू कर दिया है। इस सड़क के बनने से गांव में पर्यटन और तीर्थाटन को बढ़ावा मिलेगा।
इसलिए खास है द्रोणागिरी गांव
चीन सीमा से लगे द्रोणागिरी को रामायणकालीन गांव माना जाता है। मान्यता है कि जब मेघनाद के शक्ति प्रहार से लक्ष्मण मूर्च्छित हो गए थे, तब उनकी मूर्च्छा दूर करने के लिए सुषेण वैद्य ने हनुमान को हिमालय से संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा। हनुमान वायु वेग से उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित द्रोणगिरी पर्वत पर पहुंचे। इसी की तलहटी में द्रोणागिरी गांव बसा हुआ है।द्रोणागिरी गांव को जोड़ने वाले 12 किमी पैदल मार्ग पर खड़ी चढ़ाई है और यह घुमावदार भी है। लेकिन, गांव के लिए जो सड़क काटी गई है, उसकी लंबाई कम घुमाव होने के कारण महज 6.6 किमी है। हालांकि, भोजपत्र का जंगल होने के कारण गांव से लगे दो किमी क्षेत्र में सड़क निर्माण की अनुमति नहीं है, लेकिन भविष्य में यहां भी मार्ग निर्माण करवाने के लिए मजबूती से आवाज उठाई जाएगी।
- रुद्र सिंह रावत, प्रधान, ग्राम पंचायत, द्रोणागिरी
जुम्मा-कागा लग्गा-द्रोणागिरी 6.6 किमी मोटर मार्ग का निर्माण अंतिम चरण में है। जल्द ही ग्रामीणों को सड़क सुविधा का लाभ मिलने लगेगा। मार्ग निर्माण पर 10 करोड़ की धनराशि खर्च हो रही है।
- राजवीर चौहान, अधिशासी अभियंता, लोनिवि, गोपेश्वर