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Kedarnath ByElection Result 2024: केदारनाथ उपचुनाव में भाजपा ने ध्‍वस्‍त की कांग्रेस की घेराबंदी, कमल का वर्चस्व कायम

Kedarnath By Election 2024 केदारनाथ उपचुनाव में भाजपा ने कांग्रेस की घेराबंदी को ध्वस्त कर दिया। भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल ने कांग्रेस के मनोज रावत को हराया। भाजपा ने संगठन और सरकार के स्तर पर सधी चाल चलकर विपक्ष की मजबूत घेराबंदी को ध्वस्त कर दिया। विधानसभा उपचुनाव में सत्ताधारी दल ने बदरीनाथ और मंगलौर की दो विधानसभा सीट गंवा दीं।

By Ravindra kumar barthwal Edited By: Vivek Shukla Updated: Sun, 24 Nov 2024 10:27 AM (IST)
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भाजपा ने कांग्रेस को फ‍िर हराया। जागरण
रविंद्र बड़थ्वाल, जागरण, देहरादून। केदारनाथ विधानसभा सीट पर भाजपा ने अपना वर्चस्व बनाए रखा। सत्ताधारी दल भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस, दोनों के लिए यह उपचुनाव नाक का सवाल बन गया था। उपचुनाव के लिए बिछाई गई बिसात पर संगठन से लेकर सरकार के स्तर पर सधी चाल चलकर भाजपा ने विपक्ष की मजबूत घेराबंदी को ध्वस्त कर दिया।

तीन महीने पहले बदरीनाथ सीट पर मिली सफलता से उत्साहित कांग्रेस ने इस उपचुनाव में भी पूरी शक्ति झोंकी, लेकिन गुटीय खींचतान की पुरानी समस्या भारी पड़ी और विजय पाने की आस अधूरी रह गई।

भाजपा विधायक शैलारानी रावत के बीमारी के कारण हुए निधन से केदारनाथ सीट रिक्त हुई थी। यह सीट कई मायनों में भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का विषय रही है। विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का केदारनाथ धाम से विशेष लगाव रहा। केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण में मोदी स्वयं रुचि लेते रहे हैं।

गत जून माह में लोकसभा चुनाव में भाजपा उत्तराखंड की सभी पांच सीट जीतने में सफल रही, लेकिन एक महीने बाद ही हुए विधानसभा उपचुनाव में सत्ताधारी दल ने बदरीनाथ और मंगलौर की दो विधानसभा सीट गंवा दीं।

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यद्यपि, बदरीनाथ सीट पहले कांग्रेस के पास ही थी, लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस विधायक राजेंद्र भंडारी के भाजपा का दामन थाम लिया था। इसलिए इस सीट पर भाजपा अपनी जीत की अधिक संभावनाएं आंक रही थी। इस हार के पीछे दल-बदल को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं में असंतोष को भी बड़े कारण के रूप में देखा गया।

बदरीनाथ की हार से भाजपा ने लिया सबक

भाजपा ने बदरीनाथ की हार से सबक लेकर केदारनाथ उपचुनाव में प्रत्याशी चयन में सतर्कता बरती। पूर्व विधायक और ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं विशेषकर महिलाओं पर पकड़ रखने वाली आशा नौटियाल को प्रत्याशी बनाकर पार्टी ने कार्यकर्ताओं को भी संदेश दिया।

उपचुनाव में महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में अधिक मतदान किया है। साथ ही सरकार और संगठन ने उपचुनाव के प्रबंधन से लेकर प्रचार में व्यवस्थित ढंग से हिस्सा लिया। प्रदेश सरकार के पांच मंत्रियों को पूरे विधानसभा क्षेत्र की कमान सौंपी गई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं मोर्चे पर डटे रहे। उन्होंने ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में बैठक भी की। इसी के साथ छोटी-छोटी सभाओं, नुक्कड़ बैठकों और जनसंपर्क पर अधिक जोर देकर भाजपा ने अपनी जीत पक्की कर ली।

सफल नहीं हो सका केदारनाथ का मुद्दा 

वहीं, प्रधानमंत्री मोदी के बहाने भाजपा के हिंदू मतों के ध्रुवीकरण को चुनौती देने के लिए कांग्रेस ने इस उपचुनाव के लिए विशेष रणनीति अपनाई। केदारनाथ मंदिर में सोने की परत की कथित चोरी, हक-हकूकधारियों की अनदेखी, गर्भगृह में फोटो खींचने से लेकर दिल्ली में केदारनाथ मंदिर को कांग्रेस ने बड़े मुद्दे बनाने का पूरा प्रयास किया।

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विपक्षी दल के दिग्गज नेता विधानसभा क्षेत्र में डेरा डाले रहे। भाजपा ने अपने चुनावी अभियान में इन सभी मुद्दों की हवा निकाल दी। प्रदेश में पार्टी के लगभग सभी क्षत्रपों को साथ लेकर मतदाताओं को लुभाने में कसर नहीं छोड़ी। कांग्रेस हाईकमान के निर्देश पर गठित प्रदेश कांग्रेस समन्वय समिति ने उपचुनाव की पूरी रणनीति तैयार की और उसे अंजाम भी दिया।

यह अलग बात है कि प्रत्याशी के चयन को लेकर पार्टी और समन्वय समिति में उभरी रार अंदरखाने सुलगती रही और खींचतान पर विराम नहीं लग सका। उपचुनाव में मिली हार से पर्वतीय क्षेत्रों के मतदाताओं में पैठ मजबूत होने का संदेश देने की कांग्रेस की इच्छा अधूरी रह गई।

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