AQI: देहरादून की आबोहवा बिगड़ी, पहली बार नवंबर में अत्यधिक प्रदूषित हुई हवा
Dehradun Air Quality index देहरादून में पहली बार नवंबर में हवा की गुणवत्ता अत्यधिक खराब हुई है। बीते एक सप्ताह से एक्यूआइ 200 से 300 के आसपास बना हुआ है जो खतरनाक है। दीपावली के बाद से ही दून की आबोहवा बिगड़ी हुई है। बारिश न होने के कारण फिलहाल हवा की गुणवत्ता में सुधार के आसार नहीं हैं।
विजय जोशी, जागरण देहरादून । Dehradun Air Quality index : दीपावली के बाद से ही दून की आबोहवा की सेहत बिगड़ी हुई है। शहर में वायु प्रदूषण इस कदर बढ़ गया है कि सांस के रोगियों की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। बीते एक सप्ताह से दून में एक्यूआइ 200 से 300 के आसपास बना हुआ है, जो कि खतरनाक है। साथ ही पिछले वर्षों की तुलना में असामान्य है। नवंबर में दून की आबोहवा इतनी खराब पहले कभी नहीं हुई।
सर्दी बढ़ने के साथ नवंबर में वायु प्रदूषण बढ़ता जरूर है, लेकिन यह बीते वर्षों में 100 से 150 एक्यूआइ के आसपास ही दर्ज किया गया। दून में कूड़ा जलने, निर्माण कार्य की धूल-मिट्टी समेत आसपास के शहरों से पहुंच रहा धुआं वातावरण में ही मंडरा रहा है। बारिश न होने के कारण हवा में प्रदूषण की परत बिछी हुई है, जो कि फिलहाल हटती नजर नहीं आ रही है।
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दून की हवा में घुल रहा 'जहर'
नवंबर की शुरुआत से ही दून की हवा में 'जहर' घुल रहा है। पहले दीपावली के दौरान हुई आतिशबाजी और फिर धीरे-धीरे बढ़ी धुंध के कारण हवा साफ नहीं हो पाई। जिससे अब सांस के रोगियों को खतरा बना हुआ है। पिछले एक सप्ताह की ही बात करें तो दून का एक्यूआइ 300 के करीब दर्ज किया जा रहा है। जबकि यह आंकड़े शहर के बाहरी क्षेत्र में स्थिति दून विवि स्टेशन पर लिए गए हैं।
ऐसे में शहर के घंटाघर समेत अन्य व्यस्ततम क्षेत्रों में एक्यूआइ और बुरी स्थिति में पहुंचने की आशंका है। उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े ही डरा रहे हैं, दून की हवा में आखिर इतना प्रदूषण क्यों हो रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार दून के घाटी में स्थित होने के कारण यहां हवा में फैले पीएम-2.5 के कण समेत अन्य नुकसानदायक गैसें वातावरण में लंबे समय तक तैरती रहती हैं।
यहां प्रदूषण को छंटने में अधिक समय लगता है। उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव डा. पराग मधुकर धकाते ने बताया कि इन दिनों वाहनों, उद्योग और अन्य माध्यमों से निकलने वाला प्रदूषण हवा में ही घूमता रहता है। जो कि समय पर छंट नहीं पा रहा है, जिससे एक्यूआइ का स्तर बढ़ गया है। इसके अलावा खुले में कूड़ा जलाने और निर्माण कार्यों के कारण जगह-जगह धूल-मिट्टी के गुबार उठ रहे हैं।
सर्दियों में वायु प्रदूषण बहुत लंबे समय तक बना रहता है। ऐसे में गर्मियों की तुलना में सर्दियों में सांस के रोगियों को खतरा बढ़ जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार ठंडी हवा सघन होती है और गर्म हवा की तुलना में धीमी गति से चलती है। ठंडी हवा का घनत्व प्रदूषण को फंसा लेता है और दून जाने में अधिक समय लगता है।यह भी पढ़ें- Uttarakhand Land Law Violation: अल्मोड़ा में जमीन खरीद मामलों की चल रही जांच, सिने स्टार मनोज वाजपेयी को भी भेजा नोटिस
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।पिछले वर्षों में कम रहा वायु प्रदूषण
दून में पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो अक्टूबर और नवंबर में हवा की गुणवत्ता अधिक खराब नहीं होती थी। दिसंबर और जनवरी में ही वायु प्रदूषण चरम पर होता है। आमतौर पर नवंबर में दून का एक्यूआइ 100 से कम या कभी-कभी डेढ़ सौ के आसपास दर्ज किया जाता रहा है। इस बार लगातार ढाई सौ से 300 एक्यूआइ दर्ज किया जा रहा है।फिलहाल बारिश नहीं, प्रदूषण छंटने के आसार कम
दून में पिछले काफी समय से मौसम शुष्क बना हुआ है और वर्षा नहीं हो रही है। यह भी कारण है कि धूल के कण वातावरण में तैर रहे हैं। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार देहरादून में अगले एक सप्ताह तो वर्षा के आसार नहीं हैं। शुष्क मौसम के बीच धूप खिली रह सकती है। सुबह दून में धुंध व कोहरा भी परेशानी बढ़ा सकता है।दून में बीते पांच दिन में औसत एक्यूआइ
- दिनांक, एक्यूआइ
- 14 नवंबर, 258
- 13 नवंबर, 290
- 12 नवंबर, 254
- 11 नवंबर, 270
- 10 नवंबर, 306
- नौ नवंबर, 267
- आठ नवंबर, 206