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Uttarakhand के 974 स्कूलों में बेटियां खुले में जाती हैं शौंच, कई शौचालय जर्जर तो कहीं शिक्षक नहीं खोलते ताला

Sanitation in Uttarakhand Schools उत्तराखंड के 974 स्कूलों में छात्राओं और 798 स्कूलों में छात्रों को शौचालय की सुविधा नहीं है। कई स्कूलों में शौचालय जर्जर हैं तो कहीं पानी की सुविधा नहीं है। कुछ शिक्षक शौचालयों पर ताला लगाकर रखते हैं। इस वजह से छात्र-छात्राओं को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है। समग्र शिक्षा के तहत राज्य को केंद्र से 1205 करोड़ स्वीकृत हुए हैं।

By Ashok Kumar Edited By: Nirmala Bohra Updated: Thu, 21 Nov 2024 02:57 PM (IST)
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Sanitation in Uttarakhand Schools: प्रदेश के 974 स्कूलों में बेटियां और 798 में छात्र खुले में जाते हैं शौंच।
जागरण संवाददाता, देहरादून। Sanitation in Uttarakhand Schools: सरकारी स्कूलों में छात्र-छात्राओं को बुनियादी सुविधाएं देने के मामले में शिक्षा विभाग आगे तो बढ़ रहा है, लेकिन विद्यालय स्तर पर जर्जर शौचालय की मरम्मत की सुध नहीं ली जा रही है। कई विद्यालयों में पानी नहीं होने से शौचालयों का प्रयोग नहीं हो रहा है।

कुछ विद्यालयों के शिक्षक शौचालयों पर ताला लगाकर रखते हैं। ऐसे में आज भी 11,380 प्राथमिक विद्यालयों में से 974 में लड़कियों और 798 विद्यालयों में लड़कों को शौचालय सुविधा नहीं मिल रही है।

केंद्र सरकार से 1,205 करोड़ रुपये स्वीकृत

इस वित्त वर्ष में समग्र शिक्षा के तहत राज्य को केंद्र सरकार से 1,205 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं। इसमें से विद्यालयों को शौचालय निर्माण के लिए बजट भी आवंटित किया गया है, लेकिन स्कूल स्तर पर अनदेखी के कारण शौचालय सुविधा में हम शत प्रतिशत लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाए हैं।

शत प्रतिशत लक्ष्य अभी दूर

हालांकि पिछले वर्ष की तुलना में इन्हीं विद्यालयों में लड़कियों के लिए 319 व लड़कों के लिए 248 नए शौचालय बन पाए हैं, लेकिन शत प्रतिशत लक्ष्य अभी दूर है। शौचालय निर्माण का यह आंकड़ा तब है, जब पिछले एक वर्ष के बीच 154 प्राथमिक विद्यालय बंद हो चुके हैं।

सिर्फ जनपद देहरादून ऐसा है जहां 869 प्राथमिक विद्यालयों में शौचालय बन गए हैं। सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में लड़के और लड़कियों के लिए शौचालय सुविधा है या नहीं, यह आंकड़े किसी निजी कंपनी व संस्थान ने नहीं, बल्कि शिक्षा विभाग ने स्वयं यूनिफाइड डिस्ट्रिक इंर्फोमेशन सिस्टम फार एजूकेशन (यू-डायस) में अपलोड किए हैं।

पिछले वर्ष जहां 1,089 प्राथमिक विद्यालयों शौचालय विहीन थे, जिनमें से केवल 248 में ही एक वर्ष के भीतर शौचालय सुविधा मिल पाई। इसी प्रकार पिछले वर्ष 1,330 विद्यालयों में छात्राओं के शौचालय नहीं थे, इस वर्ष 329 विद्यालयों में शौचालय बन पाए हैं।

इधर, देहरादून के मुख्य शिक्षा अधिकारी प्रदीप रावत ने बताया कि 93 शेष विद्यालयों में पिछले छह महीने के भीतर शौचालय बना दिए गए। सभी शिक्षकों का निर्देशित किया गया है कि कोई भी शौचालय बंद नहीं रखा जाएगा। सभी में पानी की सुविधा होनी चाहिए। कोई भी छात्र-छात्रा इस सुविधा से वंचित नहीं रहेगा।

सितंबर में एक आदेश जारी किया गया था कि जिस भी विद्यालय में छात्र-छात्रा के लिए शौचालय सुविधा नहीं है, वहां अस्थायी प्लास्टिक माडल शौचालय तैयार करवाए जाएं और स्थायी शौचालय निर्माण का प्रस्ताव विभाग को भेजा जाए। यू-डायस की रिपोर्ट के बाद कई विद्यालयों में नए शौचालय बनाए गए हैं। मंगलवार को प्रारंभिक शिक्षा निदेशक से प्रदेशभर के प्राथमिक विद्यालयों में शौचालय की स्थिति की रिपोर्ट मांगी जाएगी। - झरना कमठान, शिक्षा महानिदेशक

वे विद्यालय जहां शौचालय नहीं

  • जिला, छात्रों के, छात्राओं के
  • अल्मोड़ा, 101,141
  • बागेश्वर, 53, 44
  • चमोली, 31, 75
  • चंपावत, 22,35
  • हरिद्वार, 180 12
  • नैनीताल, 92, 66
  • पौड़ी, 102, 135
  • पिथौरागढ़, 63,72
  • रुद्रप्रयाग, 522, 51, 71
  • टिहरी, 1252, 138, 242
  • यूएसनगर, 771, 51,51
  • उत्तरकाशी, 676, 66, 124
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