संवेदनहीनता की हद: तीन दिन से हरिद्वार में पड़ा है पिता का शव, लेने को तैयार नहीं घरवाले
हरिद्वार में एक दुखद घटना सामने आई है, जहाँ एक व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके परिवार वाले शव को लेने से इनकार कर रहे हैं। मृतक का शव तीन दिनों से हरिद् ...और पढ़ें

तीन दिन से बच्चों को राह देख रहा बुजुर्ग का शव। प्रतीकात्मक
जागरण संवाददाता, हरिद्वार। रेलवे स्टेशन पर एक बुजुर्ग की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले ने जीआरपी की उलझन बढ़ाई है। शिनाख्त के बावजूद बुजुर्ग के स्वजन शव लेने के लिए हरिद्वार नहीं आ रहे हैं। जीआरपी रोजाना उनसे अपील कर रही है कि हरिद्वार आकर शव ले जाएं। मगर बुजुर्ग के बेटा व बेटी रोजाना कुछ न कुछ बहाने बना देते हैं। जीआरपी अब जिलाधिकारी से अनुमति लेकर खुद ही अंतिम संस्कार कराने की तैयारी में है।
रेलवे स्टेशन के प्रतीक्षालय में चार दिन पहले एक बुजुर्ग की मौत हो गई। आधार कार्ड की मदद से जीआरपी ने बुजुर्ग की शिनाख्त 24 परगना, कोलकत्ता, पश्चिम बंगाल निवासी व्यक्ति के रूप में कराई। मशक्कत के बाद स्वजनों से संपर्क भी कर लिया गया। परिवार ने बताया कि बुजुर्ग नशे के आदी थे और उन्हें नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया गया था। वहीं से वह किसी तरह निकल कर फरार हो गए।
बुजुर्ग की पत्नी का दो सप्ताह पहले देहांत हो चुकी है। जीआरपी के काफी प्रयास के बावजूद बुजुर्ग के बेटा या बेटी हरिद्वार आने को तैयार नहीं है। शिनाख्त न होने पर 72 घंटे के बाद पुलिस लावारिस के रूप में अंतिम संस्कार करा सकती थी, लेकिन इस मामले में शिनाख्त होने के बावजूद स्वजन शव ले जाने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। इसलिए जीआरपी पशोपेश में है।
इस बाबत पूछने पर जीआरपी प्रभारी निरीक्षक बिपिन चंद्र पाठक ने बताया कि मामले से आला अधिकारियों को अवगत कराया गया है। स्वजन नहीं आते हैं तो नियमानुसार जिलाधिकारी से अनुमति लेकर अंतिम संस्कार कराया जाएगा।
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