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'रामदेव को अपनी पहचान बताने में दिक्कत नहीं तो रहमान को क्यों', होटल मालिकों के नाम सत्यापन पर बोले योग गुरु

Guru Purnima गुरु-शिष्य की पवित्र परंपरा का प्रतीक गुरु पूर्णिमा पर्व पतंजलि योगपीठ के संस्थापक अध्यक्ष बाबा रामदेव व महामंत्री आचार्य बालकृष्ण महाराज के सान्निध्य में मनाया गया। इस अवसर पर योग गुरु बाबा रामदेव महाराज भी मौजूद रहे। इस दौरान उन्होंने कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजनालय के सामने होटल मालिकों के नाम के सत्यापन को लेकर भी कई बातें कहीं।

By Mehtab alam Edited By: Riya Pandey Updated: Sun, 21 Jul 2024 09:51 PM (IST)
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कांवड़ यात्रा मार्ग पर होटल मालिकों के नाम के सत्यापन पर बोले रामदेव
जागरण संवाददाता, हरिद्वार। गुरु-शिष्य की पवित्र परंपरा का प्रतीक गुरु पूर्णिमा पर्व पतंजलि योगपीठ के संस्थापक अध्यक्ष बाबा रामदेव व महामंत्री आचार्य बालकृष्ण महाराज के सान्निध्य में मनाया गया। इस अवसर पर बाबा रामदेव महाराज ने कहा कि गुरु पूर्णिमा भारत की गुरु परंपरा, ऋषि परंपरा, वेद परंपरा व सनातन परंपरा का बहुत ही गौरवपूर्ण व पूर्णता प्रदान करने वाला पर्व है।

उन्होंने कहा कि अलग-अलग कारणों से पूरी दुनिया की नजर भारत की ओर है। भारत से पूरी दुनिया को शिक्षा, चिकित्सा के क्षेत्र में पारिवारिक, आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक जीवन में नई दिशा मिलेगी। यह दिशा देने का कार्य भारत गुरु देश के रूप में करता रहा है, इसीलिए भारत विश्वगुरु रहा है।

रामदेव को अपनी पहचान बताने में दिक्कत नहीं है, तो रहमान को क्यों

कांवड़ मेले के दौरान दुकानों व ढाबा मालिकों के नाम के सत्यापन को लेकर बाबा रामदेव ने कहा कि जब रामदेव को अपनी पहचान बताने में कोई दिक्कत नहीं है, तो रहमान को क्यों दिक्कत होनी चाहिए। अपने नाम पर तो सबको गौरव होता है। नाम छिपाने की कोई जरूरत नहीं है, अपने कार्य में शुद्धता व पवित्रता लाने की आवश्यकता है।

कांवड़ मेले को लेकर उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्री शिवत्व धारण कर ऐसा आचरण करें कि सबको लगे कि यह कांवड़ यात्री नहीं, अपितु साक्षात शिव-पार्वती का साक्षात विग्रह जा रहा है। केदारनाथ धाम को लेकर बाबा रामदेव ने कहा कि जो हमारे देव स्थान या बड़े तीर्थ हैं, उनका कोई विकल्प नहीं हो सकता। जो भगवान के बनाए गए धाम हैं, उन्हें कोई इंसान नहीं बना सकता।

धामी सरकार ने जो चारों धामों को पेटेंट करने का निर्णय लिया है, वह प्रशंसनीय है। वहीं, आचार्य बालकृष्ण ने कांवड़ यात्रियों से आह्वान किया कि आप बड़ा तप कर रहे हैं तो आपकी वाणी व व्यवहार में भी संयम झलकना चाहिए। श्रद्धा-भक्ति में न तो उदंडता होनी चाहिए और न ही किसी को कष्ट होना चाहिए।

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