उत्तराखंड में स्थानीय निवास फर्जीवाड़ा, कुमाऊं आयुक्त की छापेमारी के बाद अरायजनवीस फैजान पर केस
उत्तराखंड में स्थायी निवास प्रमाण पत्रों के फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है, जिससे असली निवासियों के अधिकारों का हनन हो रहा है। पुलिस ने मुख्य आरोपी मो. फैजान और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है। कुमाऊं आयुक्त की छापेमारी में कई दस्तावेज बरामद हुए हैं। पुलिस मनी ट्रेल और इलेक्ट्रिक ट्रेल की जांच कर रही है। मेयर ने गहन जांच और मतदाता सूची के पुनरीक्षण की मांग की है।

उत्तराखंडियों का हक मारने और सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ाने का खेल. Concept Photo
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर स्थायी निवासी प्रमाणपत्र तैयार करने के खेल की वजह से उत्तराखंडियों का हक मरने के साथ सरकार पर आर्थिक भार भी बढ़ रहा है। फर्जीवाड़ा कर बनाए गए दस्तावेजों की मदद से नौकरियों में आवेदन करने के साथ सरकारी योजनाओं का लाभ भी लिया जाता है। फिलहाल पुलिस ने तहसीलदार के तहरीर पर मुख्य आरोपित अरायजनवीस मो. फैजान के अलावा तीन अज्ञात लोगों के विरुद्ध भी धोखाधड़ी, जालसाजी, षड़यंत्र आदि आरोप में केस दर्ज कर लिया है। मामले में पूछताछ का दौर जारी है। संभावना है कि जल्द कुछ नए राज सामने आएंगे।
गुरुवार शाम कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत को शिकायत मिली थी कि उत्तर प्रदेश के बरेली निवासी रईस व जलीस नाम का फर्जी तरीके से स्थायी निवासी प्रमाणपत्र बनाया गया है। खास बात यह कि बनभूलपुरा में इसी नाम के दो लोगों के दस्तावेज इस फर्जीवाड़े के लिए इस्तेमाल किए गए थे। जिसके बाद गुरुवार शाम कमिश्नर ने तहसील में अरायजनवीस फैजान मिकरानी के घर से आधार कार्ड, बिजली बिल समेत कुछ अन्य दस्तावेज बरामद किए थे। फैजान ने बरेली के मुस्लिमों के प्रमाणपत्र तैेयार करवाए थे।
वहीं, तहसीलदार कुलदीप पांडे की तहरीर पर फैजान व तीन अन्य पर केस दर्ज कर लिया गया है। तहरीर में इस बात की पूरी आशंका जताई गई है कि नौकरियों में आवेदन के साथ ही सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के इरादे से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर प्रमाणपत्र बनाए जाते हैं। इससे सरकार पर आर्थिक भार बढ़ने के साथ असल लाभार्थी का हक भी मरता है। मामले को लेकर एसएसपी डा. मंजुनाथ टीसी का कहना है कि प्रकरण में मनी ट्रेल से लेकर इलेक्ट्रिक ट्रेल को भी खंगाला जाएगा।
कोर्ट ने उम्रकैद की सजा, कबिस्तान ने दफ्न कर दिया
इस साल मई में बनभूलपुरा में एक बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ में आया था। अफजाल अली नाम के व्यक्ति को 2012 में हुई एक हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा हुई थी लेकिन कब्रिस्तान कमेटी की मिलीभगत से अफजाल को मृत बता 2014 में मृत्यु प्रमाणपत्र बनाया जाता है। चौंकाने वाली बात यह है कि असलियत में जिंदा अफजाल की मौत की वजह फेफड़ों की बीमारी बताई गई थी। फर्जीवाड़े के सालों बाद मामला बाहर निकलने पर मई में केस दर्ज किया गया था।
प्रदेश की तहसीलों से कोई तो दस्तावेज लीक कर रहा : गजराज
घटना को लेकर मेयर गजराज बिष्ट ने कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इस तरह की घटनाओं में कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि पूरा गिरोह जुटा हुआ है। उन्हें लगता है कि प्रदेश तहसीलों से कोई मुस्लिम व्यक्ति सरकारी दस्तावेज या अन्य अहम जानकारी बाहर पहुंचा रहा है। लिहाजा, इस तरह के मामलों की गहनता से जांच होनी चाहिए। इसके अलावा उत्तराखंड में मतदाता सूची को लेकर विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का काम जल्द से जल्द शुरू होना चाहिए।
पैसे कब और किससे लिया, किस माध्यम से बनाए दस्तावेज
फर्जीवाड़े के दो मामले सामने आ चुके हैं। पुलिस जांच में मनी ट्रेल अहम विषय है। यानी किस-किससे औैर कब पैसे लिए गए। भुगतान आनलाइन या नकद में था। इसके अलावा इलेक्ट्रिक ट्रेल में मोबाइल-लैपटाप और काल डिटेल को खंगाला जाएगा। ताकि काम करने का तरीका और नेटवर्क के बारे में जानकारी मिल सके।

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