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Delhi Pollution: उत्‍तराखंड में चिंता, जब होटल और रिजॉर्ट की संख्या ही पता नहीं तो प्रदूषण का पता कैसे चलेगा?

Delhi Pollution दिल्ली के प्रदूषण ने पूरे देश को चिंता में डाल दिया है। उत्तराखंड भी इससे अछूता नहीं है। लेकिन कुमाऊं के पांच जिलों में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के पास सिर्फ 762 होटल रिजॉर्ट और होम स्टे की जानकारी है जबकि पर्यटन विभाग के अनुसार अकेले नैनीताल जिले में ही 1077 प्रतिष्ठान हैं। ऐसे में प्रदूषण का पता कैसे चलेगा?

By ganesh joshi Edited By: Nirmala Bohra Updated: Fri, 22 Nov 2024 04:13 PM (IST)
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Delhi Pollution: दिल्ली के प्रदूषण ने पूरे देश को चिंता में डाला। फाइल
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी । Delhi Pollution: दिल्ली के प्रदूषण ने पूरे देश को चिंता में डाल दिया है। स्थानीय सरकार के एक आदेश से कुमाऊं से जुड़ी रोडवेज की 351 बसें 16 नवंबर से वहां प्रतिबंधित हो चुकी हैं। वजह इन गाड़ियों का बीएस-3 और बीएस-4 माडल होना है, जिनके संचालन से प्रदूषण का स्तर और बढ़ता है।

प्रदूषण के मामले में एक नियम होटल, रिजॉर्ट, सरकारी गेस्ट हाउस से लेकर होम स्टे पर भी लागू होता है। बशर्ते कमरों की संख्या छह से अधिक होनी चाहिए। जिम्मेदार विभाग प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का जिम्मा है कि ऐसे सभी संस्थानों का अपने वहां पंजीकरण कर समय-समय पर जांच भी करे कि सीवर के पानी के निस्तारण की व्यवस्था कैसी है। रोजाना जमा होने वाले कचरे का क्या किया जाता है।

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कारोबारियों ने पंजीकरण नहीं कराया

जनरेटर साउंड प्रूफ है या ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाला, लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि पीसीबी को ये ही नहीं पता कि कुमाऊं के पांच जिलों में इस नियम के तहत आने वाले होटल, रिजॉर्ट और होम स्टे की संख्या कितनी है। उत्तराखंड में पर्यटन गतिविधियां रोजगार का अहम साधन है।

कुमाऊं में नैनीताल, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, चंपावत और बागेश्वर में इस दिशा में नए निर्माण तेजी से हो रहे हैं। वहीं, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय प्रबंधक अनुराग नेगी का कहना है कि छह कमरों से अधिक का प्रतिष्ठान होने पर पीसीबी में पंजीकरण के लिए आवेदन करना जरूरी है, जिसके बाद मौके पर सत्यापन कर शर्तों का अनुपालन मिलने पर एनओसी दे दी जाती है। शुल्क भी ज्यादा नहीं है। उसके बावजूद कारोबारियों ने पंजीकरण नहीं कराया है।

पांच जिलों में वर्तमान में 762 होटल पंजीकृत

बोर्ड के रिकार्ड के अनुसार, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, नैनीताल, चंपावत और बागेश्वर से वर्तमान में 762 होटल, रिजॉर्ट और होम स्टे उनके वहां पंजीकृत है, जबकि पर्यटन विभाग की वेबसाइट के आंकड़े बताते हैं कि इन पांच जिलों में ऐसे निजी प्रतिष्ठानों की संख्या 2632 हैं।

इसके अलावा अलग-अलग विभागों से जुड़े 149 सरकारी गेस्ट हाउस भी हैं। सरकारी संपत्तियों पर भी यह नियम लागू होता है, लेकिन कारोबारियों और विभागों के आगे नहीं आने पर पीसीबी ने भी लंबे समय से मौन साध रखा है।

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वहीं, एक माह पूर्व क्षेत्रीय प्रबंधक का चार्ज संभालने वाले अनुराग नेगी ने फिलहाल सभी जिलों के पर्यटन अधिकारियों से होटल व रिजॉर्ट की संख्या को लेकर रिपोर्ट मांगी है। इसके बाद ही नोटिस भेजने की प्रक्रिया शुरू होगी।

  • जिला होटल - रिजॉर्ट व होम स्टे -सरकारी गेस्ट हाउस
  • पिथौरागढ़-     724-                             22
  • चंपावत-       170 -22
  • अल्मोड़ा -505 -42
  • बागेश्वर -156 -24
  • नैनीताल -1077 -39
( आंकड़े पर्यटन विभाग की वेबसाइट से। छह कमरों से अधिक होने पर ही नोटिस भेजने का प्रविधान)

हल्द्वानी कार्यालय के तहत आने वाले पांच जिलों के पर्यटन अधिकारियों को पत्र भेज उनके वहां संचालित होटल, रिजॉर्ट व होम स्टे की सूची मांगी गई है। छह कमरों से अधिक होने पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति जरूरी होती है। संख्या पता चलने के बाद संचालकों को नोटिस भेजा जाएगा। -  अनुराग नेगी, क्षेत्रीय प्रबंधक पीसीबी

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