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Uttarakhand: गंगोत्री हिमालय में इस बार प्रतिकूल मौसम ने रोकी 19 दलों की राह, नहीं कर पाए आरोहण

Mountaineering in Uttarakhand गंगोत्री हिमालय में इस बार मानसून सीजन के दौरान प्रतिकूल परिस्थितियों ने पर्वतारोहियों की राह रोकी है। इसके चलते उच्च हिमालय की ट्रेकिंग पर गए सात और पर्वतारोहण के लिए गए 12 दलों को बिना आरोहण के ही वापस लौटना पड़ा। केवल एक पर्वतारोहण और एक ट्रेकिंग दल ही कड़ी मशक्कत के बाद अपने अभियान में सफल हो पाया।

By Shailendra prasad Edited By: Nirmala Bohra Updated: Sun, 06 Oct 2024 12:55 PM (IST)
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Mountaineering in Uttarakhand: गंगोत्री के उच्च हिमालय क्षेत्र से वापस लौटता पर्वतारोही दल। जागरण आर्काइव

शैलेंद्र गोदियाल, जागरण उत्तरकाशी। Mountaineering in Uttarakhand: गंगोत्री हिमालय में इस बार मानसून सीजन के दौरान प्रतिकूल परिस्थितियों ने पर्वतारोहियों की राह रोकी है। इसके चलते उच्च हिमालय की ट्रेकिंग पर गए सात और पर्वतारोहण के लिए गए 12 दलों को बिना आरोहण के ही वापस लौटना पड़ा।

केवल एक पर्वतारोहण और एक ट्रेकिंग दल ही कड़ी मशक्कत के बाद अपने अभियान में सफल हो पाया। वर्तमान में पर्वतारोहियों के पांच दल आरोहण अभियान और दो दल उच्च हिमालय की ट्रेकिंग पर गए हैं। उम्मीद है इन दलों को अनुकूल मौसम होने के कारण अब सफलता मिल सकती है।

गंगोत्री हिमालय हमेशा ही पर्वतारोहियों और साहसिक पर्यटकों की सैरगाह रहा है। कई विश्व प्रसिद्ध चोटियां ही नहीं, एशिया का सबसे बड़ा ऊंचा ट्रेकिंग रूट कालिंदीपास भी इसी क्षेत्र में है। इस ट्रेक रूट से गुजरना भी किसी पर्वतारोहण अभियान से कम नहीं है। कालिंदीपास की समुद्रतल से ऊंचाई 5,900 मीटर है, लेकिन इस बार मौसम अनुकूल न होने के कारण पर्वतारोही व ट्रेकिंग दलों को मायूस होना पड़ा।

जुलाई और अगस्त में अधिक वर्षा होने के कारण गंगोत्री-गोमुख ट्रेक कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गया था, जिससे लगभग 50 दिन तक गंगोत्री हिमालय क्षेत्र में पर्वतारोहण अभियान पर रोक रही। जैसे-तैसे ट्रेक को सुचारु किया गया और अगस्त अंतिम सप्ताह से पर्वतारोहियों के दल आरोहण के लिए बढ़े। लेकिन, सितंबर के अंतिम सप्ताह भी इन दलों को अनुकूल मौसम नहीं मिल पाया।

ऐसे में उन्हें बिना आरोहण किए ही वापस गंगोत्री लौटना पड़ा। गंगोत्री नेशनल पार्क प्रशासन के अनुसार केवल भागीरथी द्वितीय चोटी पर सेना के दल ने आरोहण किया, जबकि कालिंदीपास ट्रेक को आइटीबीपी का दल ही पार कर पाया। बाकी दलों को मौसम अनुकूल न मिलने पर बिना सफल अभियान के वापस लौटना पड़ा।

इतने पर्वतारोही दल नहीं कर पाए आरोहण

  • पर्वत, दल
  • शिवलिंग, 02
  • मेरु पर्वत, 01
  • भागीरथी द्वितीय, 04
  • सतोपंथ, 01
  • भागीरथी प्रथम, 01
  • सुदर्शन, 01
  • थैलू, 01
  • जोगिन, 01
  • कालिंदीपास, 06
  • उड़नकौल, 01

वर्तमान में आरोहण को बढ़ रहे दल

  • पर्वत, दल
  • शिवलिंग, 02
  • भागीरथी प्रथम, 01
  • केदारडोम, 01
  • सतोपंथ, 01
  • कालिंदीपास, 02

गंगोत्री नेशनल पार्क क्षेत्र में ट्रेकिंग और पर्वतारोहण के लिए अगस्त अंतिम सप्ताह और सितंबर के पहले पखवाड़े में जो प्रशिक्षित दल गए थे, उन्हें अनुकूल मौसम नहीं मिला पाया। ऐसे में अधिकांश दलों को बिना आरोहण के ही वापस लौटना पड़ा है।

- आरएन पांडेय, उप निदेशक, गंगोत्री नेशनल पार्क, गंगोत्री

ट्रेकिंग व पर्वतारोहण में अंतर

ट्रेकिंग में यात्रा का आनंद लेने पर ध्यान दिया जाता है, जबकि पर्वतारोहण में शिखर के समिट प्वाइंट तक पहुंचने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इसलिए इसे एक साहसिक अभियान के रूप में लिया जाता है।

एवरेस्टर एवं प्रसिद्ध पर्वतारोही विष्ण सेमवाल ने बताया कि पर्वतारोहण में ज्यादा जोखिम के साथ चुनौतियां भी ज्यादा होती हैं। जिसमें राक क्लाइंबिंग, आइस क्लाइंबिंग, क्रेवास पार करना और स्नो ट्रेकिंग शामिल है। वहीं, ट्रेकिंग में अपेक्षाकृत कम चुनौतियां होती हैं। केवल हाई एल्टीट्यूड ट्रेकिंग में ही पर्वतारोहण जैसी चुनौतियों होती हैं।

पर्वतारोहण के लिए गहन प्रशिक्षण, तैयारी और विशेष उपकरणों की जरूरत होती है, जबकि ट्रेकिंग के लिए उपकरणों की जरूरत नहीं पड़ती। ट्रेकिंग में तय पगडंडी या फिर मखमली बुग्याल में चलना होता है, जिनमें चढ़ाई और उतराई भी शामिल हो सकती है, वहीं पर्वतारोहरण के लिए रस्सी व उपकरणों के सहारे चोटियों के शिखर तक पहुंचना होता है।

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