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मेडिकल हिस्ट्री में अमेरिकी डॉक्टरों ने एक बार फिर कर दिखाया कमाल, इंसान के सीने में धड़का सूअर का दिल

मैरीलैंड शहर में एक 58 वर्षीय व्यक्ति में आनुवंशिक रूप से संशोधित सुअर के हृदय का प्रत्यारोपण करके डॉक्टरों ने उसे एक नया जीवन दे दिया। मालूम हो कि जेनोट्रांसप्लांट चुनौतीपूर्ण हैं क्योंकि रोगी का इम्यून सिस्टम प्रत्यार्पित किए गए अंग को नुकसान पहुंचा सकती है। वैज्ञानिक आनुवंशिक रूप से संशोधित सूअरों के अंगों का उपयोग करके समस्या से निपटने की कोशिश कर रहे हैं।

By AgencyEdited By: Shalini KumariSun, 24 Sep 2023 11:29 AM (IST)
इंसान के सीने में धड़का सूअर का दिल

वाशिंगटन, एजेंसी। अमेरिका के डॉक्टरों ने दूसरी बार कमाल कर दिखाया है। दरअसल, यहां पर मैरीलैंड शहर में एक 58 वर्षीय व्यक्ति मौत की कगार पर खड़ा था, जिसमें आनुवंशिक रूप से संशोधित सुअर के हृदय का प्रत्यारोपण करके उसे डॉक्टरों ने एक नया जीवन दे दिया है। यह चिकित्सा अनुसंधान के बढ़ते क्षेत्र में नवीनतम मील का पत्थर है।

जानवरों के अंगों को मनुष्यों में प्रत्यारोपित करने की प्रक्रिया को जेनो ट्रांसप्लांटेशन कहा जाता है। दरअसल, इस समय 1 लाख से अधिक अमेरिकी अंग प्रत्यारोपण के लिए प्रतीक्षा सूची में हैं।

पहले भी एक मरीज का हुआ प्रत्यर्पण

न्यूज एजेंसी AFP द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक, विश्वविद्यालय ने कहा शुक्रवार को एक बयान में कहा गया, "यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन के विशेषज्ञों द्वारा दोनों हृदय प्रक्रियाएं की गईं, पहले मरीज की पिछले साल प्रत्यारोपण के दो महीने बाद ऑपरेशन से पहले खराब स्वास्थ्य स्थिति सहित कई कारकों के कारण मृत्यु हो गई।"

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बिना किसी परेशानी के काम कर रहा सुअर का हृदय

नवीनतम ऑपरेशन बुधवार को हुआ, जिसमें मरीज लॉरेंस फॉसेट दान किए गए मानव हृदय के लिए अयोग्य थे। प्रक्रिया से पहले फौसेट ने कहा, "मेरे पास एकमात्र विकल्प सुअर के दिल, जेनो ट्रांसप्लांट के साथ जाना है। मुझे लगा कि यही मेरी एक आशा है और मेरे पास एक मौका है।" विश्वविद्यालय ने कहा, "प्रत्यारोपण के बाद, फॉसेट अब स्वस्थ है और नया हृदय बिना किसी उपकरणीय सहायता के अच्छी तरह काम कर रहा है।"

मालूम हो कि जेनो ट्रांसप्लांट चुनौतीपूर्ण हैं, क्योंकि रोगी का इम्यून सिस्टम प्रत्यर्पित किए गए अंग को नुकसान पहुंचा सकती है। वैज्ञानिक आनुवंशिक रूप से संशोधित सूअरों के अंगों का उपयोग करके समस्या से निपटने की कोशिश कर रहे हैं।

सुअरों पर केंद्रित हैं वैज्ञानिक

पिछले कुछ सालों में, डॉक्टरों ने आनुवंशिक रूप से संशोधित सूअरों की किडनी को मस्तिष्क-मृत रोगियों में प्रत्यारोपित किया है। न्यूयॉर्क में एनवाईयू लैंगोन हॉस्पिटल ट्रांसप्लांट इंस्टीट्यूट ने इस महीने घोषणा की कि एक ब्रेन-डेड मरीज में प्रत्यारोपित की गई सूअर की किडनी रिकॉर्ड तोड़ 61 दिनों तक काम करती रही।

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1984 में एक बबून का हृदय बेबी फे के नाम से जाने जाने वाले नवजात शिशु में प्रत्यारोपित किया गया था, लेकिन वह केवल 20 दिनों तक जीवित रही। वर्तमान प्रयास सूअरों पर केंद्रित हैं, जिन्हें उनके अंग के आकार, उनकी तीव्र वृद्धि और बड़े बच्चों के कारण मनुष्यों के लिए आदर्श दाता माना जाता है।