संस्कृत के इन श्लोकों से मिलती है आगे बढ़ने की प्रेरणा


By Amrendra Kumar Yadav05, Jul 2024 02:45 PMjagran.com

संस्कृत मानी जाती है प्राचीन भाषा

संस्कृत दुनिया की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक मानी जाती है। चारों वेद, महापुराण, उपनिषद और अन्य प्राचीन ग्रंथ इसी भाषा में लिखे गए हैं।

प्रेरणादायक श्लोक

इस भाषा में कई श्लोक लिखे गए हैं जो जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। ऐसे ही कुछ श्लोकों के बारे में बताएंगे, जिनसे जीवन में सतत प्रयास करते रहने की प्रेरणा मिलती है।

कर्म की प्रधानता

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥

भगवान श्रीकृष्ण का अर्जुन को उपदेश

गीता में यह श्लोक भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को समझाते हुए कहते हैं कि कर्म पर ही तुम्हारा अधिकार है, फल पर नहीं। इसलिए, कर्म करो, फल की चिंता न करो।

विद्या है सबसे बड़ा धन

न चोरहार्य न राजहार्य न भ्रतृभाज्यं न च भारकारि। व्यये कृते वर्धति एव नित्यं विद्याधनं सर्वधनप्रधानम्।।

विद्या की महत्ता

इस श्लोक में विद्या की महत्ता के बारे में बताया गया है। विद्या को ऐसा धन बताया गया है, जिसे न तो कोई चोरी कर सकता है, न कोई बांट सकता है। यह खर्च करने से और भी अधिक बढ़ती है और संचय करने से घटती जाती है।

कठिन परिश्रम से मिलती है सफलता

उद्यमेन ही सिद्धयन्ति कार्याणि न मनोरथैः। नहीं सुपतस्य सिंहस्य प्रविशंति मुखे मृगाः ।।

कर्म से पूरे होते हैं सपने

इस श्लोक में कर्म के बारे में बताया गया है। इसका अर्थ है कि सपनों को पूरा करने के लिए कठिन परिश्रम की आवश्यकता होती है। जिस प्रकार सोते हुए सिंह के मुंह में हिरण प्रवेश नहीं कर सकता, उसी प्रकार सफलता पाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है।

ये श्लोक जीवन में आगे बढ़ने को प्रेरित करते हैं। ऐसी ही अन्य खबरों के लिए पढ़ते रहें JAGRAN.COM

हाथ उठाकर हर हर महादेव बोलने से क्या होता है?