मुर्शिदाबाद में हिंसा पीड़ितों से मिले केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार, NIA जांच पर दिया जोर
मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के बाद केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने पीड़ितों से मुलाकात की और कहा कि अगर कलकत्ता हाईकोर्ट राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए को जांच करने की अनुमति देता है तो सरकार को अदालत के आदेशों का पालन करना होगा। वहीं विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने दावा किया कि राज्य में हिंदू खतरे में हैं और मुर्शिदाबाद हिंसा की एनआईए से जांच कराने की मांग की।

जेएनएन, कोलकाता। केंद्रीय मंत्री और बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने सोमवार को हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया और वक्फ अधिनियम विरोध के दौरान हुई हिंसा से प्रभावित पीड़ितों से मुलाकात की।
पीड़ितों से मिलने के बाद मजूमदार ने कहा कि अगर कलकत्ता हाई कोर्ट राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) को जांच करने की अनुमति देता है तो सरकार को अदालत के आदेशों का पालन करना होगा।
पीड़ितों को वापस भेजने का दबाव
सुकांत मजूमदार ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा अधिकारियों पर दबाव बनाने के लिए कटाक्ष किया और सवाल किया कि अब जबकि उनके घर नष्ट हो गए हैं तो वे कहां जाएंगे। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हम लोगों की मांगों के साथ खड़े हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग एनआईए जांच के लिए अदालत गए हैं। अब हमारी सारी निगाहें अदालत पर टिकी हैं। अगर कलकत्ता हाई कोर्ट एनआइए जांच की अनुमति देता है, तो सरकार भी ऐसा ही करेगी। ममता बनर्जी अधिकारियों पर पीड़ितों को वापस भेजने का दबाव बना रही हैं, लेकिन वे (हिंसा के पीड़ित) कहां जाएंगे? उनके घर जला दिए गए हैं और नष्ट कर दिए गए हैं।
'हिंदू खतरे में है'
वहीं बंगाल में विपक्ष के नेता और भाजपा विधायक सुवेंदु अधिकारी ने रविवार को दावा किया था कि राज्य में हिंदू खतरे में हैं और मुर्शिदाबाद हिंसा की एनआइए से जांच कराने की मांग की थी। साथ ही उन्होंने इस घटना के लिए राज्य पुलिस को जिम्मेदार ठहराया था।
अधिकारी ने कहा कि हम अपनी संस्कृति और धर्म को जीवित रखने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। बंगाल में हिंदू खतरे में हैं... हम एनआइए से जांच चाहते हैं। इस तरह की क्रूर हत्या के लिए राज्य पुलिस पूरी तरह जिम्मेदार है। यहां हर कोई चाहता है कि एनआइए आए और मामले को अपने हाथ में ले।
10 दिन बाद खुले स्कूल
इस बीच हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद मुर्शिदाबाद में दैनिक जीवन फिर से शुरू हो गया है। एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि 10 दिनों के बंद के बाद स्कूल फिर से खुल गए हैं।11 अप्रैल को हुई हिंसा के कारण स्कूल बंद कर दिए गए थे। धुलियान में स्थिति में सुधार हुआ है।

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